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संसारके सुखोंकी अनित्यता  [छोटी सी कहानी]
Hindi Story - छोटी सी कहानी (Short Story)

किसी नगरमें एक गृहस्थके घर एक गाय पली थी। एक दिन उस गायका बछड़ा बहुत उदास हो रहा था। वह समयपर माताके स्तनोंमें मुख लगाकर दूध पीनेमें भी उस दिन उत्साह नहीं दिखला रहा था। गायने अपने बच्चेकी यह दशा देखकर पूछा 'बेटा! आज तुम इतने उदास क्यों हो? उत्साहपूर्वक दूध क्यों नहीं पीते हो ?'

बछड़ा बोला -'माँ ! तुम उस भेंड़ेकी ओर तो देखो। वह काला कलूटा है, मुझसे छोटा है और सुस्त भी है; किंतु अपने स्वामीका पुत्र उसे कितना प्यार करता है। उसे वह रोटी खिलाता है, हरी-हरी घास देता है, मटरकी फलियाँ अपने हाथों खिलाता है और उसे पुचकारता है। उस भेंड़ेको स्वामीके पुत्रने घंटियाँ पहिनायी हैं और उसके सींगोंमें प्रतिदिन तेल लगाता है। दूसरी ओर मुझ अभागेकी कोई पूछ ही नहीं। मुझे पेटभर सूखी घास भी नहीं दी जाती समयपर कोई मुझे पानीतक नहीं पिलाता। मुझमें ऐसा क्या दोष है ? मैंने कौन-सा अपराध किया है?"

गाय बोली- 'बेटा! व्यर्थ दुःख मत करो। यह संसार ऐसा है कि यहाँ बहुत सुख और बहुत सम्मान मिलना बड़े भयकी बात है। संसारके सुख और सम्मानके पीछे रोग, शोक, मृत्यु तथा पतन छिपे हैं।तुम लोभ मत करो और दूसरेका सुख-सम्मान देखकर दुःखी भी मत । वह तो दयाका पात्र है जैसे मरणासन रोगी जो कुछ चाहता है, उसे दिया जाता है; वैसे ही यह भेंड़ा भी मरणासन्न है। इसे मारनेके लिये पुष्ट किया जा रहा है। हमारे सूखे तृण ही हमारे लिये शुभ हैं।' कुछ दिन बीत गये। एक संध्याको गौ जब वनसे चरकर लौटी, तब उसने देखा कि उसका बछड़ा भयसे काँप रहा है। वह न दौड़ता है, न बोलता है। दीवारसे सटा दुबका खड़ा है। पास जानेपर भी उसने दूध पीनेका कोई प्रयत्न नहीं किया। गायने उसे चाटते हुए पूछा- 'बेटा! आज तुझे क्या हो गया है।'

बछड़ा बोला -'माँ! मैंने देखा है कि उस भेंड़ेको पहले तो खूब सजाया गया, फूल-माला पहिनायी गयी; किंतु पीछे एक मनुष्यने उसका मस्तक काट दिया। केवल एक बार चीत्कार कर सका बेचारा ! उसने थोड़ी ही देर पैर पछाड़े। उसके शरीरके भी हत्यारोंने टुकड़े टुकड़े कर दिये। अब भी वहाँ आँगनमें भेंडेका रक्त

पड़ा है। मैं तो यह सब देखकर बहुत डर गया हूँ।' गायने बछड़ेको पुचकारा और वह बोली-'मैंने तो तुमसे पहिले ही कहा था कि संसारके सुख और सम्मानसे सावधान रहना चाहिये। इनके पीछे ही रोग, शोक, पतन और विनाश दबे पैर आते हैं।' -सु0 सिं0



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sansaarake sukhonkee anityataa

kisee nagaramen ek grihasthake ghar ek gaay palee thee. ek din us gaayaka bachhada़a bahut udaas ho raha thaa. vah samayapar maataake stanonmen mukh lagaakar doodh peenemen bhee us din utsaah naheen dikhala raha thaa. gaayane apane bachchekee yah dasha dekhakar poochha 'betaa! aaj tum itane udaas kyon ho? utsaahapoorvak doodh kyon naheen peete ho ?'

bachhada़a bola -'maan ! tum us bhenड़ekee or to dekho. vah kaala kaloota hai, mujhase chhota hai aur sust bhee hai; kintu apane svaameeka putr use kitana pyaar karata hai. use vah rotee khilaata hai, haree-haree ghaas deta hai, matarakee phaliyaan apane haathon khilaata hai aur use puchakaarata hai. us bhenda़eko svaameeke putrane ghantiyaan pahinaayee hain aur usake seengonmen pratidin tel lagaata hai. doosaree or mujh abhaagekee koee poochh hee naheen. mujhe petabhar sookhee ghaas bhee naheen dee jaatee samayapar koee mujhe paaneetak naheen pilaataa. mujhamen aisa kya dosh hai ? mainne kauna-sa aparaadh kiya hai?"

gaay bolee- 'betaa! vyarth duhkh mat karo. yah sansaar aisa hai ki yahaan bahut sukh aur bahut sammaan milana bada़e bhayakee baat hai. sansaarake sukh aur sammaanake peechhe rog, shok, mrityu tatha patan chhipe hain.tum lobh mat karo aur doosareka sukha-sammaan dekhakar duhkhee bhee mat . vah to dayaaka paatr hai jaise maranaasan rogee jo kuchh chaahata hai, use diya jaata hai; vaise hee yah bhenda़a bhee maranaasann hai. ise maaraneke liye pusht kiya ja raha hai. hamaare sookhe trin hee hamaare liye shubh hain.' kuchh din beet gaye. ek sandhyaako gau jab vanase charakar lautee, tab usane dekha ki usaka bachhada़a bhayase kaanp raha hai. vah n dauda़ta hai, n bolata hai. deevaarase sata dubaka khada़a hai. paas jaanepar bhee usane doodh peeneka koee prayatn naheen kiyaa. gaayane use chaatate hue poochhaa- 'betaa! aaj tujhe kya ho gaya hai.'

bachhada़a bola -'maan! mainne dekha hai ki us bhenड़eko pahale to khoob sajaaya gaya, phoola-maala pahinaayee gayee; kintu peechhe ek manushyane usaka mastak kaat diyaa. keval ek baar cheetkaar kar saka bechaara ! usane thoda़ee hee der pair pachhaada़e. usake shareerake bhee hatyaaronne tukada़e tukada़e kar diye. ab bhee vahaan aanganamen bhendeka rakta

pada़a hai. main to yah sab dekhakar bahut dar gaya hoon.' gaayane bachhada़eko puchakaara aur vah bolee-'mainne to tumase pahile hee kaha tha ki sansaarake sukh aur sammaanase saavadhaan rahana chaahiye. inake peechhe hee rog, shok, patan aur vinaash dabe pair aate hain.' -su0 sin0

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