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प्रभुकी वस्तु  [आध्यात्मिक कहानी]
छोटी सी कहानी - Shikshaprad Kahani (शिक्षदायक कहानी)

एक भक्तके एक ही पुत्र था और वह बड़ा ही सुन्दर, सुशील, धर्मात्मा तथा उसे अत्यन्त प्रिय था । एक दिन अकस्मात् वह मर गया। इसपर वह प्रसन्न हुआ और उसने भगवान्‌का उपकार माना। लोगोंने उसके इस विचित्र व्यवहारपर आश्चर्य प्रकट करते हुए उससे पूछा—'पागल ! तुम्हारा एकलौता बेटा मर गया है और तुम हँस रहे हो। इसका क्या कारण है ?" उसने कहा- 'मालिकके बगीचेमें फूला हुआ बहुत सुन्दर पुष्प माली अपने मालिकको देकर प्रसन्न होता है या रोता है ? मेरा तो कुछ है ही नहीं, सब कुछ प्रभुका ही है। कुछ समयके लिये उनकी एक चीजमेरी सँभालमें थी, इससे मेरा कर्तव्य था- -मैं उसकी जी-जानसे देख-रेख करूँ, अब समय पूरा होनेपर प्रभुने उसे वापस ले लिया, इससे मुझे बड़ा हर्ष हो रहा है और मैं उसका उपकार इसलिये मानता हूँ कि मैंने उनकी वस्तुको न मालूम कितनी बार अपनी मान लिया था- न जाने कितनी बार मेरे मनमें बेईमानी आयी थी। उसकी देख-रेखमें भी मुझसे बहुत-सी त्रुटियाँ हुई थीं, परंतु प्रभुने मेरी इन भूलोंकी ओर कुछ भी ध्यान न देकर मुझे कोई उलाहना नहीं दिया। इतनी बड़ी कृपाके लिये मैं उनका उपकार मानता हूँ तो इसमें कौन-सी आश्चर्यकी बात है ?'



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prabhukee vastu

ek bhaktake ek hee putr tha aur vah bada़a hee sundar, susheel, dharmaatma tatha use atyant priy tha . ek din akasmaat vah mar gayaa. isapar vah prasann hua aur usane bhagavaan‌ka upakaar maanaa. logonne usake is vichitr vyavahaarapar aashchary prakat karate hue usase poochhaa—'paagal ! tumhaara ekalauta beta mar gaya hai aur tum hans rahe ho. isaka kya kaaran hai ?" usane kahaa- 'maalikake bageechemen phoola hua bahut sundar pushp maalee apane maalikako dekar prasann hota hai ya rota hai ? mera to kuchh hai hee naheen, sab kuchh prabhuka hee hai. kuchh samayake liye unakee ek cheejameree sanbhaalamen thee, isase mera kartavy thaa- -main usakee jee-jaanase dekha-rekh karoon, ab samay poora honepar prabhune use vaapas le liya, isase mujhe bada़a harsh ho raha hai aur main usaka upakaar isaliye maanata hoon ki mainne unakee vastuko n maaloom kitanee baar apanee maan liya thaa- n jaane kitanee baar mere manamen beeemaanee aayee thee. usakee dekha-rekhamen bhee mujhase bahuta-see trutiyaan huee theen, parantu prabhune meree in bhoolonkee or kuchh bhee dhyaan n dekar mujhe koee ulaahana naheen diyaa. itanee bada़ee kripaake liye main unaka upakaar maanata hoon to isamen kauna-see aashcharyakee baat hai ?'

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