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हम सीख सकते हैं  [Hindi Story]
Hindi Story - आध्यात्मिक कहानी (Story To Read)

हम सीख सकते हैं

चीनके वे पतले और दुर्गम मार्ग अपनी भयंकरताके लिये प्रसिद्ध हैं। एक ओर मीलों नीचा खड्डा और दूसरी और सीधे गगनचुम्बी पर्वत। बस, यह चीनी कुलियोंक ही है कि बड़े-बड़े चायके गट्ठर लिये वे उस मार्गसे पार हो जाते हैं। तनिक-सा पैर हिला और गड्ढे में अस्थियोंका भी पता नहीं रहेगा। साधारण मनुष्य तो भयसे ही गिर जायगा। इन मार्गोंमें बीचसे लौटना तो सम्भव ही नहीं। इतना स्थान नहीं कि कोई घूम सके, बेबारे कुली भी पर्वतपरसे बर्फ गिरनेके कारण प्रतिवर्ष बहुत -से मरते हैं, पर उन्हें तो उस मार्गसे जाना ही पड़ता है। पापी पेट साथ जो ठहरा।
मि0 राबर्ट शिकारके बड़े व्यसनी थे। वे चीनमें अभी-अभी ही आये थे। वे जंगलमें रस्सी, बन्दूक, दूरबीन आदि आवश्यक सामग्री लेकर गये। एक उपर्युक्त प्रकारके दुर्गम मार्गके पास पहुँचकर रुक गये। उसपर रीछ बहुत थे। इनको शिकार खेलना था। मार्गके उस ओरसे एक रीछ आ रहा था। ये अपनी बन्दूक सम्हालकर एक ओर हटकर देखने लगे।
इसी समय इस ओरसे भी एक रीछ उसी मार्गसे चला। आरम्भम मार्ग कुछ मुड़ता था, अतः उन दोनोंने एक-दूसरेको देखा नहीं। मि0 राबर्टने सोचा 'अवश्य ये। दोनों एक-दूसरेसे झगड़ाकर खड्ढे में गिरेंगे।' इधरसे जानेवाला रीछ बड़ा था और उधरसे आनेवाला छोटा, पर मार्ग छोटे रीछने अधिक पार कर लिया था। दोनों एक-दूसरेके सामने पहुँचकर शान्त खड़े हो गये। बड़े रोहने कुछ बड़-बड़ाकर कहा और धीरेसे उसी मार्ग में लेट गया। छोटा रीछ उसके शरीरपरसे आगे बढ़ा। उसके पार हो जानेपर दूसरेने भी अपना मार्ग लिया। शिकारीपर पशुओंके इस सौजन्यका ऐसा प्रभाव पड़ा कि वह चुपचाप बन्दूक लेकर लौट आया।
मध्यप्रदेशके बाघ और चीते मिलते हैं। जंगली वाराह तो वहाँ चाहे जब देखे जा सकते हैं। इतनेपर भी वहाँके गोपालोंको वनमें निर्द्वन्द्व पशु चराते आप पायेंगे। इसका कारण है, वे अपने पालतू पशुओंकी स्वामिभक्तिकेकारण वनमें भयंकर पशुओंसे निर्भय होते हैं।
मध्यप्रदेशकी भैंसोंके सींग प्रसिद्ध हैं। उधर छोटीसींगकी भैंसें होती ही नहीं। उनके सींग सीधे टेढ़े दोनों ओर फैले होते हैं। परस्पर लड़ाई होनेपर सींग बहुधा टूटते हैं। कभी-कभी परस्पर उलझ भी जाते हैं।
पिछले दिनों एक ग्वाला अपने पशुओंके साथ सन्ध्याको वनसे लौट रहा था। कहींसे बाघकी आहट मिली, पशु अपने-आप एकत्र हो गये। ग्वाला अपने बड़े भैंसेपर बैठ गया। भैंसोंने उस भैंसेको बीचमें कर लिया। भैँसेकी ओर पीठ और बाहरकी ओर मुख, इस प्रकार पशुओंने एक वृत्त बना लिया। बाघ सम्भवतः भूखा था, प्राणपर खेलकर आक्रमण किया। वह उछलकर बीचसे ग्वालेको ले जाना चाहता था।
बाघ उछला, भैंसा हट गया। उसी क्षण पशुओंका व्यूह उलट गया। पीठ बाहर और मुख भीतर एक साथ सैकड़ों तीक्ष्ण सींग बाघके शरीरमें घुस गये। न वह तड़प सका, न हिल सका: बस, वहीं समाप्त हो गया।
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बगीचा पास था, बगीचेमें बन्दरोंका निवास था। वैसे बन्दर ग्राममें भी दिनभर ऊधम मचाते रहते थे। कुएँके पास तो उनका जमघट लगा ही रहता था। गरमीके दिन थे, पानी एवं शीतलता यहीं प्राप्त होती थी। इसी कुएँका अच्छा जल था, अतः ग्रामीण स्त्रियाँ यहींसे जल ले जाती थीं।
छोटे बच्चे सभीके ऊधमी होते हैं, फिर बन्दरोंमें तो वृद्ध भी ऊधमी होते हैं। बच्चोंकी क्या चर्चा । उछल-कूदमें एक बच्चा कुएँमें गिर गया। पासके बन्दर चीखने लगे। चीख सुनते ही आस-पासके सब बन्दर दौड़ आये। कुएँके चारों ओर एकत्र होकर उन्होंने झाँककर देखा, बच्चा जलपर तैर रहा था। वे एक क्षणतक केवल चीखते और झाँकते रहे।
सहसा एक बन्दर जो कि सबमें बलवान् था, कुएँके ऊपर लगे खम्भेको हाथोंसे पकड़कर कुएँमें लटक गया। दूसरा बन्दर उसके ऊपरसे गया और उसके पिछले पैरको कमरके पाससे पकड़कर लटका। फिर तो क्रम बंध गया, एक-दूसरेके ऊपरसे जाकर वे लटकते गये। पंक्ति जलतक पहुँची, अन्तिम बन्दर बच्चे को लेकर उस पंक्तिसे ऊपर आ गया। फिर नीचेसे वे क्रमशः ऊपर आने लगे और सब ऊपर आ गये।
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नेवलेकी बुद्धिमत्ता तो नहीं, पर स्वामिभक्ति प्रसिद्ध है। उसे लोग इसलिये नहीं पालते कि वह स्वामीके अप्रसन्न होते ही आत्महत्या कर लेता है। स्वामीके अप्रसन्न होते ही वह अपने शरीरको रखनेयोग्य नहीं समझता।
कुत्तोंकी स्वामिभक्तिके साथ बुद्धिमानी भी प्रसिद्ध है। वे अपराधियोंका पता लगाते हैं, संस्थाओंके लिये चन्दा करते हैं, पाश्चात्त्य लोग उनसे और भी बहुत से काम लेते हैं।
घरकी रखवाली तो कुत्ते हमारे देशमें भी करते हैं। सहस्रोंकी भीड़में अपने स्वामीको पहचाननेमें ग्रामसिंहको कोई कष्ट नहीं होता। वह सूँघकर अपने पोषकको पहचान लेता है। इसके अतिरिक्त उसमें आश्चर्यजनक त्याग एवं सहनशीलता होती है। वह स्वामीके लिये सरलतासे शरीरका त्याग कर सकता है।
अफ्रिकाके जंगलमें एक मजदूर लकड़ी काटने गया।। मजदूरने एक पेड़के नीचे दोपहरके भोजनके लिये लायी रोटियाँ रख दीं और अपने कुत्तेको उनकी रक्षाके लिये छोड़ दिया। दूसरे पशु भी रक्षकके अभावमें रोटियाँ ले जा सकते थे। मजदूर जंगलमें दूर कामयोग्य लकड़ी ढूँढ़ने चला।
वनोंके अन्वेषक जोन्स महाशय घूमते हुए उधरपहुँचे। जब वे उस कुत्तेके पास पहुँचे तो उस बनको ओर आती हुई दावाग्नि उन्होंने देखी। कुरोको डराकर भगा देनेकी उन्होंने चेष्टा की, पर वह अपने स्थानसे हटा नहीं। विवश होकर वे मजदूरको समाचार देने आगे बढ़े। बड़ी देरमें दूर जाकर वह मजदूर उन्हें मिला। समाचार पाते ही वह दौड़ा। चीड़का वन इतनी देरमें जल भी चुका था। मजदूरको चिन्ता करते देख जोन्स महाशयने कहा- रोटियोंके लिये चिन्ता मत करो, मेरे पास हैं। मैं तुम्हें दे दूंगा। वह बोला-महोदय। मुझे रोटियोंकी चिन्ता नहीं। मेरा कुत्ता जल गया। मेरी आज्ञाके बिना वह उस स्थानसे हटा भी नहीं होगा। दूसरे दिन देखा गया कि ठीक उसी स्थानपर कुत्तेके शरीरकी भस्म है। स्वामीकी आज्ञाका पालन करनेके लिये उसने बिना हिले-डुले अपनी आहुति दे दी थी।
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हम अपनेको सभ्य मनुष्य कहते हैं। पर हम एक दूसरेके रक्तके पिपासु रहते हैं, भाई-भाईमें ही मतैक्य नहीं। स्वामीको धोखा देनेकी तो सोचते ही रहते हैं। उस जगत्के स्वामीके लिये हम थोड़ा भी कष्ट उठाना नहीं चाहते। चाहें तो परस्पर सौहार्द, मैत्री, सहयोग, संगठन, त्याग और स्वामिभक्तिके उच्च आदर्शके रूपमें ये बातें पशुओंसे हम सीख सकते हैं। [ श्रीसुदर्शनसिंहजी 'चक्र' ]



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ham seekh sakate hain

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cheenake ve patale aur durgam maarg apanee bhayankarataake liye prasiddh hain. ek or meelon neecha khadda aur doosaree aur seedhe gaganachumbee parvata. bas, yah cheenee kuliyonk hee hai ki bada़e-bada़e chaayake gatthar liye ve us maargase paar ho jaate hain. tanika-sa pair hila aur gaddhe men asthiyonka bhee pata naheen rahegaa. saadhaaran manushy to bhayase hee gir jaayagaa. in maargonmen beechase lautana to sambhav hee naheen. itana sthaan naheen ki koee ghoom sake, bebaare kulee bhee parvataparase barph giraneke kaaran prativarsh bahut -se marate hain, par unhen to us maargase jaana hee pada़ta hai. paapee pet saath jo thaharaa.
mi0 raabart shikaarake bada़e vyasanee the. ve cheenamen abhee-abhee hee aaye the. ve jangalamen rassee, bandook, doorabeen aadi aavashyak saamagree lekar gaye. ek uparyukt prakaarake durgam maargake paas pahunchakar ruk gaye. usapar reechh bahut the. inako shikaar khelana thaa. maargake us orase ek reechh a raha thaa. ye apanee bandook samhaalakar ek or hatakar dekhane lage.
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