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भगवान्‌का विधान  [प्रेरक कथा]
Spiritual Story - Wisdom Story (प्रेरक कथा)

एक समयकी घटना है। महात्मा विजयकृष्ण गोस्वामी अध्यात्मका प्रचार कर रहे थे; दैवयोगसे वे लाहौर जा पहुँचे। एक धर्मशालामें ठहरे हुए थे। आधी रातको अचानक नींदका परित्याग कर उठ बैठे। वे चिन्तामग्र थे।

'मेरा जीवन पाप-चिन्ताके अधीन है। कहनेके लिये तो मैं हूँ उपदेशक, पर मनमें पापका ही राज्य है। भगवान्की भक्ति नहीं मिल सकी मुझे।' उनका रोम रोम काँप उठा। वे पश्चात्तापसे क्षुब्ध थे। वे आधी रातमें अपने कमरेका दरवाजा खोलकर राजपथपर गये और थोड़ी देरमें भगवती राबीके तटपर आ पहुँचे।

नदीका वेग शान्त था। जल स्थिर था। निर्जन तटकी विकरालता बड़ी भयावनी थी। विजयकृष्ण गोस्वामी महोदयने जलमें दाहिना पैर डाला ही था कि वे सहसा चौंक उठे एक अपरिचित आवाजसे ।

'क्या करते हो? लौट जाओ। आत्महत्या पाप है।' किसीने दूरसे ही सावधान किया।'मैं नहीं लौट सकता। इस शरीरको रानीकी मध्य धारामें प्रवाहित करके ही रहूँगा। इसने आजतक पाप ही पाप कमाये हैं। दुनियाको सत्य पालनका उपदेश देकर स्वयं असत्यका आचरण किया है इसने । ' महात्मा विजयकृष्ण अपने निश्चयपर दृढ़ थे।

'वत्स! शरीर नाशसे पापका नाश नहीं होता है। यदि तुम ऐसा समझते हो तो यह तुम्हारी भूल है। तुम्हारे शरीर-नाशका समय अभी नहीं आया है। तुम्हें भगवान्की कृपासे अभी बड़े आवश्यक कार्य करने हैं। भगवान्‌का विधान पहलेसे निश्चित रहता है। उसमें हेर-फेर असम्भव है। तुम्हारा काम केवल इतना ही है कि विश्वेश्वर परमात्माकी लीलाके दर्शन करो।' एक महात्माने तत्काल प्रकट होकर उनको आत्महत्यासे रोका।

महात्मा विजयकृष्ण गोस्वामीकी निराशाका अन्त हो गया अपरिचित महात्माके उद्बोधनसे और वे धर्मशालामें लौट आये।



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bhagavaan‌ka vidhaana

ek samayakee ghatana hai. mahaatma vijayakrishn gosvaamee adhyaatmaka prachaar kar rahe the; daivayogase ve laahaur ja pahunche. ek dharmashaalaamen thahare hue the. aadhee raatako achaanak neendaka parityaag kar uth baithe. ve chintaamagr the.

'mera jeevan paapa-chintaake adheen hai. kahaneke liye to main hoon upadeshak, par manamen paapaka hee raajy hai. bhagavaankee bhakti naheen mil sakee mujhe.' unaka rom rom kaanp uthaa. ve pashchaattaapase kshubdh the. ve aadhee raatamen apane kamareka daravaaja kholakar raajapathapar gaye aur thoda़ee deramen bhagavatee raabeeke tatapar a pahunche.

nadeeka veg shaant thaa. jal sthir thaa. nirjan tatakee vikaraalata bada़ee bhayaavanee thee. vijayakrishn gosvaamee mahodayane jalamen daahina pair daala hee tha ki ve sahasa chaunk uthe ek aparichit aavaajase .

'kya karate ho? laut jaao. aatmahatya paap hai.' kiseene doorase hee saavadhaan kiyaa.'main naheen laut sakataa. is shareerako raaneekee madhy dhaaraamen pravaahit karake hee rahoongaa. isane aajatak paap hee paap kamaaye hain. duniyaako saty paalanaka upadesh dekar svayan asatyaka aacharan kiya hai isane . ' mahaatma vijayakrishn apane nishchayapar dridha़ the.

'vatsa! shareer naashase paapaka naash naheen hota hai. yadi tum aisa samajhate ho to yah tumhaaree bhool hai. tumhaare shareera-naashaka samay abhee naheen aaya hai. tumhen bhagavaankee kripaase abhee bada़e aavashyak kaary karane hain. bhagavaan‌ka vidhaan pahalese nishchit rahata hai. usamen hera-pher asambhav hai. tumhaara kaam keval itana hee hai ki vishveshvar paramaatmaakee leelaake darshan karo.' ek mahaatmaane tatkaal prakat hokar unako aatmahatyaase rokaa.

mahaatma vijayakrishn gosvaameekee niraashaaka ant ho gaya aparichit mahaatmaake udbodhanase aur ve dharmashaalaamen laut aaye.

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