⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

भारत-सावित्री  [Wisdom Story]
Hindi Story - हिन्दी कहानी (हिन्दी कहानी)

भारत-सावित्री

[महाभारतका सार ]
महर्षिर्भगवान् व्यासः कृत्वेमां संहितां पुरा । श्लोकैश्चतुर्भिर्धर्मात्मा पुत्रमध्यापयच्छुकम् ॥ धर्ममूर्ति ऋषिप्रवर भगवान् व्यासदेवने पूर्वकालमें महाभारतसंहिताका प्रणयन करके (इसका सारभूत आशय चार श्लोकों (भारत-सावित्री) के माध्यमसे अपने पुत्र
श्रीशुकदेवजीको समझाया था
मातापितृसहस्त्राणि पुत्रदारशतानि च।
संसारेष्वनुभूतानि यान्ति यास्यन्ति चापरे ॥
हर्षस्थान सहस्त्राणि भयस्थानशतानि च।
दिवसे दिवसे मूढमाविशन्ति न पण्डितम्।
ऊर्ध्वबाहुर्विरौम्येष न च कश्चिच्छृणोति मे।
धर्मादर्थश्च कामश्च स किमर्थं न सेव्यते ॥
न जातु कामान्न भयान्न लोभाद् धर्म
त्यजेज्जीवितस्यापि हेतोः ।
धर्मो नित्यः सुखदुःखे त्वनित्ये जीवो नित्यो हेतुरस्य त्वनित्यःI
इमां भारतसावित्रींप्रातरुत्थाय यः पठेत् ।
स भारतफलं प्राप्य परं ब्रह्माधिगच्छति
मनुष्य इस जगत्में हजारों माता-पिताओं तथा सैकड़ों स्त्री-पुत्रोंके संयोग-वियोगका अनुभव कर चुके हैं, | करते हैं और करते रहेंगे। अज्ञानी पुरुषको प्रतिदिन हर्षके हजारों और भयके सैकड़ों अवसर प्राप्त होते रहते हैं; किंतु विद्वान् पुरुषके उनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। मैं दोनों हाथ ऊपर उठाकर पुकार पुकारकर कह रहा हूँ, पर मेरी बात कोई नहीं सुनता। धर्मसे [मोक्ष तो सिद्ध होता ही है] अर्थ और काम भी सिद्ध होते हैं तो भी लोग उसका सेवन क्यों नहीं करते! कामनासे, भयसे, लोभसे अथवा प्राण बचानेके लिये भी धर्मका त्याग न करे। धर्म नित्य है और सुख-दुःख अनित्य इसी प्रकार जीवात्मा नित्य है और उसके बन्धनका हेतु अनित्य । यह महाभारतका सारभूत उपदेश 'भारत-सावित्री' के नामसे प्रसिद्ध है। जो प्रतिदिन सबेरे उठकर इसका पाठ करता है, वह सम्पूर्ण महाभारतके अध्ययनका फल पाकर परब्रह्म परमात्माको प्राप्त कर लेता है।



You may also like these:

आध्यात्मिक कथा परमात्माकी मृत्यु
हिन्दी कहानी अनूठी विरक्ति
आध्यात्मिक कथा संसारका स्वरूप
छोटी सी कहानी विचित्र न्याय


bhaarata-saavitree

bhaarata-saavitree

[mahaabhaarataka saar ]
maharshirbhagavaan vyaasah kritvemaan sanhitaan pura . shlokaishchaturbhirdharmaatma putramadhyaapayachchhukam .. dharmamoorti rishipravar bhagavaan vyaasadevane poorvakaalamen mahaabhaaratasanhitaaka pranayan karake (isaka saarabhoot aashay chaar shlokon (bhaarata-saavitree) ke maadhyamase apane putra
shreeshukadevajeeko samajhaaya thaa
maataapitrisahastraani putradaarashataani cha.
sansaareshvanubhootaani yaanti yaasyanti chaapare ..
harshasthaan sahastraani bhayasthaanashataani cha.
divase divase moodhamaavishanti n panditam.
oordhvabaahurviraumyesh n ch kashchichchhrinoti me.
dharmaadarthashch kaamashch s kimarthan n sevyate ..
n jaatu kaamaann bhayaann lobhaad dharma
tyajejjeevitasyaapi hetoh .
dharmo nityah sukhaduhkhe tvanitye jeevo nityo heturasy tvanityahI
imaan bhaaratasaavitreenpraatarutthaay yah pathet .
s bhaarataphalan praapy paran brahmaadhigachchhati
manushy is jagatmen hajaaron maataa-pitaaon tatha saikada़on stree-putronke sanyoga-viyogaka anubhav kar chuke hain, | karate hain aur karate rahenge. ajnaanee purushako pratidin harshake hajaaron aur bhayake saikada़on avasar praapt hote rahate hain; kintu vidvaan purushake unaka koee prabhaav naheen pada़ta hai. main donon haath oopar uthaakar pukaar pukaarakar kah raha hoon, par meree baat koee naheen sunataa. dharmase [moksh to siddh hota hee hai] arth aur kaam bhee siddh hote hain to bhee log usaka sevan kyon naheen karate! kaamanaase, bhayase, lobhase athava praan bachaaneke liye bhee dharmaka tyaag n kare. dharm nity hai aur sukha-duhkh anity isee prakaar jeevaatma nity hai aur usake bandhanaka hetu anity . yah mahaabhaarataka saarabhoot upadesh 'bhaarata-saavitree' ke naamase prasiddh hai. jo pratidin sabere uthakar isaka paath karata hai, vah sampoorn mahaabhaaratake adhyayanaka phal paakar parabrahm paramaatmaako praapt kar leta hai.

134 Views





Bhajan Lyrics View All

बहुत बड़ा दरबार तेरो बहुत बड़ा दरबार,
चाकर रखलो राधा रानी तेरा बहुत बड़ा
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।

New Bhajan Lyrics View All

पलना में रोवे री कन्हैया मेरो सांवरो...
मोहन बन गए नर से नार
छमछम नाचे कृष्ण मुरार
ऐसा दरबार कहा ऐसा दातार कहा,
ढुंडी सारी दुनिया ऐसी सरकार कहा...
नहीं आए सांवरिया बेदर्दी, मेरे दिल का
जय होवे जय होवे तेरी जय होवे,
शिव गौरा दे लाल दी,