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सच्ची दानशीलता  [प्रेरक कथा]
Story To Read - Moral Story (शिक्षदायक कहानी)

श्री ईश्वरचन्द्र विद्यासागर मार्ग चलते समय भी देखते जाते थे कि किसीको उनकी सेवाकी आवश्यकता तो नहीं है। एक दिन वे कलकत्तेमें कहीं जा रहे थे।उनकी दृष्टि एक व्यक्तिपर पड़ी, जो सिर झुकाये, बहुत उदास चला जा रहा था। विद्यासागरने पूछा - 'आप इतने उदास क्यों हैं ?'विद्यासागर न उसे पहचानते थे और न वह इन्हें । एक अपरिचितको इस प्रकार पूछते देखकर उसने लंबी श्वास ली और बोला – 'विपत्तिका मारा हूँ, भाई !'

'कौन हैं आप? क्या विपत्ति है आपपर ?' विद्यासागरने फिर पूछा; किंतु बहुत सादे कपड़ोंमें रहनेवाले विद्यासागरको उसने एक साधारण निर्धन मनुष्य समझकर कहा 'आप सुनकर क्या करेंगे! आप कोई सहायता नहीं कर सकते।'

विद्यासागर यों छोड़ देनेवाले नहीं थे। उनके आग्रह करनेपर उसने अपनी विपत्ति बतलायी। वह एक गरीब ब्राह्मण था। अपनी पुत्रीके विवाहमें ऋण लेना पड़ा थाउसे और अब महाजनने दावा कर दिया था। रुपये देनेका कोई प्रबन्ध हो नहीं रहा था। विद्यासागरने उसका नाम, पता तथा मुकदमा किस अदालतमें है, यह पूछकर ब्राह्मणके साथ सहानुभूति प्रकट की और वे चले गये।

मुकदमेकी तारीखपर ब्राह्मण अदालतमें उपस्थित हुआ तो उसे पता लगा कि उसकी ओरसे किसीने रुपये जमा कर दिये हैं, मुकदमा समाप्त हो चुका है। वह सोचने लगा – 'किस उदार पुरुषने उसपर दया की ?" किंतु मार्गमें मिले अत्यन्त साधारण दीखनेवाले उस दिनके व्यक्तिका यह काम हो सकता है, यह बात उसके ध्यानमें आ ही कैसे सकती थी । - सु0 सिं0



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sachchee daanasheelataa

shree eeshvarachandr vidyaasaagar maarg chalate samay bhee dekhate jaate the ki kiseeko unakee sevaakee aavashyakata to naheen hai. ek din ve kalakattemen kaheen ja rahe the.unakee drishti ek vyaktipar pada़ee, jo sir jhukaaye, bahut udaas chala ja raha thaa. vidyaasaagarane poochha - 'aap itane udaas kyon hain ?'vidyaasaagar n use pahachaanate the aur n vah inhen . ek aparichitako is prakaar poochhate dekhakar usane lanbee shvaas lee aur bola – 'vipattika maara hoon, bhaaee !'

'kaun hain aapa? kya vipatti hai aapapar ?' vidyaasaagarane phir poochhaa; kintu bahut saade kapada़onmen rahanevaale vidyaasaagarako usane ek saadhaaran nirdhan manushy samajhakar kaha 'aap sunakar kya karenge! aap koee sahaayata naheen kar sakate.'

vidyaasaagar yon chhoda़ denevaale naheen the. unake aagrah karanepar usane apanee vipatti batalaayee. vah ek gareeb braahman thaa. apanee putreeke vivaahamen rin lena pada़a thaause aur ab mahaajanane daava kar diya thaa. rupaye deneka koee prabandh ho naheen raha thaa. vidyaasaagarane usaka naam, pata tatha mukadama kis adaalatamen hai, yah poochhakar braahmanake saath sahaanubhooti prakat kee aur ve chale gaye.

mukadamekee taareekhapar braahman adaalatamen upasthit hua to use pata laga ki usakee orase kiseene rupaye jama kar diye hain, mukadama samaapt ho chuka hai. vah sochane laga – 'kis udaar purushane usapar daya kee ?" kintu maargamen mile atyant saadhaaran deekhanevaale us dinake vyaktika yah kaam ho sakata hai, yah baat usake dhyaanamen a hee kaise sakatee thee . - su0 sin0

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