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जब नारद मुनि ने भगवान से पूछ लिया कि सबसे बड़ा कौन है, तो उसका उत्तर सुन कर नारद मुनि भी हैरान रह गए

एक बार देवर्षि नारदजीके मनमें यह जाननेकी इच्छा हुई कि जगत्में सबसे महान कौन है ?'

इसलिये वे सीधे भगवान् विष्णुके पास पहुंचे। उन्होंने सोचा कि 'सच्ची बात वहाँसे मालूम होगी: क्योंकि भगवान् हो नित्य सत्य सर्वज्ञ हैं और वे अभिमानी पुरुषोंकी भाँति अपनी बड़ाई भी नहीं करेंगे: क्योंकि अपने मुँहसे अपनी बड़ाई करना तो आत्महत्या के समान महापाप है।'

नारदजीने वैकुण्ठमें जाकर भगवान्‌से पूछा- 'भगवन्! जगत्‌में सबसे बड़ा कौन है? यह बतानेको कृपा कीजिये।'

भगवान् नारदजीका भाव समझ गये और बोले:

पृथ्वी तावदतीय विस्तृतिमती तद्वेष्टनं वारिधि:
पीतोऽसौ कलशोद्भवेन मुनिना स व्योग्नि खद्योतवत्।
तद् व्याप्तं दनुजाधिपस्य जयिना पादेन चैकेन खं तं
त्वं चेतसि धारयस्यविरतं त्वत्तोऽस्ति नान्यो महान् ॥

'पृथ्वी अत्यन्त विस्तारवाली है, परंतु वह समुद्रसेघिरी है; अतः वह भी बड़ी नहीं है। समुद्रको अगस्त्य मुनि पी गये, अतः वह भी बड़ा नहीं है। अगस्त्यजी महान् आकाशमें एक क्षुद्र जुगनूकी तरह चमकते हैं, इससे वे भी बड़े नहीं हैं। आकाशको दैत्यराज बलिके यज्ञमें भगवान् वामनजीने एक पैरसे नाप लिया था, इसलिये वह भी बड़ा नहीं है। और भगवान्‌के पैर निरन्तर तुम्हारे अर्थात् भक्तके चित्तमें रहते हैं, इससे वे भी बड़े नहीं हैं अर्थात् बड़े हो तुम, जिसने उन चरणोंको हृदयमें धारण कर रखा है। तुमसे (भक्तसे) बड़ा और कोई नहीं है।'



jab naarad muni ne bhagavaan se poochh liya ki sabase baड़a kaun hai, to usaka uttar sun kar naarad muni bhee hairaan rah gae

ek baar devarshi naaradajeeke manamen yah jaananekee ichchha huee ki jagatmen sabase mahaan kaun hai ?'

isaliye ve seedhe bhagavaan vishnuke paas pahunche. unhonne socha ki 'sachchee baat vahaanse maaloom hogee: kyonki bhagavaan ho nity saty sarvajn hain aur ve abhimaanee purushonkee bhaanti apanee bada़aaee bhee naheen karenge: kyonki apane munhase apanee bada़aaee karana to aatmahatya ke samaan mahaapaap hai.'

naaradajeene vaikunthamen jaakar bhagavaan‌se poochhaa- 'bhagavan! jagat‌men sabase bada़a kaun hai? yah bataaneko kripa keejiye.'

bhagavaan naaradajeeka bhaav samajh gaye aur bole:

prithvee taavadateey vistritimatee tadveshtanan vaaridhi:
peeto'sau kalashodbhaven munina s vyogni khadyotavat.
tad vyaaptan danujaadhipasy jayina paaden chaiken khan tan
tvan chetasi dhaarayasyaviratan tvatto'sti naanyo mahaan ..

'prithvee atyant vistaaravaalee hai, parantu vah samudraseghiree hai; atah vah bhee bada़ee naheen hai. samudrako agasty muni pee gaye, atah vah bhee bada़a naheen hai. agastyajee mahaan aakaashamen ek kshudr juganookee tarah chamakate hain, isase ve bhee bada़e naheen hain. aakaashako daityaraaj balike yajnamen bhagavaan vaamanajeene ek pairase naap liya tha, isaliye vah bhee bada़a naheen hai. aur bhagavaan‌ke pair nirantar tumhaare arthaat bhaktake chittamen rahate hain, isase ve bhee bada़e naheen hain arthaat bada़e ho tum, jisane un charanonko hridayamen dhaaran kar rakha hai. tumase (bhaktase) bada़a aur koee naheen hai.'



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