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पदप्राप्तिसे हानि  [Wisdom Story]
Short Story - Moral Story (शिक्षदायक कहानी)

पदप्राप्तिसे हानि

चीनी दार्शनिक चुआँग-जू नदीके किनारे बैठा मछलियाँ पकड़ रहा था, तभी एक राजदूतने आकर उससे कहा, 'सम्राट्ने आपको अपना प्रधानमन्त्री नियुक्त किया है।'
'सुना है कि सम्राट्के संग्रहालयमें किसी दिव्य कछुएकी ढाल सुरक्षित है। बताओ, अगर वह कछुआ जीवित होता, तो क्या पसन्द करता - -सम्राट्के संग्रहालयकी शोभा बढ़ाना या जहाँ वह पैदा हुआ था, वहाँकी दलदलमें लोटना ?' चुआँग-जूने उससे प्रश्न किया।
दूतने उत्तर दिया, 'वह दलदलमें लोटना ज्यादा पसन्द करता ।'
चुआँग-जूने कहा, 'और मैं भी यही पसन्द करता हूँ। पद पाकर आदमी मनःशान्ति खो बैठता है और कभी-कभी अपना जीवन भी । सम्राट्से जाकर कह देना, मुझे दलदलमें लोटना ज्यादा पसन्द है ।'



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padapraaptise haani

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cheenee daarshanik chuaanga-joo nadeeke kinaare baitha machhaliyaan pakada़ raha tha, tabhee ek raajadootane aakar usase kaha, 'samraatne aapako apana pradhaanamantree niyukt kiya hai.'
'suna hai ki samraatke sangrahaalayamen kisee divy kachhuekee dhaal surakshit hai. bataao, agar vah kachhua jeevit hota, to kya pasand karata - -samraatke sangrahaalayakee shobha badha़aana ya jahaan vah paida hua tha, vahaankee daladalamen lotana ?' chuaanga-joone usase prashn kiyaa.
dootane uttar diya, 'vah daladalamen lotana jyaada pasand karata .'
chuaanga-joone kaha, 'aur main bhee yahee pasand karata hoon. pad paakar aadamee manahshaanti kho baithata hai aur kabhee-kabhee apana jeevan bhee . samraatse jaakar kah dena, mujhe daladalamen lotana jyaada pasand hai .'

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