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सन्तानका विद्यारम्भ कब हो  [Short Story]
हिन्दी कथा - बोध कथा (छोटी सी कहानी)

सन्तानका विद्यारम्भ कब हो ?

एक दिन एक महिलाने गुरुजीके समीप जाकर पूछा-'हे गुरुदेव मेरे प्रिय पुत्रकी शिक्षा कबसे और किस मुहूर्तसे प्रारम्भ करनी है ? कृपया बतायें।' गुरुजीने पूछा- आपके पुत्रकी आयु कितनी है ?' महिला बोली- 5 वर्ष है, गुरुदेव 'गुरुजी
बोले 'शिक्षा देनेका काल 6 वर्ष विलम्बित हो गया कल्याणी। बच्चेको शिक्षा गर्भ से ही प्रारम्भ करनी चाहिये।'



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santaanaka vidyaarambh kab ho

santaanaka vidyaarambh kab ho ?

ek din ek mahilaane gurujeeke sameep jaakar poochhaa-'he gurudev mere priy putrakee shiksha kabase aur kis muhoortase praarambh karanee hai ? kripaya bataayen.' gurujeene poochhaa- aapake putrakee aayu kitanee hai ?' mahila bolee- 5 varsh hai, gurudev 'gurujee
bole 'shiksha deneka kaal 6 varsh vilambit ho gaya kalyaanee. bachcheko shiksha garbh se hee praarambh karanee chaahiye.'

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हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
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सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे
किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
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मैया करादे मेरो ब्याह,
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
मेरी बाँह पकड़ लो इक बार,सांवरिया
मैं तो जाऊँ तुझ पर कुर्बान, सांवरिया
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
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ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
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कोई ना बताये और शाम हो गयी,
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
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मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
तुम रूठे रहो मोहन,
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मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
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