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साधुताकी कसौटी  [प्रेरक कथा]
Story To Read - प्रेरक कथा (शिक्षदायक कहानी)

देवराज इन्द्र अपनी देवसभामें श्रेणिक नामके राजाके साधु-स्वभावकी प्रशंसा कर रहे थे। उस प्रशंसाको सुनकर एक देवताके मनमें राजाकी परीक्षा लेनेकी इच्छा हुई। देवता पृथ्वीपर आये और राजा जिस मार्गसे नगरमें आ रहे थे बाहरसे घूमकर, उस मार्ग में साधुका वेश बनाकर एक तालाबपर बैठकर मछली मारनेका ढोंग करने लगे। राजा उधरसे निकले तो साधुको यह विपरीत

आचरण करते देख बोले- 'अरे! आप यह क्या अपकर्म कर रहे हैं ?'

साधुने कहा—'राजन्! मैं धर्म-अधर्मकी बात नहीं
जानता। मछली मारकर उन्हें बेचूँगा और प्राप्त धनसेजाड़ोंके लिये एक कम्बल खरीदूँगा ।'

'आप कोई जन्म-मरणके चक्रमें भटकनेवाले प्राणियोंमेंसे ही जान पड़ते हैं।' इतना कहकर राजा अपने मार्गसे चले गये।

देवता स्वर्ग लौट आये। पूछनेपर उन्होंने देवराजसे कहा - 'सचमुच वह राजा साधु है। समत्वमें उसकी बुद्धि स्थित है। पापी, असदाचारीकी निन्दा करना तथा उससे घृणा करना उसने छोड़ दिया है; इसका अर्थ ही है कि उसे अपने सत्कर्मपर गर्व नहीं है।'

क्रियाहीनं कुसाधुं च दृष्ट्वा चित्ते न यश्चलेत् ।

तेषां दृढं तु सम्यक्त्वं धर्मे श्रेणिकभूपवत् ॥

- सु0 सिं0



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saadhutaakee kasautee

devaraaj indr apanee devasabhaamen shrenik naamake raajaake saadhu-svabhaavakee prashansa kar rahe the. us prashansaako sunakar ek devataake manamen raajaakee pareeksha lenekee ichchha huee. devata prithveepar aaye aur raaja jis maargase nagaramen a rahe the baaharase ghoomakar, us maarg men saadhuka vesh banaakar ek taalaabapar baithakar machhalee maaraneka dhong karane lage. raaja udharase nikale to saadhuko yah vipareeta

aacharan karate dekh bole- 'are! aap yah kya apakarm kar rahe hain ?'

saadhune kahaa—'raajan! main dharma-adharmakee baat naheen
jaanataa. machhalee maarakar unhen bechoonga aur praapt dhanasejaaड़onke liye ek kambal khareedoonga .'

'aap koee janma-maranake chakramen bhatakanevaale praaniyonmense hee jaan pada़te hain.' itana kahakar raaja apane maargase chale gaye.

devata svarg laut aaye. poochhanepar unhonne devaraajase kaha - 'sachamuch vah raaja saadhu hai. samatvamen usakee buddhi sthit hai. paapee, asadaachaareekee ninda karana tatha usase ghrina karana usane chhoda़ diya hai; isaka arth hee hai ki use apane satkarmapar garv naheen hai.'

kriyaaheenan kusaadhun ch drishtva chitte n yashchalet .

teshaan dridhan tu samyaktvan dharme shrenikabhoopavat ..

- su0 sin0

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