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प्रेरणाके लघु दीप  [Hindi Story]
Spiritual Story - शिक्षदायक कहानी (आध्यात्मिक कहानी)

प्रेरणाके लघु दीप

(1) महात्मा गाँधीकी सत्यनिष्ठा
गाँधीजीसे एक अंग्रेजने पूछा कि 'विपरीत स्थितिमें विरोधियोंके बीच भी आप सही बात कहनेमें जरा भी नहीं झिझकते, इसका क्या कारण है ?' गाँधीजी बोले-'मैं सत्यको परमात्माका रूप ही मानता हूँ। सत्यके पक्षमें रहनेसे मुझे लगता है कि मैं सर्वसमर्थ प्रभुकी गोदमें बैठा हूँ। उसकी गोदमें होनेसे फिर किसीका भय कैसे लग सकता है ?'



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preranaake laghu deepa

preranaake laghu deepa

(1) mahaatma gaandheekee satyanishthaa
gaandheejeese ek angrejane poochha ki 'vipareet sthitimen virodhiyonke beech bhee aap sahee baat kahanemen jara bhee naheen jhijhakate, isaka kya kaaran hai ?' gaandheejee bole-'main satyako paramaatmaaka roop hee maanata hoon. satyake pakshamen rahanese mujhe lagata hai ki main sarvasamarth prabhukee godamen baitha hoon. usakee godamen honese phir kiseeka bhay kaise lag sakata hai ?'

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