पापका फल ही भोगना पड़ता है
(गोलोकवासी भक्त श्रीरामशरणदासजी)
एकबार एक सुप्रसिद्ध उदासीन संत स्वामी रमेशचन्द्रजी महाराज पिलखुवा पधारे थे। आपने अपने सदुपदेशमें कहा कि 'मुझे साधुबेलाके संतकी आज्ञा है कि तुम जहाँ भी जाओ, मेरी यह कहानी कि 'मैंने कैसे कैसे घोर पाप किये और उसके फल कैसे भोगे', सबको सुना देना और मेरी ओरसे चेतावनी देना कि 'झूठसे, छलसे, बेईमानीसे और लूट-मारकर रुपया कमानेवाले लोगो ! याद रखो, तुम्हें यह धन यहीं पर छोड़ जाना है। साथ नहीं ले जाना है। मेरे नारायणके यहाँ देर है, अन्धेर नहीं न्याय है, अन्याय नहीं। वह जैसेको तैसा फल अवश्य ही देता है और जिसका लिया है, उसकी पाई पाई चुकानी पड़ती है।'
साधुबेलाके उस संतने उनको बताया था-'मैं गृहस्थाश्रममें था। मेरे पास रुपये-पैसेकी कमी थी। मेरे कोई संतान भी नहीं थी, मैं बड़ा चिन्तित रहा करता था। भगवान्की मुझपर कृपा हुई कि मुझे एक साथी मिला, जिसने मुझसे कहा कि 'रुपया तो मैं लगाऊँगा, तुम हम मिलकर हिस्सेदारीमें दुकान कर लें। मैं तैयार हो गया। दोनोंने मिलकर दुकानका कार्य आरम्भ कर दिया। नारायणकी ऐसी कृपा हुई कि हमने मुम्बईमें रूईकी गाँठ खरीदीं, उसमें हमें एक लाख रुपयेका फायदा हुआ। मुम्बईसे हमारे पास तार आया कि 'तुम अपने एक लाख । रुपये ले जाओ।' हमें बड़ी प्रसन्नता हुई और हम दोनों बम्बई रुपया लेने चले गये। मुम्बई पहुँचकर हम दोनों एक होटलमें ठहरे और दिनभर मुम्बईकी सैर की। मेरे साथीने मुझसे कहा- 'अभी दो-तीन दिन और ठहरेंगे। मुम्बई आये हैं तो खूब सैर कर लें। रोज-रोज कहाँ आना होता है।' हमने दो-तीन दिन मुम्बईकी सैर की, खूब घूमे, सब कुछ देखा। फिर हमने जाकर एक लाख रुपये ले लिये और होटलमें आ गये। मेरे मनमें पाप उदय हुआ। मैंने सोचा कि यदि इस साथीको मार डाला जाय तो सारे रुपये मेरे हो जायेंगे।
मैंने उसे मार डालनेका निश्चय कर लिया और रातमें होटलके कमरेसे नीचे उतरा और चुपचाप बाजारमें चला गया, मैं वहाँसे विष मोल ले लाया और उसे दूधमें घोलकर उसको पिला दिया। बेचारे साथीने पी लिया। उसे मेरे मनके पापका क्या पता था। रातमें ही उसकी मृत्यु हो गयी। मैं प्रातःकाल जाकर किरायेपर कार ले आया तथा मृत साथीको बीमार बताकर कारमें लाकर लिटा दिया। कारको मैं सीधा समुद्र के किनारे ले गया। अपने मृत साथीको समुद्र के किनारे लिटा दिया। कारवालेको सौ रुपये देकर चलता किया। अब मैं आनन्दसे एक लाख रुपये लेकर खुशी मनाता घर लौट आया। मेरे आनेका समाचार मेरे हिस्सेदारके घरवालोंको मालूम हुआ।
वे दौड़े हुए मेरे पास आये और बोले-'सेठजी! हमारा आदमी आपके साथ मुम्बई गया था, उसे कहाँ छोड़ आये, उसका क्या हुआ ?' मैंने झूठ-मूठका रोना आरम्भ किया और बड़े दुःखभरे शब्दोंमें शोक प्रकट करते हुए कहा कि-'भाई। उसे मुम्बई जाकर हैजा हो गया, बहुत इलाज कराया किंतु वह मर गया।' मैंने उन्हें आठ-दस हजार रुपये भी दे दिये, जिससे उन्होंने मेरी बातपर पूरा-पूरा विश्वास भी कर लिया और मुझे रुपया देनेके कारण पूरा ईमानदार एवं धर्मात्मा भी समझ लिया। उन्हें मेरी दुष्टताका क्या पता कि इसीने हमारे आदमीको मार डाला और चालीस हजार रुपये भी हड़प लिये।
मैं आनन्दपूर्वक रहने लगा। चैनकी वंशी बजने लगी।
मेरे सन्तान नहीं थी। एक वर्षके पश्चात् ही मेरे पुत्र हो गया। अब मैं तो बड़ा प्रसन्न हुआ और मैंने मन ही मन कहा कि 'मैंने हिस्सेदारको मारकर बड़ा अच्छा किया। मेरे पास रुपये भी खूब हो गये और अब मेरे लड़का भी हो गया। मैं लड़केको लाड़-प्यारसे पालता हुआ, सुखसे दिन बिताने लगा। धीरे-धीरे लड़का बड़ा हुआ। उसकी शिक्षा शुरू हुई और अन्तमें मैंने उसे इंग्लैण्ड पढ़ने भेज दिया। लड़का विवाहयोग्य हो गया। इंग्लैण्ड पढ़ने गया है, इस बातकी चारों ओर धूम मच गयी। चारों ओरसे बड़े-बड़े घरानोंके सेठ लोग शादीके लिये आने लगे। कोई बीस हजार रुपये देनेकी बात कहता तो कोई पचास हजार पहले देनेको कहता। मुझे पूरा-पूरा विश्वास हो गया कि एक लाख रुपये तो सगाईमें ही मिल जायेंगे। बाकीके विवाहमें अलग रहे। आखिर लड़का विलायतसे पढ़कर आया था।
एक दिन वह रातमें सिनेमा देखने गया। रातमें ही उसे बुखार हो गया। मैं बहुत घबराया। मैंने बहुत बड़े डॉक्टरको बुलवाया और उसे दिखाया। डॉक्टरने कहा 'सेठजी चिन्ताकी कोई बात नहीं है। यह रातमें जागा है, न सोनेके कारण बुखार हो गया है. उत्तर जायगा।' उसने ● दवा दी, चला गया। सुबह देखा तो १०४ डिग्री बुखार था। अब तो मैं बहुत घबराया। थोड़ी देर बाद देखा तो बुखार १०६ डिग्री निकला। मेरे होश गुम हो गये। मैंने शहरके बड़े-बड़े सभी प्रसिद्ध डॉक्टरोंको बुलवाया और - लड़केको दिखाया। सबने लड़केको देखा, मैंने उन्हें पाँच पाँच सौ रुपये दिये। सबने अच्छी प्रकार देखनेके बाद कहा कि 'सेठजी! यह लड़का बचेगा नहीं, इसे क्षय हो गया है। मैं घबराया और रोकर डॉक्टरोंसे कहा कि 'चाहे जितना रुपया खर्च हो जाय, इसकी चिन्ता नहीं, पर मेरा 'लड़का बचा लो।' डॉक्टरोंने सलाह करके बताया कि इसे स्विट्जरलैण्ड ले जाओ, वहाँ इसका इलाज कराओ, तो शायद यह बच जाय; और कोई उपाय नहीं है। मैं उसे स्विट्जरलैण्ड ले गया और वहाँ एक वर्षतक रहकर लड़केके इलाजमें रुपये लुटाता रहा। अन्तमें एक वर्ष पश्चात् वहाँके डॉक्टरोंने भी जवाब दे दिया और कहा 'तुम्हारा यह लड़का कुछ ही दिन और जियेगा, बचेगा नहीं।'
मैं माथा पीटता रोता-धोता लड़केको अपने देशमें, अपने शहरमें ले आया। घरवालोंको, रिश्तेदारोंको, मिलनेवालोंको मालूम हुआ तो सभी उसे देखने आने लगे। मृत्युका समय आ पहुँचा। मैं दो घण्टे पहले रोता-धोता, सिर पीटता लड़केके पास आया और उसकी तरफ मुँह करके आवाज देकर कहा- 'बेटा! जरा आँखें तो खोल दे।' उसने मेरी आवाज सुनकर एकदम आँखें खोल दीं और हँसा। लड़केको मृत्युके मुँहमें जाते समय हँसते देखकर मेरे आश्चर्यका ठिकाना न रहा।
मैंने रोते हुए उससे हँसनेका कारण पूछा 'बेटा! तुम हँस क्यों रहे हो ?' लड़केने कहा 'पिताजी! आपने मुझे पहचाना कि मैं कौन हूँ? मेरी और गहरी दृष्टिसे देखो, मुझे पहचानो कि मैं वही तुम्हारा हिस्सेदार हूँ, जिसे तुमने धोखे से बम्बई में जहर देकर मार डाला था। मैं अब तुम्हारा पुत्र बनकर आया हूँ। मैंने अपना सारा रुपया पाई-पाई वसूल कर लिया है, ले लिया है। अब मेरे तुमपर पाँच सौ रुपये शेष बचे हैं। उन्हें मेरे क्रिया-कर्ममें लगा देना। जय रामजीकी। अब मैं तुमसे विदा होता हूँ, जाता हूँ।'
इतना कहते ही लड़केने प्राण त्याग दिये। मैंने जब गहरी दृष्टिसे देखा तो मुझे प्रत्यक्ष उस हिस्सेदारकी लड़केमें दिखलायी पड़ी। मैंने रोते-धोते उसे ले जाकर उसकी अन्त्येष्टि क्रिया की और मैं फिर लौटकर घर नहीं। गया। जंगलका रास्ता लिया। बुरे पापोंका फल कैसे भोगना पड़ता है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण मैं तुम्हारे सामने हैं।
क्या बुरे कर्म करनेवाले, पापकी कमाई करनेवाले लोगोंकी इस सत्य घटनाको पढ़-सुनकर भी आँखें नहीं खुलेंगी ?
paapaka phal hee bhogana pada़ta hai
(golokavaasee bhakt shreeraamasharanadaasajee)
ekabaar ek suprasiddh udaaseen sant svaamee rameshachandrajee mahaaraaj pilakhuva padhaare the. aapane apane sadupadeshamen kaha ki 'mujhe saadhubelaake santakee aajna hai ki tum jahaan bhee jaao, meree yah kahaanee ki 'mainne kaise kaise ghor paap kiye aur usake phal kaise bhoge', sabako suna dena aur meree orase chetaavanee dena ki 'jhoothase, chhalase, beeemaaneese aur loota-maarakar rupaya kamaanevaale logo ! yaad rakho, tumhen yah dhan yaheen par chhoda़ jaana hai. saath naheen le jaana hai. mere naaraayanake yahaan der hai, andher naheen nyaay hai, anyaay naheen. vah jaiseko taisa phal avashy hee deta hai aur jisaka liya hai, usakee paaee paaee chukaanee pada़tee hai.'
saadhubelaake us santane unako bataaya thaa-'main grihasthaashramamen thaa. mere paas rupaye-paisekee kamee thee. mere koee santaan bhee naheen thee, main bada़a chintit raha karata thaa. bhagavaankee mujhapar kripa huee ki mujhe ek saathee mila, jisane mujhase kaha ki 'rupaya to main lagaaoonga, tum ham milakar hissedaareemen dukaan kar len. main taiyaar ho gayaa. dononne milakar dukaanaka kaary aarambh kar diyaa. naaraayanakee aisee kripa huee ki hamane mumbaeemen rooeekee gaanth khareedeen, usamen hamen ek laakh rupayeka phaayada huaa. mumbaeese hamaare paas taar aaya ki 'tum apane ek laakh . rupaye le jaao.' hamen bada़ee prasannata huee aur ham donon bambaee rupaya lene chale gaye. mumbaee pahunchakar ham donon ek hotalamen thahare aur dinabhar mumbaeekee sair kee. mere saatheene mujhase kahaa- 'abhee do-teen din aur thaharenge. mumbaee aaye hain to khoob sair kar len. roja-roj kahaan aana hota hai.' hamane do-teen din mumbaeekee sair kee, khoob ghoome, sab kuchh dekhaa. phir hamane jaakar ek laakh rupaye le liye aur hotalamen a gaye. mere manamen paap uday huaa. mainne socha ki yadi is saatheeko maar daala jaay to saare rupaye mere ho jaayenge.
mainne use maar daalaneka nishchay kar liya aur raatamen hotalake kamarese neeche utara aur chupachaap baajaaramen chala gaya, main vahaanse vish mol le laaya aur use doodhamen gholakar usako pila diyaa. bechaare saatheene pee liyaa. use mere manake paapaka kya pata thaa. raatamen hee usakee mrityu ho gayee. main praatahkaal jaakar kiraayepar kaar le aaya tatha mrit saatheeko beemaar bataakar kaaramen laakar lita diyaa. kaarako main seedha samudr ke kinaare le gayaa. apane mrit saatheeko samudr ke kinaare lita diyaa. kaaravaaleko sau rupaye dekar chalata kiyaa. ab main aanandase ek laakh rupaye lekar khushee manaata ghar laut aayaa. mere aaneka samaachaar mere hissedaarake gharavaalonko maaloom huaa.
ve dauda़e hue mere paas aaye aur bole-'sethajee! hamaara aadamee aapake saath mumbaee gaya tha, use kahaan chhoda़ aaye, usaka kya hua ?' mainne jhootha-moothaka rona aarambh kiya aur bada़e duhkhabhare shabdonmen shok prakat karate hue kaha ki-'bhaaee. use mumbaee jaakar haija ho gaya, bahut ilaaj karaaya kintu vah mar gayaa.' mainne unhen aatha-das hajaar rupaye bhee de diye, jisase unhonne meree baatapar pooraa-poora vishvaas bhee kar liya aur mujhe rupaya deneke kaaran poora eemaanadaar evan dharmaatma bhee samajh liyaa. unhen meree dushtataaka kya pata ki iseene hamaare aadameeko maar daala aur chaalees hajaar rupaye bhee hada़p liye.
main aanandapoorvak rahane lagaa. chainakee vanshee bajane lagee.
mere santaan naheen thee. ek varshake pashchaat hee mere putr ho gayaa. ab main to bada़a prasann hua aur mainne man hee man kaha ki 'mainne hissedaarako maarakar bada़a achchha kiyaa. mere paas rupaye bhee khoob ho gaye aur ab mere lada़ka bhee ho gayaa. main lada़keko laada़-pyaarase paalata hua, sukhase din bitaane lagaa. dheere-dheere lada़ka bada़a huaa. usakee shiksha shuroo huee aur antamen mainne use inglaind padha़ne bhej diyaa. lada़ka vivaahayogy ho gayaa. inglaind padha़ne gaya hai, is baatakee chaaron or dhoom mach gayee. chaaron orase bada़e-bada़e gharaanonke seth log shaadeeke liye aane lage. koee bees hajaar rupaye denekee baat kahata to koee pachaas hajaar pahale deneko kahataa. mujhe pooraa-poora vishvaas ho gaya ki ek laakh rupaye to sagaaeemen hee mil jaayenge. baakeeke vivaahamen alag rahe. aakhir lada़ka vilaayatase padha़kar aaya thaa.
ek din vah raatamen sinema dekhane gayaa. raatamen hee use bukhaar ho gayaa. main bahut ghabaraayaa. mainne bahut bada़e daॉktarako bulavaaya aur use dikhaayaa. daॉktarane kaha 'sethajee chintaakee koee baat naheen hai. yah raatamen jaaga hai, n soneke kaaran bukhaar ho gaya hai. uttar jaayagaa.' usane ● dava dee, chala gayaa. subah dekha to 104 digree bukhaar thaa. ab to main bahut ghabaraayaa. thoda़ee der baad dekha to bukhaar 106 digree nikalaa. mere hosh gum ho gaye. mainne shaharake bada़e-bada़e sabhee prasiddh daॉktaronko bulavaaya aur - lada़keko dikhaayaa. sabane lada़keko dekha, mainne unhen paanch paanch sau rupaye diye. sabane achchhee prakaar dekhaneke baad kaha ki 'sethajee! yah lada़ka bachega naheen, ise kshay ho gaya hai. main ghabaraaya aur rokar daॉktaronse kaha ki 'chaahe jitana rupaya kharch ho jaay, isakee chinta naheen, par mera 'lada़ka bacha lo.' daॉktaronne salaah karake bataaya ki ise svitjaralaind le jaao, vahaan isaka ilaaj karaao, to shaayad yah bach jaaya; aur koee upaay naheen hai. main use svitjaralaind le gaya aur vahaan ek varshatak rahakar lada़keke ilaajamen rupaye lutaata rahaa. antamen ek varsh pashchaat vahaanke daॉktaronne bhee javaab de diya aur kaha 'tumhaara yah lada़ka kuchh hee din aur jiyega, bachega naheen.'
main maatha peetata rotaa-dhota lada़keko apane deshamen, apane shaharamen le aayaa. gharavaalonko, rishtedaaronko, milanevaalonko maaloom hua to sabhee use dekhane aane lage. mrityuka samay a pahunchaa. main do ghante pahale rotaa-dhota, sir peetata lada़keke paas aaya aur usakee taraph munh karake aavaaj dekar kahaa- 'betaa! jara aankhen to khol de.' usane meree aavaaj sunakar ekadam aankhen khol deen aur hansaa. lada़keko mrityuke munhamen jaate samay hansate dekhakar mere aashcharyaka thikaana n rahaa.
mainne rote hue usase hansaneka kaaran poochha 'betaa! tum hans kyon rahe ho ?' lada़kene kaha 'pitaajee! aapane mujhe pahachaana ki main kaun hoon? meree aur gaharee drishtise dekho, mujhe pahachaano ki main vahee tumhaara hissedaar hoon, jise tumane dhokhe se bambaee men jahar dekar maar daala thaa. main ab tumhaara putr banakar aaya hoon. mainne apana saara rupaya paaee-paaee vasool kar liya hai, le liya hai. ab mere tumapar paanch sau rupaye shesh bache hain. unhen mere kriyaa-karmamen laga denaa. jay raamajeekee. ab main tumase vida hota hoon, jaata hoon.'
itana kahate hee lada़kene praan tyaag diye. mainne jab gaharee drishtise dekha to mujhe pratyaksh us hissedaarakee lada़kemen dikhalaayee pada़ee. mainne rote-dhote use le jaakar usakee antyeshti kriya kee aur main phir lautakar ghar naheen. gayaa. jangalaka raasta liyaa. bure paaponka phal kaise bhogana pada़ta hai, isaka pratyaksh pramaan main tumhaare saamane hain.
kya bure karm karanevaale, paapakee kamaaee karanevaale logonkee is saty ghatanaako paढ़-sunakar bhee aankhen naheen khulengee ?