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धनका परिणाम – हिंसा  [हिन्दी कहानी]
आध्यात्मिक कहानी - छोटी सी कहानी (Spiritual Story)

दो सगे भाई थे, ब्राह्मण थे और दरिद्र थे। बहुत कम पढ़े-लिखे थे दोनों कंगालीसे ऊबकर दोनों साथ ही घरसे निकले और समुद्र किनारेकी एक वस्तीमें पहुँचे। वहीं मछुओंके घर ही अधिक थे बड़ी ऊँची पगड़ी, भव्य तिलक और पोथियोंकी बड़ी बड़ी गठरी थी दोनों भाइयोंके पास दोनोंने अपनेको ज्योतिषी प्रसिद्ध कर रखा था। मन्त्र-तन्त्र, झाड़-फूँक सभी करते थे वे। दोनोंने उन अपढ़-सीधे, श्रद्धालु मछुओंको भरपूर ठगा। कुछ दिनोंमें ही उनके पास पर्याप्त धन हो गया। दोनों जब घर लौटने लगे, तब उनके पास उनके कमाये धनके रूपमें सोनेकी मोहरोंसे भरी थैली थी।

बड़ी विचित्र दशा थी मोहरोंकी थैलीको बारी बारीसे वे अपने पास रखते थे। परंतु जिसके पास थैली रहती थी, उसीके मनमें विचार आता था मैं यदि अपने भाईको मार डालूँ तो पूरा धन मेरा हो जाय।'

दोनों सगे भाई थे। दोनोंमें प्रगाढ़ प्रेम था। इसलिये दोमेंसे किसीने अपने पापपूर्ण विचारको कार्यरूप नहीं दिया। उलटे घरके समीप पहुँचकर जिसके पास थैली नहीं थी, उसने दूसरेसे कहा- 'भैया! क्षमा करना। जब-जब यह थैली मेरे पास आयी, तब-तब मेरे मनमें तुम्हें मार देनेकी इच्छा हुई। इसलिये यह धन तुम्हीं रखो।

दूसरे भाईने कहा- 'मेरी भी यही दशा है। थैली मेरे पास है, इसलिये इस समय भी मेरे मनमें यही विचार उठ रहे थे। हम दोनों ही भ्रातृत्वका नाशकरनेवाले इस धनका त्याग कर दें, यही उत्तम होगा।' घरके समीप ही एक गड्ढा था, जिसमें घरका कूड़ा-कचरा डाला जाता था। दोनोंने वह थलो उसीमें फेंक दी। यह भी चिन्ता नहीं की कि उसे ढक दिया जाय। वे उसे फेंककर घर चले गये। परंतु उनकी बहिन थोड़ी देरमें ही फल तथा शाकके छिलके उस गड्ढे में डालने आयी। थैली लुढ़की पड़ी थी। मोहरें कुछ बाहर गिरी दीख रही थीं। उस नारीने उस धनको उठाकर वस्त्रोंमें छिपाना प्रारम्भ किया, जिससे रात्रिमें अपने पतिके पास उसे भेज सके।

'आप कूड़ेके गड्ढेमें क्या कर रही हैं?' भाइयोंमेंसे एककी स्त्री किसी कामसे घरसे बाहर निकली और अपनी ननदको कूड़ेके गड्ढेमें कुछ करते देख उसके पास पहुँचकर पूछने लगी । ननदने समझा कि भाभीने मोहरें देख ली हैं। हाथमें फल काटनेकी छुरी थी ही, उसे उसने भाभीके पेटमें भोंक दिया।

छुरी लगनेसे एक चीत्कार की घायल स्त्रीने उस चीत्कारको सुनकर उसका पति दौड़ आया । बहिन घबराकर भागने लगी तो उसकी बगलमें दबी थैली नीचे गिर पड़ी। अब बहिनको और कुछ नहीं सूझा, उसने वह छुरी अपने पेटमें भी मार ली!

'भैया! पापके कमाये इस धनने फेंक देनेपर भी इतना अनर्थ किया।' दूसरा भाई भी दौड़ आया था। जो पहले आया था, वह सिर पकड़कर बैठ गया था।



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dhanaka parinaam – hinsaa

do sage bhaaee the, braahman the aur daridr the. bahut kam padha़e-likhe the donon kangaaleese oobakar donon saath hee gharase nikale aur samudr kinaarekee ek vasteemen pahunche. vaheen machhuonke ghar hee adhik the bada़ee oonchee pagada़ee, bhavy tilak aur pothiyonkee bada़ee bada़ee gatharee thee donon bhaaiyonke paas dononne apaneko jyotishee prasiddh kar rakha thaa. mantra-tantr, jhaada़-phoonk sabhee karate the ve. dononne un apadha़-seedhe, shraddhaalu machhuonko bharapoor thagaa. kuchh dinonmen hee unake paas paryaapt dhan ho gayaa. donon jab ghar lautane lage, tab unake paas unake kamaaye dhanake roopamen sonekee moharonse bharee thailee thee.

bada़ee vichitr dasha thee moharonkee thaileeko baaree baareese ve apane paas rakhate the. parantu jisake paas thailee rahatee thee, useeke manamen vichaar aata tha main yadi apane bhaaeeko maar daaloon to poora dhan mera ho jaaya.'

donon sage bhaaee the. dononmen pragaadha़ prem thaa. isaliye domense kiseene apane paapapoorn vichaarako kaaryaroop naheen diyaa. ulate gharake sameep pahunchakar jisake paas thailee naheen thee, usane doosarese kahaa- 'bhaiyaa! kshama karanaa. jaba-jab yah thailee mere paas aayee, taba-tab mere manamen tumhen maar denekee ichchha huee. isaliye yah dhan tumheen rakho.

doosare bhaaeene kahaa- 'meree bhee yahee dasha hai. thailee mere paas hai, isaliye is samay bhee mere manamen yahee vichaar uth rahe the. ham donon hee bhraatritvaka naashakaranevaale is dhanaka tyaag kar den, yahee uttam hogaa.' gharake sameep hee ek gaddha tha, jisamen gharaka kooda़aa-kachara daala jaata thaa. dononne vah thalo useemen phenk dee. yah bhee chinta naheen kee ki use dhak diya jaaya. ve use phenkakar ghar chale gaye. parantu unakee bahin thoda़ee deramen hee phal tatha shaakake chhilake us gaddhe men daalane aayee. thailee ludha़kee pada़ee thee. moharen kuchh baahar giree deekh rahee theen. us naareene us dhanako uthaakar vastronmen chhipaana praarambh kiya, jisase raatrimen apane patike paas use bhej sake.

'aap kooda़eke gaddhemen kya kar rahee hain?' bhaaiyonmense ekakee stree kisee kaamase gharase baahar nikalee aur apanee nanadako kooda़eke gaddhemen kuchh karate dekh usake paas pahunchakar poochhane lagee . nanadane samajha ki bhaabheene moharen dekh lee hain. haathamen phal kaatanekee chhuree thee hee, use usane bhaabheeke petamen bhonk diyaa.

chhuree laganese ek cheetkaar kee ghaayal streene us cheetkaarako sunakar usaka pati dauda़ aaya . bahin ghabaraakar bhaagane lagee to usakee bagalamen dabee thailee neeche gir pada़ee. ab bahinako aur kuchh naheen soojha, usane vah chhuree apane petamen bhee maar lee!

'bhaiyaa! paapake kamaaye is dhanane phenk denepar bhee itana anarth kiyaa.' doosara bhaaee bhee dauda़ aaya thaa. jo pahale aaya tha, vah sir pakada़kar baith gaya thaa.

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