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शिव-पार्वतीकी कृपा  [Short Story]
Spiritual Story - Short Story (शिक्षदायक कहानी)

एक अयाची वृत्तिके महात्मा काशी गये। सुबहसे शाम हो गयी, पर न तो उन्होंने किसीसे कुछ माँगा और न कुछ खाया। संध्याको एक वृद्ध उनके पास आये और उनको कुछ खानेको दिया, तब उन्होंने खाया। इस तरह वे वृद्ध रोज आकर उनको खिला देते। एक दिन एक वृद्धा भी वृद्धको ढूँढ़ती हुई वहाँआयी। अब उसने आकर वृद्धके साथ भोजन बनाकर उनको दिया। उसी दिन रातको उनको स्वप्न आया कि तुम्हारे मनमें यह दृढ़ विश्वास था कि 'काशीमें भगवान् शिव-पार्वतीके दर्शन हो ही जायँगे। इसीलिये हमलोग वृद्ध-वृद्धा बनकर आये थे।' यह स्वप्न देखकर महात्मा भाव-विह्वल होकर फूट-फूटकर रोने लगे।



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shiva-paarvateekee kripaa

ek ayaachee vrittike mahaatma kaashee gaye. subahase shaam ho gayee, par n to unhonne kiseese kuchh maanga aur n kuchh khaayaa. sandhyaako ek vriddh unake paas aaye aur unako kuchh khaaneko diya, tab unhonne khaayaa. is tarah ve vriddh roj aakar unako khila dete. ek din ek vriddha bhee vriddhako dhoonढ़tee huee vahaanaayee. ab usane aakar vriddhake saath bhojan banaakar unako diyaa. usee din raatako unako svapn aaya ki tumhaare manamen yah dridha़ vishvaas tha ki 'kaasheemen bhagavaan shiva-paarvateeke darshan ho hee jaayange. iseeliye hamalog vriddha-vriddha banakar aaye the.' yah svapn dekhakar mahaatma bhaava-vihval hokar phoota-phootakar rone lage.

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