⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

कौन सिखाएगा  [Spiritual Story]
हिन्दी कथा - प्रेरक कहानी (आध्यात्मिक कहानी)

महर्षि गौतमके आश्रम में कई शिष्य रहते थे। वे आश्रममें विद्याध्ययन करते हुए गुरुकी गृहकार्यमें मदद भी करते थे। इसी कारण हर विद्यार्थीको गुरुजीके आश्रमकी हर बात पता थी। एक दिन नरेन्द्र नामके एक विद्यार्थीने गुरुके घरसे कुछ खानेकी चीजें चुरा लीं। उसके एक साथीने उसे रँगे हाथों पकड़ लिया। बात धीरे-धीरे महर्षिके कानतक भी पहुँची, परंतु
उन्होंने इस घटनाको सुनी-अनसुनी कर दिया। इधर नरेन्द्रकी हिम्मत इससे और बढ़ गयी। अब वह जब भी मौका पाता कुछ-न-कुछ वस्तु चुरा लिया करता । एक दिन उसके एक अन्य साथीने फिर उसे चोरी करते हुए पकड़ लिया। सारे विद्यार्थियोंने इस बार बड़ा शोरगुल किया। वे तुरंत ही महर्षि गौतमके | पास उसकी शिकायत करने पहुँचे।
सारी बात सुनकर गौतम हँसे, बोले- 'नरेन्द्रने ऐसा किया? ठीक है।' विद्यार्थी समझे कि गुरुजी सोच-विचारकर कुछ दण्ड देंगे, परंतु गुरुजीने फिर भी उसको कुछ नहीं कहा तो सारे विद्यार्थियोंमें रोष फैल गया। गुरुजीके इस रवैयेपर सब चकित थे। दूसरे दिन सब नरेन्द्रको पकड़ करके गुरुजीके पास ले गये और बोले—'गुरुदेव ! आपकी यह बात हमारी जरा भी समझमें नहीं आती है। इस चोरको इसी समय आश्रमसे निकाल देना चाहिये।'
विद्यार्थी कह ही रहे थे तभी महर्षि गौतमने
बात काटकर कहा—तुम्हारा कहना ठीक हो सकता है कि चोरको आश्रममें नहीं रखना चाहिये, पर नरेन्द्र नहीं जायगा। वह यहींपर रहेगा। विद्यार्थियोंने यह सुनते ही हो-हल्ला मचाना शुरू कर दिया। गौतमजीने थोड़ी देर बाद उन्हें शान्त होनेको कहा तो वे एक साथ चिल्लाने लगे- 'तो गुरुदेव ! आप अपने लाड़ले नरेन्द्रको ही रखिये अपने पास। हम सब आश्रम छोड़ देंगे आज ही।'
गौतमजीने सबको शान्त होनेको कहा और बोले— "तुम सब समझदार हो। क्या उचित है, क्या अनुचित है-इसकी परख तुम्हें है। यदि नरेन्द्र यह नहीं समझता है तो क्या हमें उसे सिखाना नहीं चाहिये ? यदि वह जानता तो ऐसा बार-बार करता ही क्यों ? फिर मैं भी उसे भगा दूँ, तो इसे क्या उचित है और क्या अनुचित है, आखिर कौन सिखायेगा ? मैं उसे यह सिखलाऊँगा ही। यह तो यहीं रहेगा, तुम लोग चाहो तो जा सकते हो।' यह सुनकर नरेन्द्रकी आँखों में आँसू आ गये। उसने दौड़कर गुरुजीके पैर पकड़ लिये। बादमें सभी दोस्तोंसे क्षमा माँगकर वह भी अन्य विद्यार्थियोंकी तरह रहने लगा।



You may also like these:

Spiritual Story आपद्धर्म
हिन्दी कहानी दुर्जन-सङ्गका फल
छोटी सी कहानी नित्य अभिन्न
आध्यात्मिक कथा पाँच स्कन्धोंका संघात
हिन्दी कहानी सभ्यता
छोटी सी कहानी सोनेका दान
आध्यात्मिक कथा अपनेको बड़ा न समझें
हिन्दी कहानी विद्यालय और गुरु


kaun sikhaaegaa

maharshi gautamake aashram men kaee shishy rahate the. ve aashramamen vidyaadhyayan karate hue gurukee grihakaaryamen madad bhee karate the. isee kaaran har vidyaartheeko gurujeeke aashramakee har baat pata thee. ek din narendr naamake ek vidyaartheene guruke gharase kuchh khaanekee cheejen chura leen. usake ek saatheene use range haathon pakada़ liyaa. baat dheere-dheere maharshike kaanatak bhee pahunchee, parantu
unhonne is ghatanaako sunee-anasunee kar diyaa. idhar narendrakee himmat isase aur badha़ gayee. ab vah jab bhee mauka paata kuchha-na-kuchh vastu chura liya karata . ek din usake ek any saatheene phir use choree karate hue pakada़ liyaa. saare vidyaarthiyonne is baar bada़a shoragul kiyaa. ve turant hee maharshi gautamake | paas usakee shikaayat karane pahunche.
saaree baat sunakar gautam hanse, bole- 'narendrane aisa kiyaa? theek hai.' vidyaarthee samajhe ki gurujee socha-vichaarakar kuchh dand denge, parantu gurujeene phir bhee usako kuchh naheen kaha to saare vidyaarthiyonmen rosh phail gayaa. gurujeeke is ravaiyepar sab chakit the. doosare din sab narendrako pakada़ karake gurujeeke paas le gaye aur bole—'gurudev ! aapakee yah baat hamaaree jara bhee samajhamen naheen aatee hai. is chorako isee samay aashramase nikaal dena chaahiye.'
vidyaarthee kah hee rahe the tabhee maharshi gautamane
baat kaatakar kahaa—tumhaara kahana theek ho sakata hai ki chorako aashramamen naheen rakhana chaahiye, par narendr naheen jaayagaa. vah yaheenpar rahegaa. vidyaarthiyonne yah sunate hee ho-halla machaana shuroo kar diyaa. gautamajeene thoda़ee der baad unhen shaant honeko kaha to ve ek saath chillaane lage- 'to gurudev ! aap apane laada़le narendrako hee rakhiye apane paasa. ham sab aashram chhoda़ denge aaj hee.'
gautamajeene sabako shaant honeko kaha aur bole— "tum sab samajhadaar ho. kya uchit hai, kya anuchit hai-isakee parakh tumhen hai. yadi narendr yah naheen samajhata hai to kya hamen use sikhaana naheen chaahiye ? yadi vah jaanata to aisa baara-baar karata hee kyon ? phir main bhee use bhaga doon, to ise kya uchit hai aur kya anuchit hai, aakhir kaun sikhaayega ? main use yah sikhalaaoonga hee. yah to yaheen rahega, tum log chaaho to ja sakate ho.' yah sunakar narendrakee aankhon men aansoo a gaye. usane dauda़kar gurujeeke pair pakada़ liye. baadamen sabhee dostonse kshama maangakar vah bhee any vidyaarthiyonkee tarah rahane lagaa.

64 Views





Bhajan Lyrics View All

ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे
किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥

New Bhajan Lyrics View All

भोला और गौरा की जोड़ी लगती खूब क़माल,
दूल्हा बने हैं हैं भोले बाबा बजे शहनाई
दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया,
कोई हमदर्द तुमसा नहीं है...
मेरो भोले भंडारी गौरा से ऐसे बोल रहयो...
चाहे राम भजो चाहे श्याम,
नाम दोनों हितकारी है,
तुम्हारी शरण मिल गयी सांवरे, तुम्हारी
हमे देखने वाला कोई ना था, तुम जो मिले ब