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जो तोकौं काँटा बुवै, ताहि बोइ तू फूल !  [आध्यात्मिक कथा]
हिन्दी कहानी - हिन्दी कहानी (Short Story)

समर्थ रामदास शिष्योंके साथ शिवाजी महाराजके पास आ रहे थे। रास्तेमें ईखका खेत पड़ा। शिष्योंने गन्ने तोड़-तोड़कर चूस लिये। खेतका मालिक दौड़ा। उसे देखकर शिष्य भाग गये। केवल समर्थ ही एक पेड़के नीचे बैठे थे। मालिकने सोचा- इसी गोसाईंने हमारे गन्ने तुड़वाये हैं। उसने उन्हें खूब पीटा और वहाँसे भगा दिया। धरित्रीके समान अन्तरमें अपार क्षमा- शान्ति रखनेवाले समर्थने चूँतक नहीं किया।वे शिवाजी महाराजके पास पहुँचे। समर्थकी पीठपर कोड़ोंके घाव देख उन्होंने जाँच करवायी । ईखका मालिक गिरफ्तारकर उनके सामने लाया गया। शिवाने पूछा- 'गुरो ! इसे क्या दण्ड दूँ ?'

समर्थने सारा दोष अपने ऊपर ले लिया और शिवाजी महाराजसे उसे क्षमा कर देनेके लिये कहा। इतना ही नहीं, उन्होंने ईखका वह खेत उसे इनाममें दिलवा दिया।

गो0 न0 बै0 (साधुसंताच्या गोष्टी, भाग 1)



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jo tokaun kaanta buvai, taahi boi too phool !

samarth raamadaas shishyonke saath shivaajee mahaaraajake paas a rahe the. raastemen eekhaka khet pada़aa. shishyonne ganne toda़-toda़kar choos liye. khetaka maalik dauda़aa. use dekhakar shishy bhaag gaye. keval samarth hee ek peड़ke neeche baithe the. maalikane sochaa- isee gosaaeenne hamaare ganne tuda़vaaye hain. usane unhen khoob peeta aur vahaanse bhaga diyaa. dharitreeke samaan antaramen apaar kshamaa- shaanti rakhanevaale samarthane choontak naheen kiyaa.ve shivaajee mahaaraajake paas pahunche. samarthakee peethapar koda़onke ghaav dekh unhonne jaanch karavaayee . eekhaka maalik giraphtaarakar unake saamane laaya gayaa. shivaane poochhaa- 'guro ! ise kya dand doon ?'

samarthane saara dosh apane oopar le liya aur shivaajee mahaaraajase use kshama kar deneke liye kahaa. itana hee naheen, unhonne eekhaka vah khet use inaamamen dilava diyaa.

go0 na0 bai0 (saadhusantaachya goshtee, bhaag 1)

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