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नाथकी भूतदयाकी फल-श्रुति  [शिक्षदायक कहानी]
Shikshaprad Kahani - प्रेरक कहानी (Hindi Story)

श्राद्धीय अन्न चमारको खिला देनेसे पैठणके ब्राह्मण एकनाथ स्वामीपर रुष्ट हो गये थे। फिर नया स्वयंपाक बना, उन्हें बुलानेपर भी वे न आये नाथके घर भगवान्का पानी भरनेवाले श्रीखंडियाने उस दिन नाथके साक्षात् पितरोंको बुलाकर श्राद्धीय अन्न खिला दिया। ब्राह्मण इस कृत्य से और भी चिढ़ गये!

उन्होंने नाथको जाति बहिष्कृत तो पहले ही कर दिया था। अब एक सभामें उन्हें बुलाकर इस पापका प्रायश्चित्त करनेको कहा।

नाथने कुछ पाप तो किया ही न था उन्होंने विनीत भावसे कहा- 'भले ही आपलोग मुझे बहिष्कृत रखें, पर मैं प्रायश्चित्त नहीं करूँगा। मेरे माई बाप श्रीकृष्ण बैठे हुए हैं, मैं किस बातका प्रायश्चित्त करूँ ?'

ब्राह्मणोंने कहा- 'एकनाथजी! यह तो हमलोग भी जानते हैं कि भगवान् तुम्हारे रक्षक हैं। फिर भी हमलोगोंकी बात रखकर आप प्रायश्चित्त अवश्य कर लें।' एकनाथ तैयार हो गये। उनके समक्ष नाथने नदीमें डुबकी लगायी। शरीरमें भस्म, गोमय और पञ्चगव्यमला। ब्राह्मण जोर-जोरसे मन्त्र पढ़ रहे थे। इसी बीच वहाँ अकस्मात् नासिक त्र्यम्बकेश्वरसे एक ब्राह्मण आया और 'एकनाथ कौन और कहाँ है ?' यह पूछने लगा। उसके सर्वाङ्गमें कुष्ठ हो गया था, तिल रखनेको स्थान न था ।

ब्राह्मणोंने कहा-' -'देखो, वह नदी किनारे प्रायश्चित्त कर रहा है। आखिर तुम्हें उससे क्या काम है ?' अभ्यागत ब्राह्मणने बताया- 'मैंने त्र्यम्बकेश्वरमें कठोर अनुष्ठान किया। भगवान् शंकरने प्रसन्न हो मुझे आदेश दिया कि पैठणमें जाओ। वहाँ विष्णुभक्त एकनाथने श्राद्धके दिन एक चमारको अन्न खिलाकर भूतदयाका अपूर्व पुण्य कमाया है। यदि वह तुम्हें उसमेंसे कुछ पुण्य दे देगा तो तुम्हारा कुष्ठ मिट जायगा।'

ब्राह्मण आश्चर्यके साथ आपसमें तरह-तरहके वितर्क करने लगे। कोढ़ी ब्राह्मणने एकनाथके पास पहुँचकर सारा हाल कह सुनाया। नाथने कहा- अवश्य ही उस दिन अन्न-दान कराकर भगवान् शंकरने मुझे भूतदयाका पुण्य प्राप्त कराया है। लो, उनकी आज्ञा है तो उसका थोड़ा भाग तुम्हें भी दिये देता हूँ ।'

प्रायश्चित्त करानेवाले ब्राह्मण एकटक देखते रहे । नाथने हाथमें जल ले उस पुण्यका अंशदान कर उसब्राह्मणपर प्रोक्षण किया। देखते-देखते उसकी काया स्वर्ण-सी चमक उठी । कुष्ठका नामोनिशान न था । प्रायश्चित्त करानेवालोंने ही नाथसे क्षमा माँग अपने संत द्रोहका प्रायश्चित्त किया।

-गो0 न0 बै0 (भक्ति-विजय, अ0 46 )



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naathakee bhootadayaakee phala-shruti

shraaddheey ann chamaarako khila denese paithanake braahman ekanaath svaameepar rusht ho gaye the. phir naya svayanpaak bana, unhen bulaanepar bhee ve n aaye naathake ghar bhagavaanka paanee bharanevaale shreekhandiyaane us din naathake saakshaat pitaronko bulaakar shraaddheey ann khila diyaa. braahman is krity se aur bhee chidha़ gaye!

unhonne naathako jaati bahishkrit to pahale hee kar diya thaa. ab ek sabhaamen unhen bulaakar is paapaka praayashchitt karaneko kahaa.

naathane kuchh paap to kiya hee n tha unhonne vineet bhaavase kahaa- 'bhale hee aapalog mujhe bahishkrit rakhen, par main praayashchitt naheen karoongaa. mere maaee baap shreekrishn baithe hue hain, main kis baataka praayashchitt karoon ?'

braahmanonne kahaa- 'ekanaathajee! yah to hamalog bhee jaanate hain ki bhagavaan tumhaare rakshak hain. phir bhee hamalogonkee baat rakhakar aap praayashchitt avashy kar len.' ekanaath taiyaar ho gaye. unake samaksh naathane nadeemen dubakee lagaayee. shareeramen bhasm, gomay aur panchagavyamalaa. braahman jora-jorase mantr padha़ rahe the. isee beech vahaan akasmaat naasik tryambakeshvarase ek braahman aaya aur 'ekanaath kaun aur kahaan hai ?' yah poochhane lagaa. usake sarvaangamen kushth ho gaya tha, til rakhaneko sthaan n tha .

braahmanonne kahaa-' -'dekho, vah nadee kinaare praayashchitt kar raha hai. aakhir tumhen usase kya kaam hai ?' abhyaagat braahmanane bataayaa- 'mainne tryambakeshvaramen kathor anushthaan kiyaa. bhagavaan shankarane prasann ho mujhe aadesh diya ki paithanamen jaao. vahaan vishnubhakt ekanaathane shraaddhake din ek chamaarako ann khilaakar bhootadayaaka apoorv puny kamaaya hai. yadi vah tumhen usamense kuchh puny de dega to tumhaara kushth mit jaayagaa.'

braahman aashcharyake saath aapasamen taraha-tarahake vitark karane lage. kodha़ee braahmanane ekanaathake paas pahunchakar saara haal kah sunaayaa. naathane kahaa- avashy hee us din anna-daan karaakar bhagavaan shankarane mujhe bhootadayaaka puny praapt karaaya hai. lo, unakee aajna hai to usaka thoda़a bhaag tumhen bhee diye deta hoon .'

praayashchitt karaanevaale braahman ekatak dekhate rahe . naathane haathamen jal le us punyaka anshadaan kar usabraahmanapar prokshan kiyaa. dekhate-dekhate usakee kaaya svarna-see chamak uthee . kushthaka naamonishaan n tha . praayashchitt karaanevaalonne hee naathase kshama maang apane sant drohaka praayashchitt kiyaa.

-go0 na0 bai0 (bhakti-vijay, a0 46 )

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