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किसी भी हालतमें निर्दोष नहीं  [Short Story]
Moral Story - प्रेरक कथा (Shikshaprad Kahani)

पहले समयकी बात है। किसी देशके एक छोटे से गाँव में एक व्यक्ति रहता था। उसके पास एक गधा था। वह उसे बेचना चाहता था। अपने लड़केको साथ लेकर यह निकटस्थ बाजारमें गधा बेचनेके लिये चल पड़ा। पिता गधेके पीटपर था और लड़का पैदल चल रहा था।

ये कुछ दूर गये थे कि तीन व्यक्ति मिले। उनमेंसे एकने कहा कि 'यह कैसा बाप है, अपने तो सवारहै गधेकी पीठपर और लड़का पैदल चल रहा है कँकरीले रास्तेपर।' पिता गधेपरसे उतर पड़ा और लड़का बैठ गया।

कुछ दूर गये थे कि दो महिलाएँ मिलीं। 'कैसा पुत्र है। बूढ़े बापको पैदल ले जा रहा है और स्वयं सवारीपर विराजमान है ।' उनमेंसे एकने व्यंग किया। पिताने पुत्रसे कहा कि 'सबको समान रूपसे प्रसन्न रखना बहुत कठिन है। चलो, हम दोनों ही पैदल चलें।'दोनों पैदल चल पड़े। आगे बढ़नेपर कुछ लोगोंने कहा कि 'कितने मूर्ख हैं दोनों। साथमें हृष्ट-पुष्ट सवारी होनेपर भी दोनों पैदल जा रहे हैं।' पिता-पुत्र दोनों गधेपर सवार हो गये । पर दो-चार कदम आगे बढ़नेपर किसीने कहा कि कितने निर्दय हैं दोनों; इतने भारी संडे मुसंडे बेचारे दुबले पतले गधेपर लदे जा रहे हैं।' दोनों तत्काल उतर पड़े और सोचा कि गधेको कंधेपर रखकर ले चलना चाहिये। बाजार थोड़ी ही दूर रह गया था। उन्होंने पेड़की एक डाली तोड़ी और उसके सहारे गधेको रस्सीसे बाँधकर कंधेपर लटका लिया ।

बाजारमें प्रवेश करते ही लोग कहकहा मारकर हँस पड़े।'देखो न, कितने मूर्ख हैं दोनों; कहाँ तो इन्हें गधेकी पीठपर सवार होकर आना चाहिये और कहाँ ये उसे स्वयं अपने कंधे पर ढो रहे हैं!' लोगोंने मजाक उड़ाया।

बूढ़े व्यक्तिकी समझमें सारी बात आ गयी! हमलोगोंने सबको प्रसन्न करना चाहा, इसलिये किसीको भी प्रसन्न न कर सके। सबसे अच्छी बात यह है कि जगत् के लोगोंकी आलोचनापर ध्यान न दे; क्योंकि जगत् तो एक-न-एक दोष निकालेगा ही। जगत्की दृष्टिमें कोई किसी भी हालतमें निर्दोष नहीं है। अतः सुने सबकी, पर करे वही जो मनको ठीक लगे। जिस कार्यके लिये आत्मा सत्प्रेरणा प्रदान करे वही हमारा कर्तव्य है। पिताने पुत्रको सीख दी। *



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kisee bhee haalatamen nirdosh naheen

pahale samayakee baat hai. kisee deshake ek chhote se gaanv men ek vyakti rahata thaa. usake paas ek gadha thaa. vah use bechana chaahata thaa. apane lada़keko saath lekar yah nikatasth baajaaramen gadha bechaneke liye chal paड़aa. pita gadheke peetapar tha aur laड़ka paidal chal raha thaa.

ye kuchh door gaye the ki teen vyakti mile. unamense ekane kaha ki 'yah kaisa baap hai, apane to savaarahai gadhekee peethapar aur lada़ka paidal chal raha hai kankareele raastepara.' pita gadheparase utar pada़a aur lada़ka baith gayaa.

kuchh door gaye the ki do mahilaaen mileen. 'kaisa putr hai. boodha़e baapako paidal le ja raha hai aur svayan savaareepar viraajamaan hai .' unamense ekane vyang kiyaa. pitaane putrase kaha ki 'sabako samaan roopase prasann rakhana bahut kathin hai. chalo, ham donon hee paidal chalen.'donon paidal chal pada़e. aage badha़nepar kuchh logonne kaha ki 'kitane moorkh hain donon. saathamen hrishta-pusht savaaree honepar bhee donon paidal ja rahe hain.' pitaa-putr donon gadhepar savaar ho gaye . par do-chaar kadam aage badha़nepar kiseene kaha ki kitane nirday hain donon; itane bhaaree sande musande bechaare dubale patale gadhepar lade ja rahe hain.' donon tatkaal utar pada़e aur socha ki gadheko kandhepar rakhakar le chalana chaahiye. baajaar thoda़ee hee door rah gaya thaa. unhonne peda़kee ek daalee toda़ee aur usake sahaare gadheko rasseese baandhakar kandhepar lataka liya .

baajaaramen pravesh karate hee log kahakaha maarakar hans pada़e.'dekho n, kitane moorkh hain donon; kahaan to inhen gadhekee peethapar savaar hokar aana chaahiye aur kahaan ye use svayan apane kandhe par dho rahe hain!' logonne majaak uda़aayaa.

boodha़e vyaktikee samajhamen saaree baat a gayee! hamalogonne sabako prasann karana chaaha, isaliye kiseeko bhee prasann n kar sake. sabase achchhee baat yah hai ki jagat ke logonkee aalochanaapar dhyaan n de; kyonki jagat to eka-na-ek dosh nikaalega hee. jagatkee drishtimen koee kisee bhee haalatamen nirdosh naheen hai. atah sune sabakee, par kare vahee jo manako theek lage. jis kaaryake liye aatma satprerana pradaan kare vahee hamaara kartavy hai. pitaane putrako seekh dee. *

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