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विजयोन्मादके क्षणोंमें  [हिन्दी कथा]
प्रेरक कथा - प्रेरक कहानी (शिक्षदायक कहानी)

मध्यकालीन यूरोपकी कथा है। अपने सेनापतिकी वीरतासे एक राजाने युद्धमें विजय प्राप्त की। उसने राजधानीमें सेनापतिका धूमधामसे स्वागत करनेका विचार किया।

'सेनापतिके राजधानीमें प्रवेश करते ही उसका जय-जयकार किया जाय । चार श्वेत घोड़ोंसे जुते रथपर बैठकर वह युद्धस्थलसे राजमहलतक आये और उसके
रथके पीछे-पीछे युद्धबंदी दौड़ते रहें तथा उनके हाथमें हथकड़ी और पैरोंमें बेड़ी हों।' राजाने स्वागतकी योजनापर प्रकाश डाला !

सेनापति बहुत प्रसन्न हुआ इस स्वागत-समाचारसे। | राजाकी स्वागत योजनाके अनुसार सेनापतिने चार सफेद घोड़ोंके रथपर आसीन होकर नगरमें प्रवेश किया। उसकी जयध्वनिसे धरती और आकाश पूर्ण थे। सेनापतिने प्रत्यक्ष-सा देखा कि एक सुन्दर सजे सजाये रथमें एक दास बैठा हुआ था और उसके रथने सेनापतिके रथके समानान्तर ही राजधानीमें प्रवेश किया। इससे उसे यह संकेत मिला कि छोटे-से-छोटा साधारण दास भी उसके समान गौरवपूर्ण पद पा सकता है। इसलिये नश्वर संसारके थोड़ेसे भागपर विजय करके प्रमत्त नहीं होना चाहिये। यह क्षणभङ्गुर है; इसमें आसक्त नहीं रहना चाहिये।

जिस समय लोग उसका जयकार कर रहे थे, उस समय सेनापतिको लगा कि एक दास उसे घूँसा मार रहा है। सेनापति दासके इस व्यवहारसे बड़ा क्षुब्ध था; उसका विजय-मद उतर गया। उसका अभिमान नष्ट होगया। दासका यह कार्य संकेत कर रहा था कि मिथ्या अभिमान वास्तविक उन्नतिमें बाधक है।

सबसे आश्चर्यकी बात तो यह थी कि जिस समय धूम-धामसे उसका स्वागत होना चाहिये था उस समय लोग जोर-जोरसे उसकी निन्दा कर रहे थे। अनेक प्रकारकी गाली दे रहे थे। इससे उसे अपने दोषोंका ज्ञान होने लगा और अपनी सच्ची स्थितिका पता चल गया। उसे ज्ञान हो गया कि मनुष्यको विजय पाकर उन्मत्त नहीं होना चाहिये। सब प्राणी गौरव प्राप्त करनेके अधिकारी हैं तथा अपने दोष ही सबसे बड़े शत्रु हैं; उन्हें दूर करनेका प्रयत्न करना चाहिये। इससे जीवनमें सत्यका प्रकाश उतरता है।

रा0 श्री0



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vijayonmaadake kshanonmen

madhyakaaleen yooropakee katha hai. apane senaapatikee veerataase ek raajaane yuddhamen vijay praapt kee. usane raajadhaaneemen senaapatika dhoomadhaamase svaagat karaneka vichaar kiyaa.

'senaapatike raajadhaaneemen pravesh karate hee usaka jaya-jayakaar kiya jaay . chaar shvet ghoda़onse jute rathapar baithakar vah yuddhasthalase raajamahalatak aaye aur usake
rathake peechhe-peechhe yuddhabandee dauda़te rahen tatha unake haathamen hathakada़ee aur paironmen beda़ee hon.' raajaane svaagatakee yojanaapar prakaash daala !

senaapati bahut prasann hua is svaagata-samaachaarase. | raajaakee svaagat yojanaake anusaar senaapatine chaar saphed ghoda़onke rathapar aaseen hokar nagaramen pravesh kiyaa. usakee jayadhvanise dharatee aur aakaash poorn the. senaapatine pratyaksha-sa dekha ki ek sundar saje sajaaye rathamen ek daas baitha hua tha aur usake rathane senaapatike rathake samaanaantar hee raajadhaaneemen pravesh kiyaa. isase use yah sanket mila ki chhote-se-chhota saadhaaran daas bhee usake samaan gauravapoorn pad pa sakata hai. isaliye nashvar sansaarake thoda़ese bhaagapar vijay karake pramatt naheen hona chaahiye. yah kshanabhangur hai; isamen aasakt naheen rahana chaahiye.

jis samay log usaka jayakaar kar rahe the, us samay senaapatiko laga ki ek daas use ghoonsa maar raha hai. senaapati daasake is vyavahaarase bada़a kshubdh thaa; usaka vijaya-mad utar gayaa. usaka abhimaan nasht hogayaa. daasaka yah kaary sanket kar raha tha ki mithya abhimaan vaastavik unnatimen baadhak hai.

sabase aashcharyakee baat to yah thee ki jis samay dhooma-dhaamase usaka svaagat hona chaahiye tha us samay log jora-jorase usakee ninda kar rahe the. anek prakaarakee gaalee de rahe the. isase use apane doshonka jnaan hone laga aur apanee sachchee sthitika pata chal gayaa. use jnaan ho gaya ki manushyako vijay paakar unmatt naheen hona chaahiye. sab praanee gaurav praapt karaneke adhikaaree hain tatha apane dosh hee sabase bada़e shatru hain; unhen door karaneka prayatn karana chaahiye. isase jeevanamen satyaka prakaash utarata hai.

raa0 shree0

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