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आत्मगौरवका आनन्द  [Story To Read]
Hindi Story - छोटी सी कहानी (छोटी सी कहानी)

आत्मगौरवका आनन्द

राजा भोजने नगरवासियोंको एक सार्वजनिक भोज दिया। लाखों लोग भाँति-भाँतिके मिष्टान्नों-पकवानोंको उदरस्थकर तृप्त हुए। अपनी उदारताकी चर्चा एवं प्रशंसा सुनकर राजाका सीना गर्वसे फूल गया।
शामको एक लकड़हारा सिरपर लकड़ीका गट्ठर लिये उन्हें नगरके द्वारपर मिला, उन्होंने उससे पूछा "क्या तुम्हें पता नहीं था कि राजा भोजने आज सार्वजनिक भोज दिया है, अन्यथा तुम्हें यह श्रम क्यों करना पड़ता ?"
'नहीं, मुझे पूरी तरह पता था, पर जो परिश्रमकी कमायी खा सकता है, उसे राजा भोजके सार्वजनिक भोजसे क्या लेना-देना? परिश्रमकी सूखी रोटीका मुफ्तके पकवानोंमें कहाँ ?' लकड़हारा बोला।
श्रम और पसीनेसे उपार्जित जीविकासे जो आत्मगौरवजुड़ा है, उसका आनन्द षट्रस व्यंजनोंसे भी अधिक है। राजा उसकी सच्ची बातसे प्रभावित हुए और उसे पुरस्कृत किया।



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aatmagauravaka aananda

aatmagauravaka aananda

raaja bhojane nagaravaasiyonko ek saarvajanik bhoj diyaa. laakhon log bhaanti-bhaantike mishtaannon-pakavaanonko udarasthakar tript hue. apanee udaarataakee charcha evan prashansa sunakar raajaaka seena garvase phool gayaa.
shaamako ek lakada़haara sirapar lakada़eeka gatthar liye unhen nagarake dvaarapar mila, unhonne usase poochha "kya tumhen pata naheen tha ki raaja bhojane aaj saarvajanik bhoj diya hai, anyatha tumhen yah shram kyon karana pada़ta ?"
'naheen, mujhe pooree tarah pata tha, par jo parishramakee kamaayee kha sakata hai, use raaja bhojake saarvajanik bhojase kya lenaa-denaa? parishramakee sookhee roteeka muphtake pakavaanonmen kahaan ?' lakada़haara bolaa.
shram aur paseenese upaarjit jeevikaase jo aatmagauravajuda़a hai, usaka aanand shatras vyanjanonse bhee adhik hai. raaja usakee sachchee baatase prabhaavit hue aur use puraskrit kiyaa.

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