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दयालु स्वामीके दिये दुःखका भी स्वागत  [Story To Read]
शिक्षदायक कहानी - प्रेरक कहानी (प्रेरक कहानी)

हकीम लुकमान बचपनमें गुलाम थे। एक दिन उनके स्वामीने एक ककड़ी खानी चाही मुँहमें लगाते ही जान पड़ा कि ककड़ी अत्यन्त कड़वी है। स्वामीने ककड़ी लुकमानकी ओर बढ़ा दी 'ले, इसे तू खा ले!' लुकमानने ककड़ी ले ली और बिना मुँह बिचकाये वे उसे खा गये।

लुकमानके स्वामीने समझा था कि इतनी कड़वी ककड़ी कोई खा नहीं सकता। लुकमान इसे फेंक देगा। परंतु जब लुकमानने पूरी ककड़ी खा ली तो वह आश्चर्यचकित होकर पूछने लगा- 'तू इतनी कड़वी ककड़ी कैसे खा सका ?'लुकमान बोले- 'मेरे उदार स्वामी ! आप मुझे प्रतिदिन स्वादिष्ट पदार्थ प्रेमपूर्वक देते हैं। आपके द्वारा प्राप्त अनेक प्रकारके सुख मैं भोगता हूँ। ऐसी अवस्थामें एक दिन आपके हाथसे कड़वी ककड़ी मुझे मिली उसे मैं क्यों आनन्दपूर्वक नहीं खाऊँ?"

वह व्यक्ति समझदार था, दयालु था और धर्मात्मा था। उसने लुकमानका आदर किया। वह बोला-'तुमने मुझे उपदेश किया है कि जो परमात्मा हमें अनेक प्रकारके सुख देता है, उसीके हाथसे यदि कभी दुःख भी आवे तो उस दुःखको प्रसन्नतापूर्वक भोग लेना चाहिये। आजसे तुम गुलाम नहीं रहे।' -सु0 सिं0



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dayaalu svaameeke diye duhkhaka bhee svaagata

hakeem lukamaan bachapanamen gulaam the. ek din unake svaameene ek kakada़ee khaanee chaahee munhamen lagaate hee jaan pada़a ki kakada़ee atyant kada़vee hai. svaameene kakada़ee lukamaanakee or baढ़a dee 'le, ise too kha le!' lukamaanane kakada़ee le lee aur bina munh bichakaaye ve use kha gaye.

lukamaanake svaameene samajha tha ki itanee kada़vee kakada़ee koee kha naheen sakataa. lukamaan ise phenk degaa. parantu jab lukamaanane pooree kakada़ee kha lee to vah aashcharyachakit hokar poochhane lagaa- 'too itanee kada़vee kakada़ee kaise kha saka ?'lukamaan bole- 'mere udaar svaamee ! aap mujhe pratidin svaadisht padaarth premapoorvak dete hain. aapake dvaara praapt anek prakaarake sukh main bhogata hoon. aisee avasthaamen ek din aapake haathase kada़vee kakada़ee mujhe milee use main kyon aanandapoorvak naheen khaaoon?"

vah vyakti samajhadaar tha, dayaalu tha aur dharmaatma thaa. usane lukamaanaka aadar kiyaa. vah bolaa-'tumane mujhe upadesh kiya hai ki jo paramaatma hamen anek prakaarake sukh deta hai, useeke haathase yadi kabhee duhkh bhee aave to us duhkhako prasannataapoorvak bhog lena chaahiye. aajase tum gulaam naheen rahe.' -su0 sin0

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