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यज्ञमें पशुबलिका समर्थन असत्यका समर्थन है  [Hindi Story]
आध्यात्मिक कथा - Hindi Story (Shikshaprad Kahani)

सृष्टिके प्रारम्भमें सत्ययुगका समय था। उस समय
देवताओंने महर्षियोंसे कहा-'श्रुति कहती है कि यज्ञमें अज बलि होनी चाहिये। अज बकरेका नाम है, फिर
आपलोग उसका बलिदान क्यों नहीं करते ?'

महर्षियोंने कहा- 'देवताओंको मनुष्योंकी इस प्रकार परीक्षा नहीं लेनी चाहिये और न उनकी बुद्धिको भ्रममें डालना चाहिये। बीजका नाम ही अज है। बीजके द्वारा अर्थात् अन्नोंसे ही यज्ञ करनेका वेद निर्देश करता है। यज्ञमें पशु-वध सज्जनोंका धर्म नहीं है।'

परंतु देवताओंने ऋषियोंकी बात स्वीकार नहीं की। दोनों पक्षोंमें इस प्रश्नपर विवाद प्रारम्भ हो गया। उसी समय राजा उपरिचर आकाशमार्ग सेनाके साथ उधरसे निकले। भगवान् नारायणकी आराधना करके राजा उपरिचरने यह शक्ति प्राप्त की थी कि वे अपने रथ तथा सैनिकों, मन्त्रियों आदिके साथ इच्छानुसार आकाशमार्गसे सभी लोकोंमें जा सकते थे उन प्रतापी नरेशको देखकर देवताओं तथा ऋषियोंने उन्हें मध्यस्थ बनाना चाहा। उनके समीप जाकर ऋषियोंने पूछा-'यज्ञमें पशु बलि होनी चाहिये या नहीं ?" राजा उपरिचरने पहले यह जानना चाहा कि देवताओंऔर ऋषियोंमेंसे किसका क्या पक्ष है। दोनों पक्षोंके विचार जानकर राजाने सोचा- 'देवताओंकी प्रसन्नता प्राप्त करनेका यह अवसर मुझे नहीं छोड़ना चाहिये।' उन्होंने निर्णय दे दिया कि 'यज्ञमें पशुबलि होनी चाहिये ।'

उपरिचरका निर्णय सुनकर महर्षियोंने क्रोधपूर्वक -'तूने सत्यका निर्णय न करके पक्षपात किया है, कहा-' असत्यका समर्थन किया है; अतः हम शाप देते हैं कि अब तू देवलोकमें नहीं जा सकेगा। पृथ्वीके ऊपर भी तेरे लिये स्थान नहीं होगा। तू पृथ्वीमें धँस जायगा।'

उपरिचर उसी समय आकाशसे गिरने लगे। अब देवताओंको उनपर दया आयी। उन्होंने कहा- 'महाराज ! महर्षियोंके वचन मिथ्या करनेकी शक्ति हममें नहीं है। हमलोग तो श्रुतियोंका तात्पर्य जाननेके लिये हठ किये हुए थे। पक्ष तो महर्षियोंका ही सत्य है; किंतु हमलोगों से अनुराग होनेके कारण आपने हमारा पक्ष लिया, इससे हम वरदान देते हैं कि जबतक आप भूगर्भमें रहेंगे, तबतक यज्ञमें ब्राह्मणोंद्वारा जो घीकी धारा (वसुधारा) डाली जायगी, वह आपको प्राप्त होगी। आपको भूख प्यासका कष्ट नहीं होगा।'

-सु0 सिंह

(महाभारत, शान्ति0 338)



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yajnamen pashubalika samarthan asatyaka samarthan hai

srishtike praarambhamen satyayugaka samay thaa. us samaya
devataaonne maharshiyonse kahaa-'shruti kahatee hai ki yajnamen aj bali honee chaahiye. aj bakareka naam hai, phira
aapalog usaka balidaan kyon naheen karate ?'

maharshiyonne kahaa- 'devataaonko manushyonkee is prakaar pareeksha naheen lenee chaahiye aur n unakee buddhiko bhramamen daalana chaahiye. beejaka naam hee aj hai. beejake dvaara arthaat annonse hee yajn karaneka ved nirdesh karata hai. yajnamen pashu-vadh sajjanonka dharm naheen hai.'

parantu devataaonne rishiyonkee baat sveekaar naheen kee. donon pakshonmen is prashnapar vivaad praarambh ho gayaa. usee samay raaja uparichar aakaashamaarg senaake saath udharase nikale. bhagavaan naaraayanakee aaraadhana karake raaja uparicharane yah shakti praapt kee thee ki ve apane rath tatha sainikon, mantriyon aadike saath ichchhaanusaar aakaashamaargase sabhee lokonmen ja sakate the un prataapee nareshako dekhakar devataaon tatha rishiyonne unhen madhyasth banaana chaahaa. unake sameep jaakar rishiyonne poochhaa-'yajnamen pashu bali honee chaahiye ya naheen ?" raaja uparicharane pahale yah jaanana chaaha ki devataaonaur rishiyonmense kisaka kya paksh hai. donon pakshonke vichaar jaanakar raajaane sochaa- 'devataaonkee prasannata praapt karaneka yah avasar mujhe naheen chhoda़na chaahiye.' unhonne nirnay de diya ki 'yajnamen pashubali honee chaahiye .'

uparicharaka nirnay sunakar maharshiyonne krodhapoorvak -'toone satyaka nirnay n karake pakshapaat kiya hai, kahaa-' asatyaka samarthan kiya hai; atah ham shaap dete hain ki ab too devalokamen naheen ja sakegaa. prithveeke oopar bhee tere liye sthaan naheen hogaa. too prithveemen dhans jaayagaa.'

uparichar usee samay aakaashase girane lage. ab devataaonko unapar daya aayee. unhonne kahaa- 'mahaaraaj ! maharshiyonke vachan mithya karanekee shakti hamamen naheen hai. hamalog to shrutiyonka taatpary jaananeke liye hath kiye hue the. paksh to maharshiyonka hee saty hai; kintu hamalogon se anuraag honeke kaaran aapane hamaara paksh liya, isase ham varadaan dete hain ki jabatak aap bhoogarbhamen rahenge, tabatak yajnamen braahmanondvaara jo gheekee dhaara (vasudhaaraa) daalee jaayagee, vah aapako praapt hogee. aapako bhookh pyaasaka kasht naheen hogaa.'

-su0 sinha

(mahaabhaarat, shaanti0 338)

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