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क्षणभरका कुसङ्ग भी पतनका कारण होता है  [छोटी सी कहानी]
शिक्षदायक कहानी - प्रेरक कहानी (Shikshaprad Kahani)

किसी समय कन्नौजमें अजामिल नामका एक तरुण ब्राह्मण रहता था। वह शास्त्रोंका विद्वान् था, शीलवान् था, कोमल स्वभावका उदार, सत्यवादी तथा संयमी था। गुरुजनों का सेवक था, समस्त प्राणियोंका हितैषी था, बहुत कम और संयत वाणी बोलता था एवं किसीसे भी द्वेष या घृणा नहीं करता था।

वह धर्मात्मा ब्राह्मण युवक पिताकी आज्ञासे एक दिन वनमें फल, पुष्प, अग्रिहोत्रके लिये सूखी समिधा और कुश लेने गया। इन सब सामग्रियोंको लेकर वह लौटने लगा तो उससे एक भूल हो गयी। वह ऐसे मार्गसे लौटा, जिस मार्गमें आचरणहीन लोग रहा करते थे। यह एक नन्ही-सी भूल ही उस ब्राह्मणके पतनका कारण हो गयी।

ब्राह्मण अजामिल जिस मार्गसे लौट रहा था, उस मार्गमें एक शूद्र एक दुराचारिणी स्त्रीके साथ शराब पीकर निर्लज विनोद कर रहा था। वह स्त्री शराबके नशेमें लज्जाहीन हो रही थी। उसके वस्त्र अस्तव्यस्त हो रहे थे। अजामिलने पाससे यह दृश्य देखा। वह शीघ्रतापूर्वक वहाँ से चला आया; किंतु उसके मनमें सुप्त विकार उस क्षणभरके कुसङ्गसे ही प्रबल हो चुका था।

अजामिल घर चला आया; किंतु उसका मनउन्मत्त हो उठा। वह बार-बार मनको संयत करनेका प्रयत्न करता था; किंतु मन उस कदाचारिणी स्त्रीका ही चिन्तन करनेमें लगा था। अन्ततः अजामिल मनके इस संघर्षमें हार गया। एक क्षणके कुसङ्गने धर्मात्मा संयमी ब्राह्मणको डुबा दिया पाप - सागरमें। उस कदाचारिणी स्त्रीको ही संतुष्ट करनेमें अजामिल लग गया। माता पिता, जाति-धर्म, कुल-सदाचार और साध्वी पत्नीको भी उसने छोड़ दिया। लोक-निन्दाका कोई भय उसे रोक नहीं सका। समस्त पैतृक धन घरसे ले जाकर उसने उसी कुलटाको संतुष्ट करनेमें लगा दिया और बात यहाँतक बढ़ गयी कि उसी स्त्रीके साथ अलग घर बनाकर वह रहने लगा ।

जब एक बार मनुष्यका पतन हो जाता है, तब फिर उसका सम्हलना कठिन होता है। वह बराबर नीचे ही गिरता जाता है। अब अजामिलको तो उस कुलटा नारीको संतुष्ट करना था और इसका उपाय था उसे धन देते रहना। चोरी, जूआ, छल-कपट-जिस उपायसे धन मिले- धर्म-अधर्मका प्रश्न ही अजामिलके सामने से हट गया।

तनिक देरका कुसङ्ग कितना महान् अनर्थ करता है। एक धर्मात्मा संयमी एक क्षणके प्रमादसे आचारहीन घोर अधर्मी बन गया। – सु0 सिं0 (श्रीमद्भागवत 6 । 1)



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kshanabharaka kusang bhee patanaka kaaran hota hai

kisee samay kannaujamen ajaamil naamaka ek tarun braahman rahata thaa. vah shaastronka vidvaan tha, sheelavaan tha, komal svabhaavaka udaar, satyavaadee tatha sanyamee thaa. gurujanon ka sevak tha, samast praaniyonka hitaishee tha, bahut kam aur sanyat vaanee bolata tha evan kiseese bhee dvesh ya ghrina naheen karata thaa.

vah dharmaatma braahman yuvak pitaakee aajnaase ek din vanamen phal, pushp, agrihotrake liye sookhee samidha aur kush lene gayaa. in sab saamagriyonko lekar vah lautane laga to usase ek bhool ho gayee. vah aise maargase lauta, jis maargamen aacharanaheen log raha karate the. yah ek nanhee-see bhool hee us braahmanake patanaka kaaran ho gayee.

braahman ajaamil jis maargase laut raha tha, us maargamen ek shoodr ek duraachaarinee streeke saath sharaab peekar nirlaj vinod kar raha thaa. vah stree sharaabake nashemen lajjaaheen ho rahee thee. usake vastr astavyast ho rahe the. ajaamilane paasase yah drishy dekhaa. vah sheeghrataapoorvak vahaan se chala aayaa; kintu usake manamen supt vikaar us kshanabharake kusangase hee prabal ho chuka thaa.

ajaamil ghar chala aayaa; kintu usaka manaunmatt ho uthaa. vah baara-baar manako sanyat karaneka prayatn karata thaa; kintu man us kadaachaarinee streeka hee chintan karanemen laga thaa. antatah ajaamil manake is sangharshamen haar gayaa. ek kshanake kusangane dharmaatma sanyamee braahmanako duba diya paap - saagaramen. us kadaachaarinee streeko hee santusht karanemen ajaamil lag gayaa. maata pita, jaati-dharm, kula-sadaachaar aur saadhvee patneeko bhee usane chhoda़ diyaa. loka-nindaaka koee bhay use rok naheen sakaa. samast paitrik dhan gharase le jaakar usane usee kulataako santusht karanemen laga diya aur baat yahaantak badha़ gayee ki usee streeke saath alag ghar banaakar vah rahane laga .

jab ek baar manushyaka patan ho jaata hai, tab phir usaka samhalana kathin hota hai. vah baraabar neeche hee girata jaata hai. ab ajaamilako to us kulata naareeko santusht karana tha aur isaka upaay tha use dhan dete rahanaa. choree, jooa, chhala-kapata-jis upaayase dhan mile- dharma-adharmaka prashn hee ajaamilake saamane se hat gayaa.

tanik deraka kusang kitana mahaan anarth karata hai. ek dharmaatma sanyamee ek kshanake pramaadase aachaaraheen ghor adharmee ban gayaa. – su0 sin0 (shreemadbhaagavat 6 . 1)

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