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गृह कलह रोकनेके लिये आत्मोत्सर्ग  [Spiritual Story]
Short Story - प्रेरक कहानी (Spiritual Story)

राजपूतोंमें विजयादशमीके दिन आखेट करनेकी प्रथा चली आ रही है। मेवाड़के राणा प्रताप तथा उनके छोटे भाई शक्तसिंह सैनिकोंके साथ इस तिथिको आखेटके लिये निकले थे। दोनों भाई साथ ही आखेट कर रहे थे। संयोगवश एक मृग दोनोंकी दृष्टिमें एक साथ पड़ा। दोनोंने उसपर साथ ही बाण चलाया।

मृग तो बाणोंके आघातसे मर गया किंतु एक विवाद उठ खड़ा हुआ कि मृग मरा किसके बाणसे। राणा कह रहे थे- 'मेरे बाणसे यह मरा।' शक्तसिंह कह रहे थे इसे मैंने मारा है।' यह छोटी-सी बात इतनी बढ़ गयी कि दोनों भाइयोंने तलवार खींच ली। दोनोंमें बुद्ध छिड़ गया।'ठहरो! युद्ध बंद करो।' राजपुरोहितने दूरसे ही दोनोंको पुकारकर रोका और दौड़े हुए वहाँ आये। दोनोंको उन्होंने समझाया - 'देश इस समय संकटमें है। विधर्मियोंके आक्रमण आये दिन होते ही रहते हैं। ऐसे समय यह कैसी मूर्खता है कि मेवाड़की आशाके दो आधार परस्पर ही लड़ मरनेको उद्यत हैं।'

ब्राह्मणने राणाको समझाया कि शक्तसिंहको बालक समझकर उसीको विजयी मान लें। शक्तसिंहको समझाया कि वे ही बड़े भाईका सम्मान करें। दोनोंको शपथें दीं; किंतु क्रोधमें अच्छे विचारवान् भी विवेकशून्य हो जाते हैं। दोनों भाइयोंमें कोई झुकनेको प्रस्तुत नहीं था।कोई उपाय नहीं रहा, तब राजपुरोहित नंगी तलवार लिये परस्पर आघातको उद्यत दोनों भाइयोंके बीचमें खड़े-खड़े बोले—‘यदि रक्तपानके बिना तुम्हारा क्रोधरूपी पिशाच शान्त नहीं होता तो वह ब्राह्मणका रक्त-पान करे। मैंने मेवाड़का अन्न खाया है, मेवाड़की मिट्टीसेयह शरीर बना है, मैं मेवाड़को गृह कलहसे नष्ट होते नहीं देख सकता।' ब्राह्मणने कटार निकालकर अपनी छातीमें मार ली। दोनों भाइयोंके बीचमें उनका शरीर भूमिपर गिर पड़ा। दोनों भाइयोंके मस्तक लज्जासे झुक गये।

– सु0 सिं0



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grih kalah rokaneke liye aatmotsarga

raajapootonmen vijayaadashameeke din aakhet karanekee pratha chalee a rahee hai. mevaada़ke raana prataap tatha unake chhote bhaaee shaktasinh sainikonke saath is tithiko aakhetake liye nikale the. donon bhaaee saath hee aakhet kar rahe the. sanyogavash ek mrig dononkee drishtimen ek saath pada़aa. dononne usapar saath hee baan chalaayaa.

mrig to baanonke aaghaatase mar gaya kintu ek vivaad uth khada़a hua ki mrig mara kisake baanase. raana kah rahe the- 'mere baanase yah maraa.' shaktasinh kah rahe the ise mainne maara hai.' yah chhotee-see baat itanee badha़ gayee ki donon bhaaiyonne talavaar kheench lee. dononmen buddh chhida़ gayaa.'thaharo! yuddh band karo.' raajapurohitane doorase hee dononko pukaarakar roka aur dauda़e hue vahaan aaye. dononko unhonne samajhaaya - 'desh is samay sankatamen hai. vidharmiyonke aakraman aaye din hote hee rahate hain. aise samay yah kaisee moorkhata hai ki mevaada़kee aashaake do aadhaar paraspar hee lada़ maraneko udyat hain.'

braahmanane raanaako samajhaaya ki shaktasinhako baalak samajhakar useeko vijayee maan len. shaktasinhako samajhaaya ki ve hee bada़e bhaaeeka sammaan karen. dononko shapathen deen; kintu krodhamen achchhe vichaaravaan bhee vivekashoony ho jaate hain. donon bhaaiyonmen koee jhukaneko prastut naheen thaa.koee upaay naheen raha, tab raajapurohit nangee talavaar liye paraspar aaghaatako udyat donon bhaaiyonke beechamen khada़e-khada़e bole—‘yadi raktapaanake bina tumhaara krodharoopee pishaach shaant naheen hota to vah braahmanaka rakta-paan kare. mainne mevaada़ka ann khaaya hai, mevaada़kee mitteeseyah shareer bana hai, main mevaada़ko grih kalahase nasht hote naheen dekh sakataa.' braahmanane kataar nikaalakar apanee chhaateemen maar lee. donon bhaaiyonke beechamen unaka shareer bhoomipar gir pada़aa. donon bhaaiyonke mastak lajjaase jhuk gaye.

– su0 sin0

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