⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

सत्सङ्गकी महिमा  [आध्यात्मिक कथा]
हिन्दी कथा - हिन्दी कथा (बोध कथा)

किसी समय महर्षि वसिष्ठजी विश्वामित्रजीके आश्रमपर पधारे। विश्वामित्रजीने उनका स्वागत-सत्कार तो किया ही, आतिथ्यमें अपनी एक सहस्र वर्षकी तपस्याका फल भी अर्पित किया। कुछ समय पश्चात् विश्वामित्रजीवसिष्ठजीके अतिथि हुए । वसिष्ठजीने भी उनका यथोचित सत्कार किया और उन्हें अपने आधी घड़ीके सत्सङ्गका पुण्य अर्पित किया। परंतु वसिष्ठजीके इस व्यवहारसे विश्वामित्रजीको क्षोभ हुआ । यद्यपि वे कुछ बोले नहीं;फिर भी उनके मुखपर आया रोषका भाव छिपा नहीं रहा। उस भावको लक्षित करके वसिष्ठजी बोले-'मैं देखता हूँ कि आपको अपनी सहस्र वर्षकी तपस्याके समान मेरा आधी घड़ीका सत्सङ्ग नहीं जान पड़ता। क्यों न हमलोग किसीसे निर्णय करा लें।'

दोनों ब्रह्मर्षि ठहरे, उनके विवादका निर्णय करनेका साहस कोई ऋषि-मुनि भी नहीं कर सकता था, नरेशोंकी तो चर्चा ही क्या। वे ब्रह्मलोक पहुँचे। परंतु ब्रह्माजीने भी सोचा कि इनमें कोई रुष्ट होकर शाप दे देगा तो विपत्तिमें पड़ना होगा। उन्होंने कह दिया 'आपलोग भगवान् विष्णुके पास पधारें; क्योंकि सृष्टिके कार्यमें व्यस्त होनेके कारण मैं स्वस्थचित्तसे कोई निर्णय देनेमें असमर्थ हूँ।'

'मैं आप दोनोंके चरणोंमें प्रणाम करता हूँ। तपस्या और सत्सङ्गके माहात्म्यका निर्णय वही कर सकता है, जो स्वयं इनमें लगा हो। मेरा तो इनसे परिचय ही नहीं आपलोग तपोमूर्ति भगवान् शङ्करसे पूछनेकी कृपा करें।' भगवान् विष्णुने भी दोनों ऋषियोंको यह कहकर विदा कर दिया।

दोनों ऋषि कैलास पहुँचे; किंतु शङ्करजीने भी कहदिया- 'जबसे मैंने हालाहल पान किया है, तबसे चित्तकी स्थिति निर्णायक बनने जैसी नहीं रही है। शेषजी मस्तकपर पृथ्वी उठाये निरन्तर तप करते रहते हैं और अपने सहस्रमुखोंसे मुनिवृन्दको सत्सङ्गका लाभ देते रहते हैं। वे ही आपलोगोंका निर्णय कर सकते हैं।' पाताल पहुँचनेपर दोनों महर्षियोंकी बात शेषजीने सुन ली और बोले- 'आपमेंसे कोई अपने प्रभावसे इस पृथ्वीको कुछ क्षण अधरमें रोके रहें तो मेरा भार कम हो और मैं स्वस्थ होकर विचार करके निर्णय दूँ।'

'मैं एक सहस्र वर्षके तपका फल अर्पित करता हूँ, धरा आकाशमें स्थित रहें ।' महर्षि विश्वामित्रने हाथमें जल लेकर संकल्प किया; किंतु पृथ्वी तो हिली भी नहीं ।

‘मैं आधी घड़ीके अपने सत्सङ्गका पुण्य देता हूँ, पृथ्वी देवी कुछ क्षण गगनमें ही अवस्थित रहें ।' ब्रह्मर्षि वसिष्ठजीने संकल्प किया और पृथ्वी शेषजीके फणोंसे
ऊपर उठकर निराधार स्थित हो गयीं अब निर्णय करने-करानेको कुछ रहा ही नहीं था विश्वामित्रजीने वसिष्ठजीके चरण पकड़ लिये -'' 'भगवन् ! आप सदासे महान् हैं । ' - सु0 सिं0



You may also like these:

हिन्दी कहानी उपासनाका फल
छोटी सी कहानी गायका मूल्य
छोटी सी कहानी विचित्र न्याय
आध्यात्मिक कथा संसारका स्वरूप
हिन्दी कहानी अनूठी विरक्ति
आध्यात्मिक कथा परमात्माकी मृत्यु


satsangakee mahimaa

kisee samay maharshi vasishthajee vishvaamitrajeeke aashramapar padhaare. vishvaamitrajeene unaka svaagata-satkaar to kiya hee, aatithyamen apanee ek sahasr varshakee tapasyaaka phal bhee arpit kiyaa. kuchh samay pashchaat vishvaamitrajeevasishthajeeke atithi hue . vasishthajeene bhee unaka yathochit satkaar kiya aur unhen apane aadhee ghada़eeke satsangaka puny arpit kiyaa. parantu vasishthajeeke is vyavahaarase vishvaamitrajeeko kshobh hua . yadyapi ve kuchh bole naheen;phir bhee unake mukhapar aaya roshaka bhaav chhipa naheen rahaa. us bhaavako lakshit karake vasishthajee bole-'main dekhata hoon ki aapako apanee sahasr varshakee tapasyaake samaan mera aadhee ghada़eeka satsang naheen jaan pada़taa. kyon n hamalog kiseese nirnay kara len.'

donon brahmarshi thahare, unake vivaadaka nirnay karaneka saahas koee rishi-muni bhee naheen kar sakata tha, nareshonkee to charcha hee kyaa. ve brahmalok pahunche. parantu brahmaajeene bhee socha ki inamen koee rusht hokar shaap de dega to vipattimen pada़na hogaa. unhonne kah diya 'aapalog bhagavaan vishnuke paas padhaaren; kyonki srishtike kaaryamen vyast honeke kaaran main svasthachittase koee nirnay denemen asamarth hoon.'

'main aap dononke charanonmen pranaam karata hoon. tapasya aur satsangake maahaatmyaka nirnay vahee kar sakata hai, jo svayan inamen laga ho. mera to inase parichay hee naheen aapalog tapomoorti bhagavaan shankarase poochhanekee kripa karen.' bhagavaan vishnune bhee donon rishiyonko yah kahakar vida kar diyaa.

donon rishi kailaas pahunche; kintu shankarajeene bhee kahadiyaa- 'jabase mainne haalaahal paan kiya hai, tabase chittakee sthiti nirnaayak banane jaisee naheen rahee hai. sheshajee mastakapar prithvee uthaaye nirantar tap karate rahate hain aur apane sahasramukhonse munivrindako satsangaka laabh dete rahate hain. ve hee aapalogonka nirnay kar sakate hain.' paataal pahunchanepar donon maharshiyonkee baat sheshajeene sun lee aur bole- 'aapamense koee apane prabhaavase is prithveeko kuchh kshan adharamen roke rahen to mera bhaar kam ho aur main svasth hokar vichaar karake nirnay doon.'

'main ek sahasr varshake tapaka phal arpit karata hoon, dhara aakaashamen sthit rahen .' maharshi vishvaamitrane haathamen jal lekar sankalp kiyaa; kintu prithvee to hilee bhee naheen .

‘main aadhee ghada़eeke apane satsangaka puny deta hoon, prithvee devee kuchh kshan gaganamen hee avasthit rahen .' brahmarshi vasishthajeene sankalp kiya aur prithvee sheshajeeke phanonse
oopar uthakar niraadhaar sthit ho gayeen ab nirnay karane-karaaneko kuchh raha hee naheen tha vishvaamitrajeene vasishthajeeke charan pakada़ liye -'' 'bhagavan ! aap sadaase mahaan hain . ' - su0 sin0

79 Views





Bhajan Lyrics View All

बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा

New Bhajan Lyrics View All

हे माँ के भवन के तले,
जगदीयां ज्योत जले,
एक दिन मेरो दूल्हा आवेगो मोहन मुरली
मन मोहन मुरली वालो घनश्याम मुरलिया
सांवरे जाने भी दे लौट के आने भी दे,
मुझको दही बेचन जाना सच कहती हूँ मैं
झूला पड़ा कदम की डाल झूल रही राधा
राधा प्यारी संग में ब्रज नारी,
कृष्ण कन्हैया छोड़ो मेरी बईया,
हो गई है अब शाम अब घर जाने दो...