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अब चिन्ता किस बातकी  [शिक्षदायक कहानी]
बोध कथा - Hindi Story (Hindi Story)

(12) अब चिन्ता किस बातकी

स्वामी केशवानन्द, जिन्होंने शिक्षाका व्यापक प्रचार किया, राज्यसभाके सदस्य थे। एक दिन उनके एक सहकर्मीने देखा कि स्वामीजी हाथपर दो-तीन सूखी रोटियाँ रखे दालसे खा रहे थे। रोटियाँ सूखी एवं ठण्डी थीं, उन्हें वे जल्दी-जल्दी चबाकर गलेके नीचे उतार रहे थे। सहकर्मीने उसका कारण पूछा तो बोले 'मुझे कई जगह जाना है और शामको गाड़ी पकड़नी है, इसलिये तन्दूरसे यहाँ दो रोटियाँ मँगवा ली हैं।'
सहकर्मी बोला-'इस आयुमें आपको ऐसा भोजन नहीं करना चाहिये। कुछ नहीं तो घी, मक्खन एवं फल ही ले लिया करें।'
इसपर स्वामीजी मुसकराते हुए बोले- 'यह तो ठीक है, परंतु जब इन्हीं बातोंकी चिन्ता करनी थी तो संन्यासी बनकर समाजकी सेवाका व्रत ही क्यों लेता ?' सहकर्मी निरुत्तर हो गया।



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ab chinta kis baatakee

(12) ab chinta kis baatakee

svaamee keshavaanand, jinhonne shikshaaka vyaapak prachaar kiya, raajyasabhaake sadasy the. ek din unake ek sahakarmeene dekha ki svaameejee haathapar do-teen sookhee rotiyaan rakhe daalase kha rahe the. rotiyaan sookhee evan thandee theen, unhen ve jaldee-jaldee chabaakar galeke neeche utaar rahe the. sahakarmeene usaka kaaran poochha to bole 'mujhe kaee jagah jaana hai aur shaamako gaada़ee pakada़nee hai, isaliye tandoorase yahaan do rotiyaan mangava lee hain.'
sahakarmee bolaa-'is aayumen aapako aisa bhojan naheen karana chaahiye. kuchh naheen to ghee, makkhan evan phal hee le liya karen.'
isapar svaameejee musakaraate hue bole- 'yah to theek hai, parantu jab inheen baatonkee chinta karanee thee to sannyaasee banakar samaajakee sevaaka vrat hee kyon leta ?' sahakarmee niruttar ho gayaa.

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