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कुपात्रको दानका फल  [Shikshaprad Kahani]
आध्यात्मिक कहानी - प्रेरक कथा (Wisdom Story)


कुपात्रको दानका फल

एक कसाई एक गायको दूर कसाईखानेकी ओर ले जा रहा था। बीच रास्तेमें एक जगह गायने आगे बढ़नेसे इनकार कर दिया। कसाई उसे पीटता, पर वह टस-से मस न होती। बड़ी मुसीबत थी। आखिर कसाई भूख प्यास और थकावटके मारे तंग आ गया। तब गायको एक पेड़से बाँध वह गाँवमें एक अतिथिशालामें जा पहुँचा। वहाँ भरपेट भोजन करनेके बाद उसमें ताकत आयी और तब आसानीसे उस गायको कसाईखाने ले जाकर उसने उसकी हत्या की। गोहत्याके पापका बहुत-सा भाग उस | अतिथिशालाके लिये अपनी लौकिक उन्नति और यशको कामनासे अन्नदान करनेवाले मालिकको लगा; क्योंकि उसकी सहायताके बिना कसाई गायको ले जानेमें समर्थन होता। इसलिये भोजन या अन्य वस्तुका सकाम दान देते समय यह विचार करना चाहिये कि दान ग्रहण करनेवाला व्यक्ति कहीं दुर्जन या पापी तो नहीं है, कहीं वह उस दानका दुरुपयोग तो नहीं करेगा।



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kupaatrako daanaka phala


kupaatrako daanaka phala

ek kasaaee ek gaayako door kasaaeekhaanekee or le ja raha thaa. beech raastemen ek jagah gaayane aage badha़nese inakaar kar diyaa. kasaaee use peetata, par vah tasa-se mas n hotee. bada़ee museebat thee. aakhir kasaaee bhookh pyaas aur thakaavatake maare tang a gayaa. tab gaayako ek peda़se baandh vah gaanvamen ek atithishaalaamen ja pahunchaa. vahaan bharapet bhojan karaneke baad usamen taakat aayee aur tab aasaaneese us gaayako kasaaeekhaane le jaakar usane usakee hatya kee. gohatyaake paapaka bahuta-sa bhaag us | atithishaalaake liye apanee laukik unnati aur yashako kaamanaase annadaan karanevaale maalikako lagaa; kyonki usakee sahaayataake bina kasaaee gaayako le jaanemen samarthan hotaa. isaliye bhojan ya any vastuka sakaam daan dete samay yah vichaar karana chaahiye ki daan grahan karanevaala vyakti kaheen durjan ya paapee to naheen hai, kaheen vah us daanaka durupayog to naheen karegaa.

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