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सार्वजनिक सेवाके लिये त्याग  [छोटी सी कहानी]
Shikshaprad Kahani - शिक्षदायक कहानी (आध्यात्मिक कथा)

अमें श्रेत्र गाँव के पास एक बड़ा बाँध बनाया गया था आसपासके गाँवोंके किसानोंने उसे बनाने में सहयोग किया था। वर्षा समाप्त हो जानेपर किसानोंके खेत बाँधके पानी से सींचे जा सकेंगे, यही आशा थी। परंतु सभी आयोजनोंके साथ भय लगा रहता है। अचानक रात में घोर वृष्टि हुई नदीमें बाढ़ आ गयी। ऐसा प्रतीत होने लगा कि नदीका जल किनारा तोड़कर बाँधमें प्रवेश कर जायगा और यदि बाँध टूट गया—यह सोचकर ही किसानोंके प्राण सूख गये तो बाँसके टहरोंसे बने घर बाढ़के प्रवाहमें कितने क्षण टिकेंगे ? मनुष्य और पशुओंका जो विनाश होगा, वह दृश्य सामने जान पड़ने लगा।

चौकीदारोंने लोगोंको सावधान करनेके लिये हवामें गोलियाँ छोड़ीं गाँवके लोग बाँधकी देख-रेख में जुट गये। मिट्टी, पत्थर, रेत बाँधके किनारे तेजीसे पड़ने लगा।

बाँध कहीं कमजोर तो नहीं है, यह देखनेका काम सौंपा गया माँग नामक व्यक्तिको घूमते हुए माँगने देखा far में एक स्थानपर लंबा पतला छेद हो गया है। और उसमेंसे नदीका जल भीतर आ रहा है। कुछ क्षणका भी समय मिला तो वह छेद इतना बड़ा होजायगा कि उसे बंद करना शक्य नहीं होगा। दूसरा कोई उपाय तो था नहीं, माँग स्वयं उस छेदको अपने शरीर से दबाकर खड़ा हो गया।

ऊपरसे वर्षा हो रही थी, शीतल वायु चल रही थी और जलमें जलके वेगको शरीरसे दबाकर माँग खड़ा था। उसका शरीर शीतसे अकड़ा जाता था, हड्डियोंमें भयंकर दर्द हो रहा था। अन्तमें वह वेदनासे मूर्च्छित हो गया। किंतु उस वीरका देह फिर भी जलके वेगको रोके बाँधसे चिपका रहा ।

‘माँग गया कहाँ ?' गाँवके दूसरे लोगोंने थोड़ी देरमें खोज की; क्योंकि बाँधके निरीक्षणके सम्बन्धमें उन्हें कोई सूचना माँगने दी नहीं थी। लोग स्वयं बाँध देखने निकले। बाँधसे चिपका माँगका चेतनाहीन शरीर उन्होंने देख लिया।

'माँग !' परंतु माँग तो मूच्छित था, उत्तर कौन देता। लोगोंने उसके देहको वहाँसे हटाया तो बाँधमें नदीका प्रवाह आने लगा। दूसरा मनुष्य उस छेदको दबाकर खड़ा हुआ। कुछ लोग मूच्छित माँगको गाँवमें उठा ले गये और दूसरे लोगोंने उस छेदको बंद किया।

माँगकी इस वीरता और त्यागकी कथा बर्मी माताएँ आज भी अपने बालकोंको सुनाया करती हैं।

-सु0 सिं0



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saarvajanik sevaake liye tyaaga

amen shretr gaanv ke paas ek bada़a baandh banaaya gaya tha aasapaasake gaanvonke kisaanonne use banaane men sahayog kiya thaa. varsha samaapt ho jaanepar kisaanonke khet baandhake paanee se seenche ja sakenge, yahee aasha thee. parantu sabhee aayojanonke saath bhay laga rahata hai. achaanak raat men ghor vrishti huee nadeemen baadha़ a gayee. aisa prateet hone laga ki nadeeka jal kinaara toda़kar baandhamen pravesh kar jaayaga aur yadi baandh toot gayaa—yah sochakar hee kisaanonke praan sookh gaye to baansake taharonse bane ghar baadha़ke pravaahamen kitane kshan tikenge ? manushy aur pashuonka jo vinaash hoga, vah drishy saamane jaan pada़ne lagaa.

chaukeedaaronne logonko saavadhaan karaneke liye havaamen goliyaan chhoda़een gaanvake log baandhakee dekha-rekh men jut gaye. mittee, patthar, ret baandhake kinaare tejeese paड़ne lagaa.

baandh kaheen kamajor to naheen hai, yah dekhaneka kaam saunpa gaya maang naamak vyaktiko ghoomate hue maangane dekha far men ek sthaanapar lanba patala chhed ho gaya hai. aur usamense nadeeka jal bheetar a raha hai. kuchh kshanaka bhee samay mila to vah chhed itana bada़a hojaayaga ki use band karana shaky naheen hogaa. doosara koee upaay to tha naheen, maang svayan us chhedako apane shareer se dabaakar khada़a ho gayaa.

ooparase varsha ho rahee thee, sheetal vaayu chal rahee thee aur jalamen jalake vegako shareerase dabaakar maang khada़a thaa. usaka shareer sheetase akada़a jaata tha, haddiyonmen bhayankar dard ho raha thaa. antamen vah vedanaase moorchchhit ho gayaa. kintu us veeraka deh phir bhee jalake vegako roke baandhase chipaka raha .

‘maang gaya kahaan ?' gaanvake doosare logonne thoda़ee deramen khoj kee; kyonki baandhake nireekshanake sambandhamen unhen koee soochana maangane dee naheen thee. log svayan baandh dekhane nikale. baandhase chipaka maangaka chetanaaheen shareer unhonne dekh liyaa.

'maang !' parantu maang to moochchhit tha, uttar kaun detaa. logonne usake dehako vahaanse hataaya to baandhamen nadeeka pravaah aane lagaa. doosara manushy us chhedako dabaakar khada़a huaa. kuchh log moochchhit maangako gaanvamen utha le gaye aur doosare logonne us chhedako band kiyaa.

maangakee is veerata aur tyaagakee katha barmee maataaen aaj bhee apane baalakonko sunaaya karatee hain.

-su0 sin0

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