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धर्मके लिये प्राणदान  [Hindi Story]
Wisdom Story - शिक्षदायक कहानी (हिन्दी कथा)

बात शाहजहाँके शासनकालकी है। स्यालकोटके एक छोटे मदरसेमें बालक हकीकतराय पढ़ता था । एक दिन मौलवी साहब कहीं बाहर चले गये। अवसर पाकर बालक खेलने लगे। मुसलमान लड़के स्वभावसे हकीकतरायको छेड़ते रहते थे। उन सबने उस दिन भी हकीकतरायको तंग करना प्रारम्भ किया, उसे गालियाँ दीं और फिर हिंदुओंके देवी-देवताओंको गालियाँ देनी प्रारम्भ कीं ।

जब हकीकतरायसे नहीं सहा गया, तब उसने कहा 'अगर तुम्हारे पैगम्बरको भी यही बातें कही जायँ तो ?" मुसलमान लड़कोंने गुस्सेसे कहा- 'तुम इतनी हिम्मत कर सकते हो? जरा कहकर तो देखो।'

बालक हकीकतरायने वे ही शब्द दुहरा दिये। लेकिन वहाँ तो मुसलमान लड़कोंकी यह दशा हो गयी मानो प्रलय हो गया हो। उन्होंने बातका बतंगड़ बना लिया। मौलवी साहबके पास सब दौड़े गये और नमक-मिर्च लगाकर सब बातें कहीं।

हकीकतरायको झूठ नहीं बोलना था। फल यह हुआ कि मौलवी साहबने मामला उस स्थानके हाकिमकी अदालत में पहुँचा दिया। हकीकतराय गिरफ्तार करलिया गया। नन्हे बालकके हाथ-पैर हथकड़ी-बड़ीसे | जकड़कर उसे अदालतमें खड़ा किया गया। 'अगर तू मुसलमान बन जाय तो मरनेसे बच ।

सकता है।' काजीने बालकके सामने यह प्रस्ताव रखा।

बालक हकीकतरायके माता-पिता रो रहे थे। उसकी बालिका पत्नी मूच्छित हो गयी थी। माता तो कह रही थी — 'बेटा! तू काजीकी बात मान ले। तू मुसलमान होकर भी जीता रहेगा तो हम तुझे देख तो सकेंगे।' काजीने प्रलोभन दिया—'मुसलमान होनेपर तुम्हें ऊँचा ओहदा दिया जायगा।'

हकीकतराय बालक था, किंतु उसका चित्त धर्मवीरतासे पूर्ण था। उसने मातासे कहा- -'माँ! मैं अमर होकर तो उत्पन्न नहीं हुआ हूँ। जब एक दिन मरना ही है तो अपना धर्म छोड़कर थोड़े जीवनके लिये पतित क्यों बनूँ। धर्मभ्रष्ट होकर जीनेसे तो मरना बहुत उत्तम है।'

'मैं अपना धर्म नहीं छोड़ सकता।' काजीको उ बालकने स्पष्ट सुना दिया। खुले मैदानमें जल्लादकी तलवारने उस बालकका सिर धड़से अलग कर दिया।


- सु0 सिं0



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dharmake liye praanadaana

baat shaahajahaanke shaasanakaalakee hai. syaalakotake ek chhote madarasemen baalak hakeekataraay padha़ta tha . ek din maulavee saahab kaheen baahar chale gaye. avasar paakar baalak khelane lage. musalamaan lada़ke svabhaavase hakeekataraayako chheda़te rahate the. un sabane us din bhee hakeekataraayako tang karana praarambh kiya, use gaaliyaan deen aur phir hinduonke devee-devataaonko gaaliyaan denee praarambh keen .

jab hakeekataraayase naheen saha gaya, tab usane kaha 'agar tumhaare paigambarako bhee yahee baaten kahee jaayan to ?" musalamaan lada़konne gussese kahaa- 'tum itanee himmat kar sakate ho? jara kahakar to dekho.'

baalak hakeekataraayane ve hee shabd duhara diye. lekin vahaan to musalamaan lada़konkee yah dasha ho gayee maano pralay ho gaya ho. unhonne baataka batangada़ bana liyaa. maulavee saahabake paas sab dauड़e gaye aur namaka-mirch lagaakar sab baaten kaheen.

hakeekataraayako jhooth naheen bolana thaa. phal yah hua ki maulavee saahabane maamala us sthaanake haakimakee adaalat men pahuncha diyaa. hakeekataraay giraphtaar karaliya gayaa. nanhe baalakake haatha-pair hathakaड़ee-baड़eese | jakada़kar use adaalatamen khada़a kiya gayaa. 'agar too musalamaan ban jaay to maranese bach .

sakata hai.' kaajeene baalakake saamane yah prastaav rakhaa.

baalak hakeekataraayake maataa-pita ro rahe the. usakee baalika patnee moochchhit ho gayee thee. maata to kah rahee thee — 'betaa! too kaajeekee baat maan le. too musalamaan hokar bhee jeeta rahega to ham tujhe dekh to sakenge.' kaajeene pralobhan diyaa—'musalamaan honepar tumhen ooncha ohada diya jaayagaa.'

hakeekataraay baalak tha, kintu usaka chitt dharmaveerataase poorn thaa. usane maataase kahaa- -'maan! main amar hokar to utpann naheen hua hoon. jab ek din marana hee hai to apana dharm chhoda़kar thoda़e jeevanake liye patit kyon banoon. dharmabhrasht hokar jeenese to marana bahut uttam hai.'

'main apana dharm naheen chhoda़ sakataa.' kaajeeko u baalakane spasht suna diyaa. khule maidaanamen jallaadakee talavaarane us baalakaka sir dhada़se alag kar diyaa.


- su0 sin0

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