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जैसा क्रोध, वैसा उपचार  [आध्यात्मिक कथा]
हिन्दी कहानी - हिन्दी कथा (Short Story)

जैसा क्रोध, वैसा उपचार

एक स्त्रीको जरा-जरा-सी बातपर गुस्सा आता था। उसके इस स्वभावसे घर-परिवारके लोग बहुत परेशान रहते थे। एक दिन एक साधु उस स्त्रीके घर आया। वह स्त्री साधुसे बोली- 'महाराज ! मुझे बात-बातपर गुस्सा आ जाता है और चाहते हुए भी मैं उसपर काबू नहीं रख पाती। कृपया मुझे बताइये कि मैं अपने गुस्सेपर कैसे नियन्त्रण करूँ ?'
यह सुन साधु उसे एक शीशी देते हुए बोला-'इस शीशीमेंसे दवा बूँद-बूँद निकलती है। जब भी तुम्हें गुस्सा आये, तुम इस शीशीसे तबतक दवाई पीना, जबतक कि तुम्हारा गुस्सा शान्त न हो जाय।'
सात दिन बाद जब पुनः वह साधु उस स्त्रीके घरपर आया, तो वह स्त्री साधुके चरणोंमें गिर पड़ी और बोली 'महाराज! आखिर कौन-सी दवाई थी, जिसने एक सप्ताह में हो मुझे इतना बदल दिया। अब मुझे गुस्सा नहीं आता!" इसपर साधुने कहा- 'बेटी! उस शीशीमें कोई दवाई नहीं, अपितु पानी था। गुस्सेको नियन्त्रणमें रखनेका सबसे सरल उपाय मुँह बन्द रखना है। गुस्सेमें इंसान जितना उलटा-सीधा बोलता है, बात उतनी ही बढ़ती जाती है और लड़ाईकी नौबत आ जाती है।'
स्त्री साधु महाराजकी बात समझते हुए बोली 'महाराज! आपने सत्य कहा। यदि हम गुस्सेमें सिर्फ चुप भर रहें तो व्यर्थक विवाद उत्पन्न न हों।'



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jaisa krodh, vaisa upachaara

jaisa krodh, vaisa upachaara

ek streeko jaraa-jaraa-see baatapar gussa aata thaa. usake is svabhaavase ghara-parivaarake log bahut pareshaan rahate the. ek din ek saadhu us streeke ghar aayaa. vah stree saadhuse bolee- 'mahaaraaj ! mujhe baata-baatapar gussa a jaata hai aur chaahate hue bhee main usapar kaaboo naheen rakh paatee. kripaya mujhe bataaiye ki main apane gussepar kaise niyantran karoon ?'
yah sun saadhu use ek sheeshee dete hue bolaa-'is sheesheemense dava boonda-boond nikalatee hai. jab bhee tumhen gussa aaye, tum is sheesheese tabatak davaaee peena, jabatak ki tumhaara gussa shaant n ho jaaya.'
saat din baad jab punah vah saadhu us streeke gharapar aaya, to vah stree saadhuke charanonmen gir pada़ee aur bolee 'mahaaraaja! aakhir kauna-see davaaee thee, jisane ek saptaah men ho mujhe itana badal diyaa. ab mujhe gussa naheen aataa!" isapar saadhune kahaa- 'betee! us sheesheemen koee davaaee naheen, apitu paanee thaa. gusseko niyantranamen rakhaneka sabase saral upaay munh band rakhana hai. gussemen insaan jitana ulataa-seedha bolata hai, baat utanee hee badha़tee jaatee hai aur lada़aaeekee naubat a jaatee hai.'
stree saadhu mahaaraajakee baat samajhate hue bolee 'mahaaraaja! aapane saty kahaa. yadi ham gussemen sirph chup bhar rahen to vyarthak vivaad utpann n hon.'

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