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ग्रामीणकी ईमानदारी  [आध्यात्मिक कहानी]
प्रेरक कथा - बोध कथा (आध्यात्मिक कथा)

एक धनी व्यापारी मुसाफिरीमें रात बितानेके लिये किसी छोटे गाँवमें एक गरीबकी झोंपड़ीमें ठहरा। वहाँसे जाते समय वह अपनी सोनेकी मोहरोंकी थैली वहीं भूल गया। तीन महीने बाद वही व्यापारी फिर उसी रास्ते जा रहा था। दैवसंयोगसे उसी गाँवमें रात हुई और वह उसी गरीबके घर जाकर ठहरा। मोहरोंकी थैली रास्तेमें कहाँ गिरी थी, इसका उसे कुछ भी पता नहीं था। इसलिये उसने उस थैलीकी तो आशा ही छोड़ दी थी। झोंपड़ीमें आकर ठहरते ही झोंपड़ीके स्वामीने अपने-आप ही आकर कहा- 'सेठजी ! आपकी एक मोहरोंकी थैली यहाँ रह गयी थी, उसे लीजिये। आपका नाम-पता न जाननेके कारण मैं अबतक थैली नहीं भेज सका। मैंने उसे अबतक धरोहरके रूपमें रख छोड़ा था।' बूढ़े-दरिद्र ग्रामीणकी ईमानदारीपर व्यापारी मुग्ध हो गया और वह इतना कृतज्ञ हुआ कि उसका गुण गाते-गाते थका ही नहीं तथा अन्तमें बहुत आग्रह करके उसके लड़केको अपने साथ लेता गया।



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graameenakee eemaanadaaree

ek dhanee vyaapaaree musaaphireemen raat bitaaneke liye kisee chhote gaanvamen ek gareebakee jhonpada़eemen thaharaa. vahaanse jaate samay vah apanee sonekee moharonkee thailee vaheen bhool gayaa. teen maheene baad vahee vyaapaaree phir usee raaste ja raha thaa. daivasanyogase usee gaanvamen raat huee aur vah usee gareebake ghar jaakar thaharaa. moharonkee thailee raastemen kahaan giree thee, isaka use kuchh bhee pata naheen thaa. isaliye usane us thaileekee to aasha hee chhoda़ dee thee. jhonpada़eemen aakar thaharate hee jhonpada़eeke svaameene apane-aap hee aakar kahaa- 'sethajee ! aapakee ek moharonkee thailee yahaan rah gayee thee, use leejiye. aapaka naama-pata n jaananeke kaaran main abatak thailee naheen bhej sakaa. mainne use abatak dharoharake roopamen rakh chhoda़a thaa.' boodha़e-daridr graameenakee eemaanadaareepar vyaapaaree mugdh ho gaya aur vah itana kritajn hua ki usaka gun gaate-gaate thaka hee naheen tatha antamen bahut aagrah karake usake lada़keko apane saath leta gayaa.

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सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
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