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मेरा अपना कुछ नहीं  [Hindi Story]
Short Story - आध्यात्मिक कथा (Shikshaprad Kahani)

मेरा अपना कुछ नहीं

पारसी धर्मगुरु रवि मेहरके तीन पुत्र थे। वे तीनोंके तीनों महामारीकी चपेटमें आ गये और अच्छी दवाके अभावमें जीवित न रह सके। मेहर उस समय बाहर गये। हुए थे। सन्ध्या-समय जब वे घर आये, तो उन्हें बच्चे दिखायी न दिये। उन्होंने सोचा, शायद सो गये होंगे। भोजन करते समय उन्होंने पत्नीसे पूछा- 'क्या आज
बच्चे जल्दी सो गये ?' पत्नीने इसका उत्तर दिये बिना उनसे कहा - 'स्वामी! कल हमने पड़ोसीसे जो बर्तन लिये थे, उन्हें माँगनेके लिये पड़ोसी आये थे ।' मेहरने कहा- 'बर्तन उनके थे, इसलिये लेने आये थे । परायी वस्तुका मोह हम क्यों करें ?' पत्नीने कहा- 'आप ठीक कहते हैं। मैंने उन्हें वे बर्तन दे दिये।'
भोजनके उपरान्त सन्तको बच्चोंका फिर स्मरण हो आया और उन्होंने पत्नीसे उनके बारेमें पूछताछ की। तब पत्नी उन्हें शयन कक्षमें ले गयी और उसने चारपाईके नीचे रखे तीनों बच्चोंके शव दिखाये। यह देखते ही सन्त फूट-फूटकर रोने लगे। तब पत्नी बोली- 'स्वामी! आप अभी-अभी तो कह रहे थे कि 'कोई व्यक्ति अपनी वस्तु लेना चाहे, तो हमें वह वस्तु दे देनी चाहिये और उसके लिये दुःख नहीं करना चाहिये, लेकिन आप स्वयं ही भूल रहे हैं। बच्चे भगवान्ने दिये थे, सो उन्होंने ले लिये, फिर हम उनके लिये क्यों वृथा शोक करें ?'
इन शब्दोंसे सन्तका चित्त हलका हो गया और वे भगवद्-भजनमें लीन हो गये।



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mera apana kuchh naheen

mera apana kuchh naheen

paarasee dharmaguru ravi meharake teen putr the. ve teenonke teenon mahaamaareekee chapetamen a gaye aur achchhee davaake abhaavamen jeevit n rah sake. mehar us samay baahar gaye. hue the. sandhyaa-samay jab ve ghar aaye, to unhen bachche dikhaayee n diye. unhonne socha, shaayad so gaye honge. bhojan karate samay unhonne patneese poochhaa- 'kya aaja
bachche jaldee so gaye ?' patneene isaka uttar diye bina unase kaha - 'svaamee! kal hamane pada़oseese jo bartan liye the, unhen maanganeke liye pada़osee aaye the .' meharane kahaa- 'bartan unake the, isaliye lene aaye the . paraayee vastuka moh ham kyon karen ?' patneene kahaa- 'aap theek kahate hain. mainne unhen ve bartan de diye.'
bhojanake uparaant santako bachchonka phir smaran ho aaya aur unhonne patneese unake baaremen poochhataachh kee. tab patnee unhen shayan kakshamen le gayee aur usane chaarapaaeeke neeche rakhe teenon bachchonke shav dikhaaye. yah dekhate hee sant phoota-phootakar rone lage. tab patnee bolee- 'svaamee! aap abhee-abhee to kah rahe the ki 'koee vyakti apanee vastu lena chaahe, to hamen vah vastu de denee chaahiye aur usake liye duhkh naheen karana chaahiye, lekin aap svayan hee bhool rahe hain. bachche bhagavaanne diye the, so unhonne le liye, phir ham unake liye kyon vritha shok karen ?'
in shabdonse santaka chitt halaka ho gaya aur ve bhagavad-bhajanamen leen ho gaye.

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अपनी वाणी में अमृत घोल
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