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बुरी योनिसे उद्धार  [हिन्दी कथा]
Story To Read - हिन्दी कथा (हिन्दी कहानी)

प्राचीन कालमें एक सियार और एक वानर मित्र भावसे एक ही स्थानपर रहते थे। दोनोंको अपने पूर्व जन्मका स्मरण था। एक समय वानरने सियारको श्मशान में घृणित शवको खाते देखकर पूछा- 'मित्र ! तुमने पूर्वजन्ममें क्या किया था जिससे तुम्हें इतना निषिद्ध तथा घृणित भोजन करना पड़ता है।' सियारने कहा, 'मित्र में पूर्वजन्ममें वेदोंका पारङ्गत विद्वान् और समस्त कर्मकलापोंका ज्ञाता वेदशर्मा नामका ब्राह्मण था उस जन्ममें मैंने एक ब्राह्मणको धन देनेका संकल्प किया था पर उसको दिया नहीं, उसीसे इस बुरी योनि तथा बुरे आहारको प्राप्त हुआ हूँ। प्रतिज्ञा करके यदि ब्राह्मणको वह वस्तु नहीं दी जाती तो उसका दस जन्मोंका पुण्य तत्काल नष्ट हो जाता है; अब तुम बताओ, तुम किस कर्मविपाकसे वानर हुए।'

वानर बोला-'मैं भी पूर्वजन्ममें ब्राह्मण ही था। मेरा नाम वेदनाथ था और मित्र ! पूर्वजन्ममें भी हमारी तुम्हारी घनिष्ठ मित्रता थी। यद्यपि तुम्हें यह स्मरण नहीं, तथापि पुण्यके गौरवसे मुझे उसकी पूर्णतया स्मृति है। उस जन्ममें मैंने एक ब्राह्मणका शाक चुराया था, इसलिये मैं वानर हुआ हूँ। ब्राह्मणका धन लेनेसे नरकतो होता ही है, नरक भोगनेके बाद वानरकी ही योनि मिलती है। ब्राह्मणका धन अपहरण करनेसे बढ़कर दूसरा कोई भयंकर पाप नहीं। विष तो केवल खानेवालेको ही मारता है, किंतु ब्राह्मणका धन तो समूचे कुलका नाश कर डालता है। बालक, दरिद्र, कृपण तथा वेद-शास्त्र आदिके ज्ञानसे शून्य ब्राह्मणोंका भी अपमान नहीं करना चाहिये; क्योंकि क्रोधमें आनेपर वे अग्रिके समान भस्म कर देते हैं । '

सियार और वानर इस प्रकार बातचीत कर ही रहे थे कि दैवयोगसे किंवा उनके किसी पूर्व-पुण्यसे सिन्धुद्वीप नामक ऋषि स्वेच्छासे घूमते हुए वहीं पहुँच गये। उन दोनों मित्रोंने मुनिको प्रणाम किया और अपनी कथा सुनाकर उद्धारका रास्ता पूछा। ऋषिने बड़ी देर तक मन-ही-मन विचारकर कहा-'तुम दोनों श्रीरामचन्द्रजीके धनुष्कोटि तीर्थमें जाकर स्नान करो। ऐसा करनेसे पापसे छूट जाओगे।'

तदनुसार सियार और वानर तत्काल ही धनुष्कोटिमें गये और वहाँके जलसे स्नानकर सब पापोंसे मुक्त होकर श्रेष्ठ विमानपर आरूढ़ होकर देवलोकमें चले गये। (स्कन्दपुराण, ब्राह्मखण्ड, सेतुमाहात्म्य अध्याय 39) - जा0 श0



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buree yonise uddhaara

praacheen kaalamen ek siyaar aur ek vaanar mitr bhaavase ek hee sthaanapar rahate the. dononko apane poorv janmaka smaran thaa. ek samay vaanarane siyaarako shmashaan men ghrinit shavako khaate dekhakar poochhaa- 'mitr ! tumane poorvajanmamen kya kiya tha jisase tumhen itana nishiddh tatha ghrinit bhojan karana pada़ta hai.' siyaarane kaha, 'mitr men poorvajanmamen vedonka paarangat vidvaan aur samast karmakalaaponka jnaata vedasharma naamaka braahman tha us janmamen mainne ek braahmanako dhan deneka sankalp kiya tha par usako diya naheen, useese is buree yoni tatha bure aahaarako praapt hua hoon. pratijna karake yadi braahmanako vah vastu naheen dee jaatee to usaka das janmonka puny tatkaal nasht ho jaata hai; ab tum bataao, tum kis karmavipaakase vaanar hue.'

vaanar bolaa-'main bhee poorvajanmamen braahman hee thaa. mera naam vedanaath tha aur mitr ! poorvajanmamen bhee hamaaree tumhaaree ghanishth mitrata thee. yadyapi tumhen yah smaran naheen, tathaapi punyake gauravase mujhe usakee poornataya smriti hai. us janmamen mainne ek braahmanaka shaak churaaya tha, isaliye main vaanar hua hoon. braahmanaka dhan lenese narakato hota hee hai, narak bhoganeke baad vaanarakee hee yoni milatee hai. braahmanaka dhan apaharan karanese badha़kar doosara koee bhayankar paap naheen. vish to keval khaanevaaleko hee maarata hai, kintu braahmanaka dhan to samooche kulaka naash kar daalata hai. baalak, daridr, kripan tatha veda-shaastr aadike jnaanase shoony braahmanonka bhee apamaan naheen karana chaahiye; kyonki krodhamen aanepar ve agrike samaan bhasm kar dete hain . '

siyaar aur vaanar is prakaar baatacheet kar hee rahe the ki daivayogase kinva unake kisee poorva-punyase sindhudveep naamak rishi svechchhaase ghoomate hue vaheen pahunch gaye. un donon mitronne muniko pranaam kiya aur apanee katha sunaakar uddhaaraka raasta poochhaa. rishine bada़ee der tak mana-hee-man vichaarakar kahaa-'tum donon shreeraamachandrajeeke dhanushkoti teerthamen jaakar snaan karo. aisa karanese paapase chhoot jaaoge.'

tadanusaar siyaar aur vaanar tatkaal hee dhanushkotimen gaye aur vahaanke jalase snaanakar sab paaponse mukt hokar shreshth vimaanapar aaroodha़ hokar devalokamen chale gaye. (skandapuraan, braahmakhand, setumaahaatmy adhyaay 39) - jaa0 sha0

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