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संगतिका प्रभाव  [Hindi Story]
छोटी सी कहानी - Story To Read (Shikshaprad Kahani)

संगतिका प्रभाव

किसी गाँव में एक कुख्यात चोर रहता था। उसनेकई चोरियाँ और हत्याएँ की थीं। उसका एक दोस्त था,जो मन-ही-मन उसे सुधारनेकी इच्छा रखता था।
एक दिन उसने अपने चोर दोस्तसे कहा-'मित्र |मैं तुम्हें एक ही बारमें बहुत सा धन कमानेका सरलउपाय बताता हूँ, फिर तुम्हें दूसरोंको लूटने की जरूरतनहीं पड़ेगी।'
चोर उसकी बात सुनकर बड़ा उत्साहित हुआ। दोस्तने अपनी बात जारी रखते हुए कहा- 'शहरसे बाहर एक गुफा है, जहाँ कुछ लोग रहते हैं। वे गरीब दीखते हैं, पर उनके पास छुपा हुआ खजाना है, अगर तुम उस दौलतको हासिल कर लेते हो, तो तुम्हारी सभी समस्याएँ मिट जायेंगी। पर उस दौलतको पानेके लिये तुम्हें उनके साथ उस गुफामें रहना होगा। तुम्हें उनका बोलना, चलना, जीनेका तरीका अपनाकर उनका विश्वास जीतना होगा। अगर तुम ऐसा कर सकते हो तो तुम खजानेको पा सकते हो।'
दोस्त की बातें सुनकर उस चोरके मनमें एक झटके में दौलतमन्द बनने की लालसा जाग उठी। वह गुफातक गया। अन्दर जानेपर बहुत से साधुओंको देखकर वह अचम्भित रह गया। वे आध्यात्मिकताकी खोजमें थे।
साधु अपनी ही दुनियामें इतने मग्न थे कि उन्होंने चोरकी उपस्थितिपर ध्यान ही नहीं दिया। वह चोर उन साधुओंके साथ रहने लगा। साधु धर्मपरायण जीवन यापन कर रहे थे। वे सुबह उठते, योग और ध्यान करते तथा शान्तिपूर्वक रहते। शर्तके अनुसार चोर उनकी नकल करने लगा।
इस तरह कुछ दिन गुजरनेपर चोरकी नीच भावनाएँ मिट गयीं और वह यह भी भूल गया कि वह किस इरादे से यहाँ आया था। एक दिन ध्यान लगाते समय उसे भगवान् के दर्शन हुए। उसी क्षण उसके सारे दुःख-दर्द समाप्त हो गये और उसे ज्ञान हुआ कि ईश्वरसे बढ़कर और कोई खजाना नहीं।
योगियोंकी संगतिने एक चोरको ज्ञानीमें बदल डाला। इसलिये हमें अच्छे लोगोंके साथ रहना चाहिये; क्योंकि संगतिका प्रभाव बदलाव लानेकी क्षमता रखता है। संस्कृतमें प्रसिद्ध है—'भ्रमर-कीट न्याय', जो इसी सच्चाईको दरसाता है। कहा जाता है कि भौरोंकी एक ऐसी प्रजाति है, जो प्रजनन नहीं करती । वह एक | साधारण मक्खीको पकड़कर अपने छत्तेमें कैद कर लेती है। यह साधारण मक्खी उस वातावरणमें रहकर, भँरिकी भिनभिनाहटको सुनते-सुनते बड़ी होनेपर, भौंरा ही बन जाती है।
क्यों न हम भी संगतिपर ध्यान दें?



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sangatika prabhaava

sangatika prabhaava

kisee gaanv men ek kukhyaat chor rahata thaa. usanekaee choriyaan aur hatyaaen kee theen. usaka ek dost tha,jo mana-hee-man use sudhaaranekee ichchha rakhata thaa.
ek din usane apane chor dostase kahaa-'mitr |main tumhen ek hee baaramen bahut sa dhan kamaaneka saralaupaay bataata hoon, phir tumhen doosaronko lootane kee jarooratanaheen pada़egee.'
chor usakee baat sunakar bada़a utsaahit huaa. dostane apanee baat jaaree rakhate hue kahaa- 'shaharase baahar ek gupha hai, jahaan kuchh log rahate hain. ve gareeb deekhate hain, par unake paas chhupa hua khajaana hai, agar tum us daulatako haasil kar lete ho, to tumhaaree sabhee samasyaaen mit jaayengee. par us daulatako paaneke liye tumhen unake saath us guphaamen rahana hogaa. tumhen unaka bolana, chalana, jeeneka tareeka apanaakar unaka vishvaas jeetana hogaa. agar tum aisa kar sakate ho to tum khajaaneko pa sakate ho.'
dost kee baaten sunakar us chorake manamen ek jhatake men daulatamand banane kee laalasa jaag uthee. vah guphaatak gayaa. andar jaanepar bahut se saadhuonko dekhakar vah achambhit rah gayaa. ve aadhyaatmikataakee khojamen the.
saadhu apanee hee duniyaamen itane magn the ki unhonne chorakee upasthitipar dhyaan hee naheen diyaa. vah chor un saadhuonke saath rahane lagaa. saadhu dharmaparaayan jeevan yaapan kar rahe the. ve subah uthate, yog aur dhyaan karate tatha shaantipoorvak rahate. shartake anusaar chor unakee nakal karane lagaa.
is tarah kuchh din gujaranepar chorakee neech bhaavanaaen mit gayeen aur vah yah bhee bhool gaya ki vah kis iraade se yahaan aaya thaa. ek din dhyaan lagaate samay use bhagavaan ke darshan hue. usee kshan usake saare duhkha-dard samaapt ho gaye aur use jnaan hua ki eeshvarase badha़kar aur koee khajaana naheen.
yogiyonkee sangatine ek chorako jnaaneemen badal daalaa. isaliye hamen achchhe logonke saath rahana chaahiye; kyonki sangatika prabhaav badalaav laanekee kshamata rakhata hai. sanskritamen prasiddh hai—'bhramara-keet nyaaya', jo isee sachchaaeeko darasaata hai. kaha jaata hai ki bhauronkee ek aisee prajaati hai, jo prajanan naheen karatee . vah ek | saadhaaran makkheeko pakada़kar apane chhattemen kaid kar letee hai. yah saadhaaran makkhee us vaataavaranamen rahakar, bhanrikee bhinabhinaahatako sunate-sunate bada़ee honepar, bhaunra hee ban jaatee hai.
kyon n ham bhee sangatipar dhyaan den?

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