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सच्चा अध्ययन  [Shikshaprad Kahani]
Story To Read - आध्यात्मिक कथा (हिन्दी कहानी)

एक विद्वान् ब्राह्मण एक धर्मात्मा नरेशके यहाँ पहुँचे। उनका सत्कार हुआ। ब्राह्मणने कहा- 'राजन् ! आपकी इच्छा हो तो मैं आपको श्रीमद्भागवत श्रवण कराऊँ । '

नरेशने उनकी ओर देखा और बोले- 'आप कुछ दिन और श्रीमद्भागवतका अध्ययन करके आवें।' बहुत बुरा लगा ब्राह्मणको। वे उठकर चले आये। परंतु उन्होंने श्रीमद्भागवतका अध्ययन छोड़ा नहीं। पूरा ग्रन्थ कण्ठस्थ करके वे फिर नरेशके पास गये। किंतु उन्हें फिर वही उत्तर मिला- 'आप कुछ दिन और श्रीमद्भागवतका अध्ययन करें।'

एक बार, दो बार, तीन बार-ब्राह्मणको यही उत्तर राजा देते रहे, जब भी वे उनके यहाँ गये। अन्तमें वे निराश हो गये। अचानक श्रीमद्भागवतका पाठ करते समय वैराग्यबोधक श्लोकोंपर उनका ध्यान गया।उनके चित्तने कहा-'छि: ! मैं एक तुच्छ नरेशके यहाँ बार-बार लोभवश जाता हूँ और साक्षात् श्रीकृष्ण स्वरूप अनन्त दयामय श्रीमद्भागवत मेरे सामने हैं, उनकी शरण मैं नहीं लेता।' ब्राह्मण तो अब श्रीमद्भागवतके पाठमें ही तन्मय हो गये।

बहुत दिन बीत गये और ब्राह्मण नहीं आये तब राजाने उन्हें बुलानेको दूत भेजा; किंतु अब नि:स्पृह ब्राह्मण उनके यहाँ क्यों जाने लगे थे । अन्तमें राजा स्वयं उनकी झोंपड़ीमें पधारे। उन्होंने कहा-'ब्रह्मन् ! आप मुझे क्षमा करें। श्रीमद्भागवतका ठीक अध्ययन आपने अब किया है। वैराग्य और भगवद्भक्ति न आयी तो भागवत पढ़नेसे लाभ क्या। आप पाठ करें, अब यहीं आपके चरणोंमें बैठकर मैं आपके श्रीमुखसे श्रीमद्भागवत श्रवण करूँगा।'

- सु0 सिं0



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sachcha adhyayana

ek vidvaan braahman ek dharmaatma nareshake yahaan pahunche. unaka satkaar huaa. braahmanane kahaa- 'raajan ! aapakee ichchha ho to main aapako shreemadbhaagavat shravan karaaoon . '

nareshane unakee or dekha aur bole- 'aap kuchh din aur shreemadbhaagavataka adhyayan karake aaven.' bahut bura laga braahmanako. ve uthakar chale aaye. parantu unhonne shreemadbhaagavataka adhyayan chhoda़a naheen. poora granth kanthasth karake ve phir nareshake paas gaye. kintu unhen phir vahee uttar milaa- 'aap kuchh din aur shreemadbhaagavataka adhyayan karen.'

ek baar, do baar, teen baara-braahmanako yahee uttar raaja dete rahe, jab bhee ve unake yahaan gaye. antamen ve niraash ho gaye. achaanak shreemadbhaagavataka paath karate samay vairaagyabodhak shlokonpar unaka dhyaan gayaa.unake chittane kahaa-'chhi: ! main ek tuchchh nareshake yahaan baara-baar lobhavash jaata hoon aur saakshaat shreekrishn svaroop anant dayaamay shreemadbhaagavat mere saamane hain, unakee sharan main naheen letaa.' braahman to ab shreemadbhaagavatake paathamen hee tanmay ho gaye.

bahut din beet gaye aur braahman naheen aaye tab raajaane unhen bulaaneko doot bhejaa; kintu ab ni:sprih braahman unake yahaan kyon jaane lage the . antamen raaja svayan unakee jhonpada़eemen padhaare. unhonne kahaa-'brahman ! aap mujhe kshama karen. shreemadbhaagavataka theek adhyayan aapane ab kiya hai. vairaagy aur bhagavadbhakti n aayee to bhaagavat padha़nese laabh kyaa. aap paath karen, ab yaheen aapake charanonmen baithakar main aapake shreemukhase shreemadbhaagavat shravan karoongaa.'

- su0 sin0

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