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सादगी  [Hindi Story]
Hindi Story - Short Story (Wisdom Story)

[4]

सादगी

विश्वके सबसे बड़े कार-कारखानेके मालिक और अमेरिकाके अरबपती उद्यमी हेनरी फोर्ड अत्यन्त सादगी पसन्द थे। धन
सम्पन्नताकी अतिके बावजूद उन्हें अहंकार छू भी नहीं पाया था। वे अपने कारखाने के छोटे-से-छोटे कर्मचारीसे भी स्नेहपूर्वक मिलते थे। अपने घरके नौकरोंसे भी उनका व्यवहार बहुत मधुर था सभीसे सहजतासे मिलना, सभीकी समस्याएँ सुनना, सभीका पक्ष समझना उनके स्वभावका अभिन्न अंग था।
एक दिन किसी भारतीय उद्योगपतिको फोर्डसे किसी व्यापारिक सौदेके विषयमें बात करनी थी। उसने पहलेसे समय लिया और निश्चित दिन फोर्डके घर पहुँच गया। जब वह फोर्डसे मिला तो देखा कि वे अपने भोजनके बर्तन साफ कर रहे थे। भारतीय उद्योगपति यह देखकर हैरान रह गया। उसने सकुचाते हुए पूछा कि 'आपके पास तो कई नौकर होंगे, फिर जूठे बर्तनोंकी सफाई स्वयं क्यों कर रहे हैं? आपको ऐसा करते देखकर मुझे बहुत संकोच हो रहा है और शर्म महसूस हो रही है।'
भारतीय उद्योगपतिके ऐसा कहनेपर फोर्डने उसकी ओर देखते हुए मुसकराकर कहा-'देखो भाई! हर व्यक्ति प्रत्येक सुबह अपने नित्यकर्मोंके लिये अपना सफाईकर्मी बनता है, यह एक ऐसा सच है, जो पूरी दुनियामें देखा जा सकता है; फिर अपने जूठे बर्तन साफ करनेमें क्या बुराई है, और न ही इसमें शर्म महसूस करनेकी बात है।' अरबपति उद्यमी हेनरीकी यह सादगी और बड़प्पन देखकर भारतीय उद्योगपतिका दिल उनके प्रति आदर भावसे भर गया। अपना काम स्वयं करनेसे परनिर्भरता नहीं रहती। यही आत्मनिर्भरता दृढ़ आत्मविश्वासको जन्म देती है, जो जीवनमें सफलता पानेका आधार बनती है।



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saadagee

[4]

saadagee

vishvake sabase bada़e kaara-kaarakhaaneke maalik aur amerikaake arabapatee udyamee henaree phord atyant saadagee pasand the. dhana
sampannataakee atike baavajood unhen ahankaar chhoo bhee naheen paaya thaa. ve apane kaarakhaane ke chhote-se-chhote karmachaareese bhee snehapoorvak milate the. apane gharake naukaronse bhee unaka vyavahaar bahut madhur tha sabheese sahajataase milana, sabheekee samasyaaen sunana, sabheeka paksh samajhana unake svabhaavaka abhinn ang thaa.
ek din kisee bhaarateey udyogapatiko phordase kisee vyaapaarik saudeke vishayamen baat karanee thee. usane pahalese samay liya aur nishchit din phordake ghar pahunch gayaa. jab vah phordase mila to dekha ki ve apane bhojanake bartan saaph kar rahe the. bhaarateey udyogapati yah dekhakar hairaan rah gayaa. usane sakuchaate hue poochha ki 'aapake paas to kaee naukar honge, phir joothe bartanonkee saphaaee svayan kyon kar rahe hain? aapako aisa karate dekhakar mujhe bahut sankoch ho raha hai aur sharm mahasoos ho rahee hai.'
bhaarateey udyogapatike aisa kahanepar phordane usakee or dekhate hue musakaraakar kahaa-'dekho bhaaee! har vyakti pratyek subah apane nityakarmonke liye apana saphaaeekarmee banata hai, yah ek aisa sach hai, jo pooree duniyaamen dekha ja sakata hai; phir apane joothe bartan saaph karanemen kya buraaee hai, aur n hee isamen sharm mahasoos karanekee baat hai.' arabapati udyamee henareekee yah saadagee aur bada़ppan dekhakar bhaarateey udyogapatika dil unake prati aadar bhaavase bhar gayaa. apana kaam svayan karanese paranirbharata naheen rahatee. yahee aatmanirbharata dridha़ aatmavishvaasako janm detee hai, jo jeevanamen saphalata paaneka aadhaar banatee hai.

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