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भगवान के समान कुछ भी सुलब नहीं है..भगवान को पाने जितना आसन और कुछ नहीं

भगवान के समान कुछ भी सुलब नहीं है


परमात्मा किसी वस्तु के द्वारा मिलते तो सबको नहीं मिल सकते हैं


किसी योग्यता से मिलते तो भी सबको नहीं मिल सकते हैं

किसी बल से मिलते तो भी सबको नहीं मिल सकते थे


यानी किसी चीज के द्वारा मिलते हैं तो वह सबके पास नहीं होगी इसलिए भगवान किसी चीज के द्वारा नहीं मिलते


भगवान तो स्वतंत्रता से मिलने को तैयार है

जो सबको ना मिल सके वह भगवान नहीं हो सकते

सबको मिल सकते हैं इसीलिए वह भगवान हैं


इसलिए भगवान सर्वदा सबके लिए सब समय में स्वतंत्रता से सुलभ है इसीलिए भगवान हैं


जीव ने नाशवान में ही सारा समय लगा दिया है 

और भगवान को प्राप्त करने की इच्छा ही नहीं करता 

...बस यही गलती है


हम खुद ही भगवान से ज्यादा महत्व संसार की वस्तुओं को देते हैं….. 

….इस तरह से भगवान को मिलने में जो रुकावट है वह हमारी ही बनाई हुई है


भगवान तो हमें मिलने को तैयार ही हैं

जो मां बालक को ना मिलने को तैयार हो वह  माँ नहीं हो सकती

इसी तरह से जो सब को ना मिले वह भगवान नहीं हो सकते


कमी सिर्फ हमारी इच्छा की है… हमारी लग्न की है हमारी लौलयता की है


हमने भगवान की आवश्यकता नहीं मानी बल्कि जगत की आवश्यकता मानी है यही गलती है


मीरा की तरह हमारी यह कहने की कमी है...

"मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा ना कोई"


हर समय एक ही दृष्टि... भगवान कैसे मिले


जब भगवान देखते हैं कि हमें वस्तुएं चाहिए तो वह हमारी जिंदगी में दखल नहीं देते


सब जगह भगवान है इसलिए हम उनकी दृष्टि से बाहर हो ही नहीं सकते


भगवान सदा सब जगह जीव के लिए उपलब्ध है


दिन में रात में किसी भी समय


हमें बस इतना काम करना है कि हम विनाशी वस्तुओं की कामना ना करें बाकी सब भगवान कर लेंगे


जो विनाशी है... जो मरने वाला है... 

उसको चाहना तो अभाव को ही चाहना हुआ 

दुख को ही चाहना हुआ

तो सुख रूप भगवान कैसे मिलेंगे?


हम जिसे चाहते हैं वह मिल भी गया तो निरंतर परिवर्तनशील है ….एक पल भी नहीं ठहरेगा

तो फिर दुखी ही मिलेगा ...दुख के सिवा क्या मिल सकता है?


भगवान हर जगह हमेशा हर किसी के लिए उपलब्ध है

बाकी हर वस्तु समय के अंतर्गत हैं ...व्यक्ति के अंतर्गत हैं 

...परिस्थिति के अंतर्गत है 

इसलिए भगवान से सुलभ कुछ भी नहीं हो सकता


बस अपने जीवन का लक्ष्य बना लो कि भगवान की प्राप्ति करनी है…. बस इतना ही


आपकी दृष्टि में जो असत्य है बस उसका त्याग कर दो

जो आपकी दृष्टि में भी असत्य है अब उसको ही ना छोड़ो तो फिर भगवान क्या करें?


बस जाने हुए असत्य का त्याग करो


त्याग भी ऐसा नहीं कि छोड़कर चले जाओ बस इतना कि उसकी इच्छा मत करो…. भरोसा रखो अन्न जल और वस्तु मिलती रहेगी


परंतु अंत में तो ना मिलेगा ही होगा… उसी को चाहते हैं... क्या समझदारी है जीव की?


बड़ी मार्मिक  बात है ….अगर हम परमात्मा को चाहने लगे तो सब वस्तु हमें जाने



व्यवहार में भी देखें तो हम कोई भी वस्तु उसे देना चाहते हैं जिसे नहीं चाहिए…. दान भी करते हो तो किसी विरक्त को करते हो…. उसे क्यों नहीं देते जो वस्तुओं के लिए मरा जा रहा है, किसी चोर को क्यों नहीं देते उसमें इतनी चाह है वस्तुओं की? 


भगवान पूर्ण स्वतंत्र किसी के अधीन नहीं सबके लिए उपलब्ध है… बस चाहना की कमी है


भगवान को चाहो बस इतने से भगवान मिल जाएंगे


भगवान चाहने से मिलते हैं

….संसार चाहने से दूर जाता है


भगवान भगवत गीता में कहते हैं…

... जो अनन्य मेरा चिंतन करें मैं उसके लिए सुलभ हूं


बस जीव चाहता नहीं यही कमी है



bhagavaan ke samaan kuchh bhee sulab naheen hai
bhagavaan ko paane jitana aasan aur kuchh naheen

bhagavaan ke samaan kuchh bhee sulab naheen hai


paramaatma kisee vastu ke dvaara milate to sabako naheen mil sakate hain


kisee yogyata se milate to bhee sabako naheen mil sakate hain

kisee bal se milate to bhee sabako naheen mil sakate the


yaanee kisee cheej ke dvaara milate hain to vah sabake paas naheen hogee isalie bhagavaan kisee cheej ke dvaara naheen milate


bhagavaan to svatantrata se milane ko taiyaar hai

jo sabako na mil sake vah bhagavaan naheen ho sakate

sabako mil sakate hain iseelie vah bhagavaan hain


isalie bhagavaan sarvada sabake lie sab samay men svatantrata se sulabh hai iseelie bhagavaan hain


jeev ne naashavaan men hee saara samay laga diya hai 

aur bhagavaan ko praapt karane kee ichchha hee naheen karataa 

...bas yahee galatee hai


ham khud hee bhagavaan se jyaada mahatv sansaar kee vastuon ko dete hain….. 

….is tarah se bhagavaan ko milane men jo rukaavat hai vah hamaaree hee banaaee huee hai


bhagavaan to hamen milane ko taiyaar hee hain

jo maan baalak ko na milane ko taiyaar ho vaha  maan naheen ho sakatee

isee tarah se jo sab ko na mile vah bhagavaan naheen ho sakate


kamee sirph hamaaree ichchha kee hai… hamaaree lagn kee hai hamaaree laulayata kee hai


hamane bhagavaan kee aavashyakata naheen maanee balki jagat kee aavashyakata maanee hai yahee galatee hai


meera kee tarah hamaaree yah kahane kee kamee hai...

"mere to giradhar gopaal doosara na koee"


har samay ek hee drishti... bhagavaan kaise mile


jab bhagavaan dekhate hain ki hamen vastuen chaahie to vah hamaaree jindagee men dakhal naheen dete


sab jagah bhagavaan hai isalie ham unakee drishti se baahar ho hee naheen sakate


bhagavaan sada sab jagah jeev ke lie upalabdh hai


din men raat men kisee bhee samaya


hamen bas itana kaam karana hai ki ham vinaashee vastuon kee kaamana na karen baakee sab bhagavaan kar lenge


jo vinaashee hai... jo marane vaala hai... 

usako chaahana to abhaav ko hee chaahana huaa 

dukh ko hee chaahana huaa

to sukh roop bhagavaan kaise milenge?


ham jise chaahate hain vah mil bhee gaya to nirantar parivartanasheel hai ….ek pal bhee naheen thaharegaa

to phir dukhee hee milega ...dukh ke siva kya mil sakata hai?


bhagavaan har jagah hamesha har kisee ke lie upalabdh hai

baakee har vastu samay ke antargat hain ...vyakti ke antargat hain 

...paristhiti ke antargat hai 

isalie bhagavaan se sulabh kuchh bhee naheen ho sakataa


bas apane jeevan ka lakshy bana lo ki bhagavaan kee praapti karanee hai…. bas itana hee


aapakee drishti men jo asaty hai bas usaka tyaag kar do

jo aapakee drishti men bhee asaty hai ab usako hee na chhoda़o to phir bhagavaan kya karen?


bas jaane hue asaty ka tyaag karo


tyaag bhee aisa naheen ki chhoda़kar chale jaao bas itana ki usakee ichchha mat karo…. bharosa rakho ann jal aur vastu milatee rahegee


parantu ant men to na milega hee hogaa… usee ko chaahate hain... kya samajhadaaree hai jeev kee?


bada़ee maarmika  baat hai ….agar ham paramaatma ko chaahane lage to sab vastu hamen jaane



vyavahaar men bhee dekhen to ham koee bhee vastu use dena chaahate hain jise naheen chaahie…. daan bhee karate ho to kisee virakt ko karate ho…. use kyon naheen dete jo vastuon ke lie mara ja raha hai, kisee chor ko kyon naheen dete usamen itanee chaah hai vastuon kee? 


bhagavaan poorn svatantr kisee ke adheen naheen sabake lie upalabdh hai… bas chaahana kee kamee hai


bhagavaan ko chaaho bas itane se bhagavaan mil jaaenge


bhagavaan chaahane se milate hain

….sansaar chaahane se door jaata hai


bhagavaan bhagavat geeta men kahate hain…

... jo anany mera chintan karen main usake lie sulabh hoon


bas jeev chaahata naheen yahee kamee hai



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