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संतकी विचित्र असहिष्णुता  [हिन्दी कथा]
Story To Read - हिन्दी कहानी (Spiritual Story)

एक संत नौकामें बैठकर नदी पार कर रहे थे। संध्याका समय था। आखिरी नाव थी, इससे उसमें बहुत भीड़ थी। संत एक किनारे अपनी मस्तीमें बैठे थे। दो-तीन मनचले आदमियोंने संतका मजाक उड़ाना शुरू किया। संत अपनी मौजमें थे, उनका इधर ध्यान ही नहीं था। उन लोगोंने संतका ध्यान खींचनेके लिये उनके समीप जाकर पहले तो शोर मचाना और गालियाँ बकना आरम्भ किया। जब इसपर भी संतकी दृष्टिनासिकाके अग्रभागसे न हटी, तब वे संतको धीरे धीरे ढकेलने लगे। पास ही कुछ भले आदमी बैठे थे। उन्होंने उन बदमाशोंको डाँटा और संतसे कहा 'महाराज ! इतनी सहनशीलता अच्छी नहीं है, आपके शरीरमें काफी बल है, आप इन बदमाशोंको जरा सा डाँट देंगे तो ये अभी सीधे हो जायँगे।' अब संतकी दृष्टि उधर गयी। उन्होंने कहा- 'भैया! सहनशीलता कहाँ है, मैं तो असहिष्णु हूँ, सहनेकी शक्ति तो अभी मुझमें आयी ही नहीं है। हाँ, मैं इसका प्रतीकार अपने ढंगसे कर रहा था। मैं भगवान्से प्रार्थना करता था कि 'वे कृपा कर इनकी बुद्धिको सुधार दें, जिससे इनका हृदय निर्मल हो जाय।' संतकी और उन भले आदमियोंकी बात सुनकर बदमाशोंके क्रोधका पारा बहुत ऊपर चढ़ गया। वे संतको उठाकर नदीमें फेंकनेको तैयार हो गये। इतनेमें ही आकाशवाणी हुई 'हे संतशिरोमणि! ये बदमाश तुम्हें नदीके अथाह जलमें डालकर डुबो देना चाहते हैं, तुम कहो तो इनको अभी भस्म कर दिया जाय।' आकाशवाणी सुनकर बदमाशोंके होश हवा हो गये और संत रोने लगे। संतको रोते हुए देखकर बदमाशोंने निश्चित समझ लिया कि अब यह हमलोगोंको भस्म करनेके लिये कहनेवाले हैं। वे काँपने लगे। इसी बीचमें संतने कहा-'ऐसा न करें स्वामी! मुझ तुच्छ जीवके लिये इन कई जीवोंके प्राण न लिये जायँ । प्रभो! यदि आप मुझपर प्रसन्न हैं और यदि मेरे मनमें इनके विनाशकी नहीं, परंतु इनके सुधारकी सच्ची आकाङ्क्षा है तो आप इनको भस्म न करके इनके मनमें बसे हुए कुविचारों और कुभावनाओंको, इनके दोषों और दुर्गुणोंको तथा इनके पापों और तापोंको भस्म करके इन्हें निर्मलहृदय और सुखी बना दीजिये।' आकाशवाणीने कहा- 'संतशिरोमणि! ऐसा ही होगा। तुम्हारा भाव बहुत ऊँचा है। तुम हमको अत्यन्त प्यारे हो। तुम्हें धन्य है ।'

बस, बदमाश परम साधु बन गये और संतके चरणोंपर गिर पड़े।



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santakee vichitr asahishnutaa

ek sant naukaamen baithakar nadee paar kar rahe the. sandhyaaka samay thaa. aakhiree naav thee, isase usamen bahut bheeda़ thee. sant ek kinaare apanee masteemen baithe the. do-teen manachale aadamiyonne santaka majaak uda़aana shuroo kiyaa. sant apanee maujamen the, unaka idhar dhyaan hee naheen thaa. un logonne santaka dhyaan kheenchaneke liye unake sameep jaakar pahale to shor machaana aur gaaliyaan bakana aarambh kiyaa. jab isapar bhee santakee drishtinaasikaake agrabhaagase n hatee, tab ve santako dheere dheere dhakelane lage. paas hee kuchh bhale aadamee baithe the. unhonne un badamaashonko daanta aur santase kaha 'mahaaraaj ! itanee sahanasheelata achchhee naheen hai, aapake shareeramen kaaphee bal hai, aap in badamaashonko jara sa daant denge to ye abhee seedhe ho jaayange.' ab santakee drishti udhar gayee. unhonne kahaa- 'bhaiyaa! sahanasheelata kahaan hai, main to asahishnu hoon, sahanekee shakti to abhee mujhamen aayee hee naheen hai. haan, main isaka prateekaar apane dhangase kar raha thaa. main bhagavaanse praarthana karata tha ki 've kripa kar inakee buddhiko sudhaar den, jisase inaka hriday nirmal ho jaaya.' santakee aur un bhale aadamiyonkee baat sunakar badamaashonke krodhaka paara bahut oopar chadha़ gayaa. ve santako uthaakar nadeemen phenkaneko taiyaar ho gaye. itanemen hee aakaashavaanee huee 'he santashiromani! ye badamaash tumhen nadeeke athaah jalamen daalakar dubo dena chaahate hain, tum kaho to inako abhee bhasm kar diya jaaya.' aakaashavaanee sunakar badamaashonke hosh hava ho gaye aur sant rone lage. santako rote hue dekhakar badamaashonne nishchit samajh liya ki ab yah hamalogonko bhasm karaneke liye kahanevaale hain. ve kaanpane lage. isee beechamen santane kahaa-'aisa n karen svaamee! mujh tuchchh jeevake liye in kaee jeevonke praan n liye jaayan . prabho! yadi aap mujhapar prasann hain aur yadi mere manamen inake vinaashakee naheen, parantu inake sudhaarakee sachchee aakaanksha hai to aap inako bhasm n karake inake manamen base hue kuvichaaron aur kubhaavanaaonko, inake doshon aur durgunonko tatha inake paapon aur taaponko bhasm karake inhen nirmalahriday aur sukhee bana deejiye.' aakaashavaaneene kahaa- 'santashiromani! aisa hee hogaa. tumhaara bhaav bahut ooncha hai. tum hamako atyant pyaare ho. tumhen dhany hai .'

bas, badamaash param saadhu ban gaye aur santake charanonpar gir pada़e.

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