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रास्तेकी तलाश  [आध्यात्मिक कहानी]
छोटी सी कहानी - Spiritual Story (Spiritual Story)

रास्तेकी तलाश

एक राजा राजकाजसे मुक्ति चाहते थे। एक दिन उन्होंने राजसिंहासन अपने उत्तराधिकारीको सौंपा और राजमहल छोड़कर चल पड़े। उन्होंने विद्वानोंके साथ सत्संग किया, तपस्या की, पर उनके मनमें अतृप्ति बनी रही। मनमें खिन्नताका भाव लिये वे तीर्थयात्रापर निकल पड़े। एक दिन चलते-चलते वे काफी थक गये और भूखके कारण निढाल होने लगे। राजा पगडण्डीसे उतरकर एक खेतमें रुके और एक पेड़के नीचे बैठकर सुस्ताने लगे। खेतमें आये पथिकको देखकर एक किसान उनके पास जा पहुँचा। वह उनका चेहरा देखकर ही समझ गया कि यह व्यक्ति थका होनेके साथ ही भूखा भी है। किसानने हाँडीमें उबालनेके लिये चावल डाले, फिर राजासे कहा- 'उठो, चावल पकाओ। जब चावल पक जायँ, तब मुझे आवाज दे देना। हम दोनों इससे पेट भर लेंगे।'
राजा मन्त्रमुग्ध होकर किसानकी बात सुनते रहे। किसानके जानेके बाद उन्होंने चावल पकाने शुरू कर दिये। जब चावल पक गये, तो उन्होंने किसानको बुलाया और दोनोंने भरपेट चावल खाये। फिर किसान काममें लग गया और राजाको ठण्डी छाँवमें गहरी नींद आ गयी। सपनेमें उन्होंने देखा कि एक दिव्य पुरुष खड़ा होकर कह रहा है- 'मैं कर्म हूँ और मेरा आश्रय पाये बगैर किसीको शान्ति नहीं मिलती। तुम्हें सब कुछ बिना कर्म किये प्राप्त हो गया है। तुम एक बनी-बनायी प्रणालीका संचालन कर रहे हो। इसलिये तुम्हें जीवनसे विरक्ति हो रही है। तुम कर्म करो। कर्म करनेका एक अलग ही सुख है। इससे तुम्हारे भीतर जीवनके प्रति लगाव पैदा होगा।'
राजाकी आँखें खुल गयीं। उन्हें लगा कि उन्हें रास्ता मिल गया। [ श्रीरामकिशोरजी ]



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raastekee talaasha

raastekee talaasha

ek raaja raajakaajase mukti chaahate the. ek din unhonne raajasinhaasan apane uttaraadhikaareeko saunpa aur raajamahal chhoda़kar chal pada़e. unhonne vidvaanonke saath satsang kiya, tapasya kee, par unake manamen atripti banee rahee. manamen khinnataaka bhaav liye ve teerthayaatraapar nikal pada़e. ek din chalate-chalate ve kaaphee thak gaye aur bhookhake kaaran nidhaal hone lage. raaja pagadandeese utarakar ek khetamen ruke aur ek peda़ke neeche baithakar sustaane lage. khetamen aaye pathikako dekhakar ek kisaan unake paas ja pahunchaa. vah unaka chehara dekhakar hee samajh gaya ki yah vyakti thaka honeke saath hee bhookha bhee hai. kisaanane haandeemen ubaalaneke liye chaaval daale, phir raajaase kahaa- 'utho, chaaval pakaao. jab chaaval pak jaayan, tab mujhe aavaaj de denaa. ham donon isase pet bhar lenge.'
raaja mantramugdh hokar kisaanakee baat sunate rahe. kisaanake jaaneke baad unhonne chaaval pakaane shuroo kar diye. jab chaaval pak gaye, to unhonne kisaanako bulaaya aur dononne bharapet chaaval khaaye. phir kisaan kaamamen lag gaya aur raajaako thandee chhaanvamen gaharee neend a gayee. sapanemen unhonne dekha ki ek divy purush khada़a hokar kah raha hai- 'main karm hoon aur mera aashray paaye bagair kiseeko shaanti naheen milatee. tumhen sab kuchh bina karm kiye praapt ho gaya hai. tum ek banee-banaayee pranaaleeka sanchaalan kar rahe ho. isaliye tumhen jeevanase virakti ho rahee hai. tum karm karo. karm karaneka ek alag hee sukh hai. isase tumhaare bheetar jeevanake prati lagaav paida hogaa.'
raajaakee aankhen khul gayeen. unhen laga ki unhen raasta mil gayaa. [ shreeraamakishorajee ]

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फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
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