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सेवा भाव से भगवान की प्राप्ति का बहुत ही सरल रास्ता

 संसार सदा बदलता रहता….
….इससे हम कभी सुखी नहीं हो सकते


इसके द्वारा सेवा करने से हमें लाभ हो सकता है परंतु संसार की प्राप्ति से हमें स्थाई सुख नहीं मिल सकता

इसके द्वारा हमें तत्वज्ञान नहीं हो सकता यह हमें निहाल नहीं कर सकता परंतु इसके त्याग के द्वारा निहाल हो सकते हैं

उसके उपयोग के द्वारा निहाल हो सकते हैं.... पर हम जो सोचते हैं संसार से निहाल हो जाएंगे यह बड़े धोखे की बात है

शरीर के द्वारा सेवा करो या त्याग करो या इसका सदुपयोग करो तो परमात्मा की प्राप्ति हो सकती हैं

परमात्मा को मान सकते हैं और शरीर तथा संसार को जान सकते हैं


नाशवान शरीर को नाशवान संसार की सेवा में लगा दो तो हमारा इससे संबंध विच्छेद हो जाएगा

...और हमें भगवान की प्राप्ति हो जाएगी

या तो शरीर से सेवा करो या फिर पूरी तरह शरीर से असंग हो जाओ यह दो उपाय हैं

असंगता कठिन है क्योंकि बहुत तेज बैराग की जरूरत है इसके लिए परंतु सेवा सरल है

असली वैराग्यवान वह है जिससे अनुकूलता अच्छी नहीं लगती 

…..आराम अच्छा नहीं लगता ….. संग्रह अच्छा नहीं लगता ….. सत्कार अच्छा नहीं लगता

सुखदाई वस्तुओं से वैरागी की आवश्यकता है जो बहुत कठिन है इसलिए सेवा करो

घर के सभी सदस्यों की सेवा करो परंतु उनसे सुख न चाहो इतने  से ही कल्याण हो जाएगा

उनसे आदर मत चाहो और यह भी मत चाहो कि वह आपको अच्छा माने

अपने हक की कमाई से जीवन जीने का प्रयत्न करो और दूसरों से वस्तु की अपेक्षा मत रखो

यह जीवन पुराने कर्मों का फल है और इस जन्म में यदि भगवान की तरफ नहीं चले तो यह पुरानी कमाई समाप्त हो जाएगी और नया भी कुछ हक नहीं लगेगा

भगवान की प्राप्ति के लिए ही मानव जन्म मिला है
....संग्रह और सुख की इच्छा भगवान की प्राप्ति में बहुत बड़ी बाधक है


सुख और स्वाद की इच्छा होगी तो संसार में बंध जाओगे

प्रारब्ध से जो मिल जाए उसमें संतोष कर लो

भोजन वह करो जो स्वास्थ्य की दृष्टि से भी ठीक हो और शास्त्र की दृष्टि से भी ठीक हो

ईमानदारी से धन कमाओ और झूठ और बेईमानी से बचो


ईमानदारी से भी अच्छा निर्वाह हो जाता है इस पर भरोसा रखो

ठीक मार्ग पर चलने के लिए जो कष्ट हम सहन करेंगे वह हमें भगवत प्राप्ति करवा देंगे….
…..मुश्किल समय में अपने धर्म पर बने रहने का बहुत महत्व है



धीरज धर्म मित्र और नारि
आपद काल परखिये चारि







seva bhaav se bhagavaan kee praapti ka bahut hee saral raastaa

 sansaar sada badalata rahataa….
….isase ham kabhee sukhee naheen ho sakate


isake dvaara seva karane se hamen laabh ho sakata hai parantu sansaar kee praapti se hamen sthaaee sukh naheen mil sakataa

isake dvaara hamen tatvajnaan naheen ho sakata yah hamen nihaal naheen kar sakata parantu isake tyaag ke dvaara nihaal ho sakate hain

usake upayog ke dvaara nihaal ho sakate hain.... par ham jo sochate hain sansaar se nihaal ho jaaenge yah bada़e dhokhe kee baat hai

shareer ke dvaara seva karo ya tyaag karo ya isaka sadupayog karo to paramaatma kee praapti ho sakatee hain

paramaatma ko maan sakate hain aur shareer tatha sansaar ko jaan sakate hain


naashavaan shareer ko naashavaan sansaar kee seva men laga do to hamaara isase sanbandh vichchhed ho jaaega

...aur hamen bhagavaan kee praapti ho jaaegee

ya to shareer se seva karo ya phir pooree tarah shareer se asang ho jaao yah do upaay hain

asangata kathin hai kyonki bahut tej bairaag kee jaroorat hai isake lie parantu seva saral hai

asalee vairaagyavaan vah hai jisase anukoolata achchhee naheen lagatee 

…..aaraam achchha naheen lagata ….. sangrah achchha naheen lagata ….. satkaar achchha naheen lagataa

sukhadaaee vastuon se vairaagee kee aavashyakata hai jo bahut kathin hai isalie seva karo

ghar ke sabhee sadasyon kee seva karo parantu unase sukh n chaaho itane  se hee kalyaan ho jaaegaa

unase aadar mat chaaho aur yah bhee mat chaaho ki vah aapako achchha maane

apane hak kee kamaaee se jeevan jeene ka prayatn karo aur doosaron se vastu kee apeksha mat rakho

yah jeevan puraane karmon ka phal hai aur is janm men yadi bhagavaan kee taraph naheen chale to yah puraanee kamaaee samaapt ho jaaegee aur naya bhee kuchh hak naheen lagegaa

bhagavaan kee praapti ke lie hee maanav janm mila hai
....sangrah aur sukh kee ichchha bhagavaan kee praapti men bahut bada़ee baadhak hai


sukh aur svaad kee ichchha hogee to sansaar men bandh jaaoge

praarabdh se jo mil jaae usamen santosh kar lo

bhojan vah karo jo svaasthy kee drishti se bhee theek ho aur shaastr kee drishti se bhee theek ho

eemaanadaaree se dhan kamaao aur jhooth aur beeemaanee se bacho


eemaanadaaree se bhee achchha nirvaah ho jaata hai is par bharosa rakho

theek maarg par chalane ke lie jo kasht ham sahan karenge vah hamen bhagavat praapti karava denge….
…..mushkil samay men apane dharm par bane rahane ka bahut mahatv hai



dheeraj dharm mitr aur naari
aapad kaal parakhiye chaari







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