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सत्यभाषणका प्रताप  [Spiritual Story]
हिन्दी कथा - Story To Read (Wisdom Story)

हंगरीका राजा मत्थियस अपने गरियेको बहुत

मानता था। वह कभी झूठ नहीं बोलता था। एक दिन प्रशियाके राजा मत्थियसके साथ उसीके राजमहलमें भोजन कर रहे थे। प्रशियाकी अविवाहिता राजकन्या भी उपस्थित थी। बात ही बातमें हंगरीके राजाने अपने गड़ेरियेके सत्यभाषणकी प्रशंसा की । प्रशियाके राजाको यह बात अच्छी नहीं लगी। उसने कहा- - यह नितान्त असम्भव है। मैं उसे असत्यभाषणके लिये विवश कर दूंगा।'

"और यदि वह ऐसा नहीं कर सकेगा तो ?"

मथियसका प्रश्न था ।

"मैं अपना आधा राज्य हार जाऊँगा और यदि वह

असत्य बोलेगा तो तुम्हें आधा राज्य देना पड़ेगा।'

प्रशियाके राजाका उत्तर था। वह चिन्तित था ।

रातभर उसे नींद नहीं आयी, वह उपाय सोचता

रहा, पर कोई बात उसके मनमें न बैठ सकी।

'मत्थियसके पास सुनहले रंगका एक मेमना है। मैं बड़ी से बड़ी घूस देकर गड़ेरियेसे मेमना माँग लूँगा। उसके गायब हो जानेपर वह राजाके सामने कोई कल्पित कथा कहकर प्राण बचायेगा, असत्य बोलनेके लिये विवश होगा।' उसे नींद आ गयी।

"मैं किसी भी मूल्यपर सुनहला मेमना आपको नहीं दे सकता। मैंने अपने राजाका नमक खाया है; मेमना आपको देकर में राजसिंहासन के सामने झूठ नहीं बोल सकता।' गड़ेरियेके इस उत्तरसे प्रशियानरेशकी आशाओंपर पानी पड़ गया। वह सबेरे-सबेरे उससे चरागाहपर मिलने गया था।

'मैं तुम्हें इतना धन दे दूंगा कि उससे तुम्हारा जीवन निर्वाह हो जायगा। मेमना मुझे दो और अपने मालिकसे झूठ बोल दो कि उसे भेड़िया उठा ले गया।' प्रशियानरेशने फिर प्रयत्न किया। गड़ेरियाने उसका प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। राजाने अपनी लड़की भेजी। उसे विश्वास था कि लड़कीके सौन्दर्यसे विमुग्ध होकर गड़ेरिया मेमना अवश्य दे देगा।"मैं तुम्हें धनसे पूर्ण तृप्त कर दूंगी, तुम्हें कि बातकी चिन्ता नहीं रहेगी, पर मेमना मुझे दे दी। मी पिताको इसकी बड़ी आवश्यकता है।' राजकन्यांन | मोहरोंकी थैली दिखायी और पीनेके लिये पेय किया।

गड़ेरियाने कहा कि मैं अपने सत्यव्रतसे एक इं भी पीछे नहीं हटूंगा; मुझे सारे संसारका साम्राज्य न मिले, पर में झूठ नहीं बोल सकता।'- राजकन्याकी प्रार्थनापर पेय पदार्थ सेवनसे उसकी चेतना जाती रही। उसने अस्वस्थ दशामें मेमना राजकन्याको सौंप दिया। राजकुमारोको केवल मेमनेके सुनहले बालकी आवश्यकता थी, जिससे यह प्रमाणित हो सके कि गड़रियेने म दे दिया था। - प्रशियानरेशकी प्रसन्नताकी सीमा न रही। वह यही सोचने लगा कि कब सबेरा हो और में मत्थियसके राजमहलमें जा पहुँचूँ।


गड़ेरियाने चेतना प्राप्त की। उसे अपनी करनीपर बड़ा पश्चात्ताप हुआ। उसने सोचा कि मैं राजासे कह दूंगा कि मेमना भाग गया।

'पर यह असम्भव है। ऐसा कभी नहीं हो सकता। मेमनेके साथ-ही-साथ पूरे झुंडको भाग जाना चाहिये था।' उसकी अन्तरात्माने धिक्कारा कि यह झूठ है, ऐसा कभी नहीं कहना चाहिये। वह राजमहलकी ओर बढ़ता गया। उसके मनमें यह बात आयी कि मैं राजासे कह दूँगा कि मेमना कुऍमें गिर पड़ा और उसीमें डूबकर मर गया।

'यह ठीक नहीं है। ऐसा होता तो दूसरे भेड़ भी गिर पड़ते।' उसके मनने फटकारा कि झूठ बोलना महापाप है।

अचानक वह प्रसन्न हो उठा। उसने सोचा कि मैं राजाको समझा दूंगा कि मेमनेको भेड़िया खा गया। पर इस बात से भी उसका मन संतुष्ट नहीं हुआ।

राजमहलमें प्रवेश करते ही गड़ेरिया हँस पड़ा। मैं एक शुभ समाचार सुनाना चाहता हूँ, नरेश !' गड़ेरियेने मस्थियस और उसके अतिथि प्रशिवानरेश और उसकोकन्याको अभिवादन किया। प्रशियानरेश समझता था कि गड़ेरिया झूठ बोलेगा, पर उसके चेहरेपर हवाइयाँ उड़ने लगीं।

'मैंने आपके मेमनेको बदलकर काले रंगका मेमना ले लिया है। और महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि यह नया सौदा सुनहले मेमनेसे कहीं अधिक सुन्दर है ।' गड़ेरिया प्रसन्न था। प्रशियानरेशका चेहरा उसके सत्यभाषणसे उतर गया। वह खिन्न था ।

"मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ । तुमने धन, सौन्दर्य और पेय- किसी भी कीमतपर असत्य भाषण नहीं किया। इन्हीं तीनोंसे अंधा होकर मनुष्य बड़े-से-बड़ा पाप कर डालता है। तुम्हारी सत्य-निष्ठाने मुझे प्रशियानरेशकेआधे राज्यका अधिकार दिया है और यह आधा राज्य मैं तुम्हें सौंपता हूँ। तुम्हारे सत्यव्रतका यह पुरस्कार है। हंगरीके राजाके वचन थे।'

'और यह है काले रंगका मेमना।' गड़ेरियेने सुन्दरी राजकन्याकी ओर मत्थियसका ध्यान आकृष्ट किया।

"यह राजकन्या मेँ अपनी ओरसे तुम्हें प्रदान करता हूँ असत्य-विजयके उपलक्ष्यमें।' प्रशियानरेशनेउदारतापूर्वक अपना कर्तव्य पूरा किया।

गड़ेरियेका सुन्दरी राजकुमारीसे विवाह हो गया। सत्यभाषणके प्रतापसे गड़ेरिया एक विशाल राज्यका
अधिकारी घोषित किया गया।

-रा0 श्री0



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satyabhaashanaka prataapa

hangareeka raaja matthiyas apane gariyeko bahuta

maanata thaa. vah kabhee jhooth naheen bolata thaa. ek din prashiyaake raaja matthiyasake saath useeke raajamahalamen bhojan kar rahe the. prashiyaakee avivaahita raajakanya bhee upasthit thee. baat hee baatamen hangareeke raajaane apane gada़eriyeke satyabhaashanakee prashansa kee . prashiyaake raajaako yah baat achchhee naheen lagee. usane kahaa- - yah nitaant asambhav hai. main use asatyabhaashanake liye vivash kar doongaa.'

"aur yadi vah aisa naheen kar sakega to ?"

mathiyasaka prashn tha .

"main apana aadha raajy haar jaaoonga aur yadi vaha

asaty bolega to tumhen aadha raajy dena pada़egaa.'

prashiyaake raajaaka uttar thaa. vah chintit tha .

raatabhar use neend naheen aayee, vah upaay sochataa

raha, par koee baat usake manamen n baith sakee.

'matthiyasake paas sunahale rangaka ek memana hai. main bada़ee se bada़ee ghoos dekar gada़eriyese memana maang loongaa. usake gaayab ho jaanepar vah raajaake saamane koee kalpit katha kahakar praan bachaayega, asaty bolaneke liye vivash hogaa.' use neend a gayee.

"main kisee bhee moolyapar sunahala memana aapako naheen de sakataa. mainne apane raajaaka namak khaaya hai; memana aapako dekar men raajasinhaasan ke saamane jhooth naheen bol sakataa.' gada़eriyeke is uttarase prashiyaanareshakee aashaaonpar paanee pada़ gayaa. vah sabere-sabere usase charaagaahapar milane gaya thaa.

'main tumhen itana dhan de doonga ki usase tumhaara jeevan nirvaah ho jaayagaa. memana mujhe do aur apane maalikase jhooth bol do ki use bheda़iya utha le gayaa.' prashiyaanareshane phir prayatn kiyaa. gada़eriyaane usaka prastaav asveekaar kar diyaa. raajaane apanee lada़kee bhejee. use vishvaas tha ki lada़keeke saundaryase vimugdh hokar gada़eriya memana avashy de degaa."main tumhen dhanase poorn tript kar doongee, tumhen ki baatakee chinta naheen rahegee, par memana mujhe de dee. mee pitaako isakee bada़ee aavashyakata hai.' raajakanyaann | moharonkee thailee dikhaayee aur peeneke liye pey kiyaa.

gada़eriyaane kaha ki main apane satyavratase ek in bhee peechhe naheen hatoongaa; mujhe saare sansaaraka saamraajy n mile, par men jhooth naheen bol sakataa.'- raajakanyaakee praarthanaapar pey padaarth sevanase usakee chetana jaatee rahee. usane asvasth dashaamen memana raajakanyaako saunp diyaa. raajakumaaroko keval memaneke sunahale baalakee aavashyakata thee, jisase yah pramaanit ho sake ki gada़riyene m de diya thaa. - prashiyaanareshakee prasannataakee seema n rahee. vah yahee sochane laga ki kab sabera ho aur men matthiyasake raajamahalamen ja pahunchoon.


gada़eriyaane chetana praapt kee. use apanee karaneepar bada़a pashchaattaap huaa. usane socha ki main raajaase kah doonga ki memana bhaag gayaa.

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'yah theek naheen hai. aisa hota to doosare bheda़ bhee gir pada़te.' usake manane phatakaara ki jhooth bolana mahaapaap hai.

achaanak vah prasann ho uthaa. usane socha ki main raajaako samajha doonga ki memaneko bheda़iya kha gayaa. par is baat se bhee usaka man santusht naheen huaa.

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"main tumase bahut prasann hoon . tumane dhan, saundary aur peya- kisee bhee keematapar asaty bhaashan naheen kiyaa. inheen teenonse andha hokar manushy bada़e-se-bada़a paap kar daalata hai. tumhaaree satya-nishthaane mujhe prashiyaanareshakeaadhe raajyaka adhikaar diya hai aur yah aadha raajy main tumhen saunpata hoon. tumhaare satyavrataka yah puraskaar hai. hangareeke raajaake vachan the.'

'aur yah hai kaale rangaka memanaa.' gada़eriyene sundaree raajakanyaakee or matthiyasaka dhyaan aakrisht kiyaa.

"yah raajakanya men apanee orase tumhen pradaan karata hoon asatya-vijayake upalakshyamen.' prashiyaanareshaneudaarataapoorvak apana kartavy poora kiyaa.

gada़eriyeka sundaree raajakumaareese vivaah ho gayaa. satyabhaashanake prataapase gada़eriya ek vishaal raajyakaa
adhikaaree ghoshit kiya gayaa.

-raa0 shree0

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