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प्रार्थनाकी शक्ति  [प्रेरक कहानी]
हिन्दी कहानी - छोटी सी कहानी (Shikshaprad Kahani)

लगभग सोलह सौ वर्ष पहलेकी बात है। संत स्कालरस्टिका प्रत्येक वर्ष अपने भाई संत बेनडिक्टसे मिलने जाया करती थी, दिनभर आध्यात्मिक विषयपर बात करके वह शामको अपने स्थानको लौट जाया करती थी; क्योंकि स्कालस्टिकाका यह नियम था कि वे रातको अपने मठमें ही निवास करती थीं और बेनडिक्ट भी केसिनीकी पहाड़ीपर स्थित अपने मठमें चले जाते थे। स्कालस्टिकाको केसिनी मठमें जानेकी आज्ञा नहीं थी। इससे वर्षमें एक दिन बेनडिक्ट भी मठसे कुछ दूर आ जाते थे बहिनसे मिलनेके लिये और बहिन स्कालस्टिका भी आ जाती थी। एक सालवह संत बेनडिक्टसे मिलने गयी थी। उसे ऐसा लगा कि यह उसकी अन्तिम भेंट है।

'मेरी बड़ी इच्छा है कि आज आप अपने मठमें न जायँ। मैं सारी रात आपसे भगवान्‌के सम्बन्धमें बात करना चाहती हूँ।' स्कालस्टिकाने संत बेनडिक्टसे प्रार्थना की। उसका हृदय भारी हो चला था और नयनोंमें अश्रुका प्रवाह था ।

'बहिन! तुम ठीक कहती हो, पर मैं अपने नियमसे विवश हूँ। मेरे लिये मठसे बाहर रातमें रहना अत्यन्त कठिन है दिनमें तो हमलोगोंने भगवान्‌की स्तुति और स्मरण तथा चिन्तनमें अपने समयकासदुपयोग किया ही है।' संत बेनडिक्टने अपने साथियोंके साथ केसिनीकी पहाड़ीपर स्थित मठकी ओर प्रस्थान करना चाहा, जो स्कालस्टिकाके प्लोमबेरियोलावाले मठसे पाँच मीलकी दूरीपर था।

भाईके दृढ़ निश्चयसे स्कालस्टिकाका गला भर आया। वह मनमें भगवान्‌का ध्यान करने लगी। सूर्यास्तका समय था; ज्यों-ज्यों अँधेरा बढ़ता जाता था— त्यों-त्यों उसकी उदासी भी बढ़ रही थी। अचानक आकाशमें बादल छा गये, बिजली चमकने लगी, पवनका वेग बढ़ गया और वृष्टि होने लगी।'बहिन ! ईश्वर क्षमा करें। तुमने यह क्या कर डाला' संत बेनडिक्ट मुसकराने लगे।

'मैंने आपका दरवाजा खटखटाया, पर आपने मेरी पुकारकी उपेक्षा कर दी। मैंने भगवान्से प्रार्थना की; उन्होंने अपनी कृपासे मुझे निहाल कर दिया। अब तो आप रुकेंगे ही!' स्कालस्टिका प्रसन्न थी ।

'प्रार्थनाकी शक्ति अमोघ है।' बेनडिक्ट ठहर गये। उन्होंने रातमें अपनी बहिनसे भगवच्चर्चा सम्बन्धी बात की। निस्संदेह यह उनकी अन्तिम भेंट थी।

-रा0 श्री0



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praarthanaakee shakti

lagabhag solah sau varsh pahalekee baat hai. sant skaalarastika pratyek varsh apane bhaaee sant benadiktase milane jaaya karatee thee, dinabhar aadhyaatmik vishayapar baat karake vah shaamako apane sthaanako laut jaaya karatee thee; kyonki skaalastikaaka yah niyam tha ki ve raatako apane mathamen hee nivaas karatee theen aur benadikt bhee kesineekee pahaada़eepar sthit apane mathamen chale jaate the. skaalastikaako kesinee mathamen jaanekee aajna naheen thee. isase varshamen ek din benadikt bhee mathase kuchh door a jaate the bahinase milaneke liye aur bahin skaalastika bhee a jaatee thee. ek saalavah sant benadiktase milane gayee thee. use aisa laga ki yah usakee antim bhent hai.

'meree bada़ee ichchha hai ki aaj aap apane mathamen n jaayan. main saaree raat aapase bhagavaan‌ke sambandhamen baat karana chaahatee hoon.' skaalastikaane sant benadiktase praarthana kee. usaka hriday bhaaree ho chala tha aur nayanonmen ashruka pravaah tha .

'bahina! tum theek kahatee ho, par main apane niyamase vivash hoon. mere liye mathase baahar raatamen rahana atyant kathin hai dinamen to hamalogonne bhagavaan‌kee stuti aur smaran tatha chintanamen apane samayakaasadupayog kiya hee hai.' sant benadiktane apane saathiyonke saath kesineekee pahaada़eepar sthit mathakee or prasthaan karana chaaha, jo skaalastikaake plomaberiyolaavaale mathase paanch meelakee dooreepar thaa.

bhaaeeke dridha़ nishchayase skaalastikaaka gala bhar aayaa. vah manamen bhagavaan‌ka dhyaan karane lagee. sooryaastaka samay thaa; jyon-jyon andhera badha़ta jaata thaa— tyon-tyon usakee udaasee bhee badha़ rahee thee. achaanak aakaashamen baadal chha gaye, bijalee chamakane lagee, pavanaka veg badha़ gaya aur vrishti hone lagee.'bahin ! eeshvar kshama karen. tumane yah kya kar daalaa' sant benadikt musakaraane lage.

'mainne aapaka daravaaja khatakhataaya, par aapane meree pukaarakee upeksha kar dee. mainne bhagavaanse praarthana kee; unhonne apanee kripaase mujhe nihaal kar diyaa. ab to aap rukenge hee!' skaalastika prasann thee .

'praarthanaakee shakti amogh hai.' benadikt thahar gaye. unhonne raatamen apanee bahinase bhagavachcharcha sambandhee baat kee. nissandeh yah unakee antim bhent thee.

-raa0 shree0

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