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विद्या-व्यासङ्गकी रुचि  [प्रेरक कहानी]
प्रेरक कथा - प्रेरक कथा (Shikshaprad Kahani)

तिलक महाराजके एक मित्रने बातचीतके प्रसङ्गमें उनसे कहा- 'बलवंतराव स्वराज्य होनेपर आप कौन सा काम अपने हाथमें लेंगे-आप प्रधानमन्त्री बनेंगे या परराष्ट्रमन्त्री ?'

तिलकने तत्काल उत्तर दिया- 'नहीं, भैया! जब स्वराज्य स्थापित हो जायगा तब मैं किसी स्वदेशी कॉलेजमेंगणित विषयके प्रोफेसरका काम करूँगा और सार्वजनिक आन्दोलनसे संन्यास ले लूँगा। राजनीतिसे मेरा जी ऊब गया है।‘डिफरेंशियल कैल्क्युलस' पर एक आध पुस्तक लिखनेकी मेरी अब भी इच्छा है । देशकी स्थिति बड़ी बुरी है और आपमेंसे कोई कुछ नहीं करता, इसलिये मुझे इस ओर समय लगाना पड़ता है।' –गो0 न0 बै0



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vidyaa-vyaasangakee ruchi

tilak mahaaraajake ek mitrane baatacheetake prasangamen unase kahaa- 'balavantaraav svaraajy honepar aap kaun sa kaam apane haathamen lenge-aap pradhaanamantree banenge ya pararaashtramantree ?'

tilakane tatkaal uttar diyaa- 'naheen, bhaiyaa! jab svaraajy sthaapit ho jaayaga tab main kisee svadeshee kaॉlejamenganit vishayake prophesaraka kaam karoonga aur saarvajanik aandolanase sannyaas le loongaa. raajaneetise mera jee oob gaya hai.‘dipharenshiyal kailkyulasa' par ek aadh pustak likhanekee meree ab bhee ichchha hai . deshakee sthiti bada़ee buree hai aur aapamense koee kuchh naheen karata, isaliye mujhe is or samay lagaana pada़ta hai.' –go0 na0 bai0

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बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
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मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
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के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
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कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
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यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
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