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विकट तपस्वी  [Hindi Story]
शिक्षदायक कहानी - हिन्दी कथा (आध्यात्मिक कथा)

'महाराज ! हमें जिनकी खोज थी, वे मिल गये। मन्त्रीने शिविरमें प्रवेश करके महाराजा वीरसिंहको शुभ सूचना दी। महाराजा सरिता-तटकी और चल पड़े। उन्हें स्वप्रमें किसी महान् शक्तिने प्रेरणा दी थी कि महात्मा मधुसूदन सरस्वतीकी सेवा करनेसे संतान प्राप्ति होगी। महाराजा वीरसिंह अपनी राजधानीसे थोड़ी दूरपर एक सरिताके किनारे कई दिनोंसे शिविरमें निवास कर रहे थे। वे प्रसन्नतासे आगे बढ़ रहे थे और उनके पीछे-पीछे महामन्त्री और असंख्य सैनिक थे।'

'महाराज! भगवान्की कृपासे आपका दर्शन हो सका।' राजाने तपस्वीसे सपनेकी बात कही, पर वे कुछ बोले ही नहीं। उन्होंने पलक उठाकर देखातक नहीं पिछले चौदह वर्षोंसे नयनोंको बंद करके तथा मीन-व्रत लेकर वे एकान्तसेवनमें लीन थे। राजावीरसिंह उनकी विकट तपस्यासे आश्चर्यचकित हो गये; पर उनके मनमें यह बात अच्छी तरह बैठ गयी कि उन्हें मधुसूदन सरस्वतीका दर्शन हुआ है। महामन्त्रीको उस स्थानपर एक विशाल मन्दिरके निर्माणका आदेश देकर वे अपनी राजधानीमें लौट आये।

तीन वर्ष बीत गये। एक दिन अचानक महात्मा सरस्वतीने नेत्र खोल दिये। उन्होंने अपने आपको एक विशाल राजमन्दिरमें पाया । भगवान्के श्रीविग्रहका दर्शन किया। मन्दिरमें राजभोग आदिका उत्तम प्रबन्ध देखकर वे किसी विशेष चिन्तामें लीन हो गये।

'भैया ! इस माया-मन्दिरका निर्माण किसने कराया ? मेरी कुटी कहाँ चली गयी ?' महात्माने पुजारीसे प्रश्न किया। पुजारीके मुखसे वीरसिंहका वृत्तान्त सुनकर वेआश्चर्यचकित हो गये।

दो-चार क्षण विचार करनेके बाद वे उठ पड़े। उन्होंने सदाके लिये मन्दिरका परित्याग कर दिया औरतपस्याके लिये बाहर निकल गये । कितने विकट तपस्वी थे वे। उनका जीवन धन्य था।

-रा0 श्री0



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vikat tapasvee

'mahaaraaj ! hamen jinakee khoj thee, ve mil gaye. mantreene shiviramen pravesh karake mahaaraaja veerasinhako shubh soochana dee. mahaaraaja saritaa-tatakee aur chal pada़e. unhen svapramen kisee mahaan shaktine prerana dee thee ki mahaatma madhusoodan sarasvateekee seva karanese santaan praapti hogee. mahaaraaja veerasinh apanee raajadhaaneese thoda़ee doorapar ek saritaake kinaare kaee dinonse shiviramen nivaas kar rahe the. ve prasannataase aage badha़ rahe the aur unake peechhe-peechhe mahaamantree aur asankhy sainik the.'

'mahaaraaja! bhagavaankee kripaase aapaka darshan ho sakaa.' raajaane tapasveese sapanekee baat kahee, par ve kuchh bole hee naheen. unhonne palak uthaakar dekhaatak naheen pichhale chaudah varshonse nayanonko band karake tatha meena-vrat lekar ve ekaantasevanamen leen the. raajaaveerasinh unakee vikat tapasyaase aashcharyachakit ho gaye; par unake manamen yah baat achchhee tarah baith gayee ki unhen madhusoodan sarasvateeka darshan hua hai. mahaamantreeko us sthaanapar ek vishaal mandirake nirmaanaka aadesh dekar ve apanee raajadhaaneemen laut aaye.

teen varsh beet gaye. ek din achaanak mahaatma sarasvateene netr khol diye. unhonne apane aapako ek vishaal raajamandiramen paaya . bhagavaanke shreevigrahaka darshan kiyaa. mandiramen raajabhog aadika uttam prabandh dekhakar ve kisee vishesh chintaamen leen ho gaye.

'bhaiya ! is maayaa-mandiraka nirmaan kisane karaaya ? meree kutee kahaan chalee gayee ?' mahaatmaane pujaareese prashn kiyaa. pujaareeke mukhase veerasinhaka vrittaant sunakar veaashcharyachakit ho gaye.

do-chaar kshan vichaar karaneke baad ve uth pada़e. unhonne sadaake liye mandiraka parityaag kar diya auratapasyaake liye baahar nikal gaye . kitane vikat tapasvee the ve. unaka jeevan dhany thaa.

-raa0 shree0

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