⮪ All Articles & Stories

[ ठाकुर मेघसिंह ] शरीर त्यागते हुए पुत्र को पिता ने ऐसी क्या बात कह दी के उसका जीवन सफल हो गया और मृत्यु आनंदमाई?

ठाकुर मेघसिंहके एक ही कुमार था -सज्जनसिंह । सोलह वर्षकी उम्र थी । शील, सौन्दर्य और गुणोंका भण्डार था वह । अभी तीन ही महीने हुए उसका विवाह हुआ था । भगवान्‌के विधानसे वह एक दिन घोड़ेसे गिर पड़ा और उसके मस्तकमें गहरी चोट आयी । थोड़ी देरके लिये तो वह चेतनाशून्य हो गया, परन्तु कुछ ही समय बाद उसको चेत हो आया । यथासाध्य पूरी चिकित्सा हुई, पर घावमें कोई सुधार नहीं हुआ । होते-होते घाव बढ़ गया और उसका जहर सारे शरीरमें फैल गया। अब सबको निश्चय हो गया कि सज्जनसिंहके प्राण नहीं बचेंगे । सज्जनसिंहसे भी यह बात छिपी नहीं रही। उसके चेहरेपर कुछ उदासी आ गयी। ठाकुर मेघसिंह पास बैठे विष्णुसहस्रनामका पाठ कर रहे थे । उसे उदास देखकर उन्होंने हँसते हुए कहा – 'बेटा ! तुम्हारे चेहरेपर उदासी क्यों है? अभी तुम मेरे पुत्र हो, मेरी जागीरके मालिक हो, तुम्हें मेरे कुँअरका पद मिला है । यह सब तुम्हारे गोपालजीके मङ्गलविधानसे ही हुआ है। अब उन्हींके मङ्गलविधानसे तुम साक्षात् उनके पुत्र बनने जा रहे हो । अब कुँअरका पद मिलेगा और तुम दिव्यधामकी जागीरीके अधिकारी बनोगे । यह तो बेटा ! हर्षका समय है। तुम प्रसन्नतासे जाओ, मङ्गलमय प्रभुसे मेरा नमस्कार कहना और यह भी कहना कि 'मेघसिंहके आपके धाममें तबादिलेकी भी कोई व्यवस्था हो रही है क्या ? है मुझे कोई जल्दी नहीं है, क्योंकि मुझे तो सदा चाकरीमें रहना है, चाहे जहाँ रखें परन्तु इतना अवश्य होना चाहिये कि आपकी चाकरीमें हूँ, मुझे इसका स्मरण सदा बना रहे ।'

'बेटा ! यहाँके संयोग-वियोग सब उन लीलामयके लीलासंकेतसे होते हैं और होते हैं हमारे मङ्गलके लिये । इस बातका जिसको पता है, वह न तो दुःखके संयोगसे दुःखी होता है न सुखके वियोगसे । उसे तो सभी समय, सभी संयोग-वियोगोंमें, सभी दुःख-सुखोंमें सदा अखण्ड सुख, अखण्ड शान्ति और अखण्ड तृप्तिका अनुभव होता है। तुम भगवान्के मङ्गल संकेतसे ही यहाँ आये और उनके मङ्गल संकेतसे मङ्गलमयकी चरणधूलि प्रत्यक्ष प्राप्त करने जा रहे हो । इसमें जरा भी सन्देह मत करो । संशयवान्‌का ही पतन होता है। विश्वासी तथा श्रद्धालु तो हँसते-हँसते प्रभुके धाममें चला जाता है। तुम श्रद्धाको दृढ़ताके साथ पकड़े रखो, विश्वासको जरा भी इधर-उधर मत होने । यहाँसे जाकर तुम वहाँ उस अपरिसीम अनन्त आनन्दको प्राप्त करोगे कि फिर यहाँकी सभी सुखकी चीजें उसके सामने तुम्हें तुच्छ दिखायी देंगी। रही कुँअरानीकी बात सो उसकी कोई चिन्ता मत करो। वह पतिव्रता है । यहाँ साधुभावसे जीवन बिताकर वह भी दिव्यधाममें तुम्हारे साथ ही श्रीगोपालजीकी चरणसेविकाका पद प्राप्त करेगी । बेटा ! विषयोंका चिन्तन ही पतनका हेतु होता है, फिर स्त्री-पुरुषके विषयी जीवनमें तो प्रत्यक्ष विषय-सेवन होता है। प्रत्यक्ष नरकद्वारोंमें अनुराग हो जाता है। अतएव वह पतनका निश्चित हेतु है। भगवान्ने दया करके उन नरकद्वारोंकी अनुरक्ति और सेवासे कुँअरानीको मुक्त कर दिया है । वह परम भाग्यवती और साध्वी है, इसीसे इसपर यह अनुग्रह हुआ है । वह तपोमय जीवन बितायेगी और समयपर भगवान्‌के दिव्यधाममें तुमसे आ मिलेगी । तुम्हारी माताको तो भगवान्‌के मङ्गलविधानपर अखण्ड विश्वास है ही। उसे तो सर्वत्र सर्वथा मङ्गल ही दीखता है। बेटा ! तुम सुखसे यात्रा करो । स्वयं हँसते-हँसते और सबको हँसातेहँसाते हुए जाओ। जब सबको यह विश्वास हो जायगा कि तुम वहाँ जाकर यहाँकी अपेक्षा कहीं अनन्तगुनी विशेष और अधिक ।


सुखकी स्थितिको प्राप्त करोगे, तब तुम्हारे वियोगमें दुःखका अनुभव होनेपर भी सच्चे प्रेमके कारण तुम्हारे सुखसे वे सभी परम सुखी हो जायँगे। पर यह विश्वास उन सबको तभी होगा, जब तुम विश्वास करके हँसते-हँसते जाओगे।'

ठाकुरकी इन सच्ची बातोंका सज्जनसिंहपर बड़ा प्रभाव पड़ा । उसका मुखमण्डल दिव्य आनन्दकी निर्मल ज्योतिसे उद्भासित हो उठा । उसके होठोंपर मधुर हँसी छा गयी, उसका ध्यान भगवान् गोपालजीके मधुर श्रीविग्रहमें लग गया और उसके मुखसे भगवन्नामका उच्चारण होने लगा। फिर देखते ही देखते ब्रह्माण्ड फटकर उसके प्राण निकलकर दिव्यधाममें पहुँच गये । - ठाकुर, ठकुराइन, कुँअरानी – सभी वहाँपर उपस्थित थे। परन्तु सभी आनन्दमग्न थे। मानो अपने किसी परम प्रिय आत्मीयको शुभ आनन्दमय स्थानकी शुभ यात्रामें सहर्ष सोत्फुल्ल हृदयसे विदा दे रहे हों।

ठाकुर, ठकुराइन और कुँअरानी— तीनोंने ही अपने जीवनको और भी वैराग्यसे सुसम्पन्न किया। भगवत्-रंगमें विशेषरूपसे रँगा और अन्तमें यथासमय इस अनित्य मर्त्यलोकसे सदाके लिये छूटकर भगवद्धाममें प्रयाण किया ।

बोलो भक्त और उनके भगवान्‌की जय !



[ thaakur meghasinh ] shareer tyaagate hue putr ko pita ne aisee kya baat kah dee ke usaka jeevan saphal ho gaya aur mrityu aanandamaaee?

thaakur meghasinhake ek hee kumaar tha -sajjanasinh . solah varshakee umr thee . sheel, saundary aur gunonka bhandaar tha vah . abhee teen hee maheene hue usaka vivaah hua tha . bhagavaan‌ke vidhaanase vah ek din ghoड़ese gir pada़a aur usake mastakamen gaharee chot aayee . thoda़ee derake liye to vah chetanaashoony ho gaya, parantu kuchh hee samay baad usako chet ho aaya . yathaasaadhy pooree chikitsa huee, par ghaavamen koee sudhaar naheen hua . hote-hote ghaav baढ़ gaya aur usaka jahar saare shareeramen phail gayaa. ab sabako nishchay ho gaya ki sajjanasinhake praan naheen bachenge . sajjanasinhase bhee yah baat chhipee naheen rahee. usake cheharepar kuchh udaasee a gayee. thaakur meghasinh paas baithe vishnusahasranaamaka paath kar rahe the . use udaas dekhakar unhonne hansate hue kaha – 'beta ! tumhaare cheharepar udaasee kyon hai? abhee tum mere putr ho, meree jaageerake maalik ho, tumhen mere kunaraka pad mila hai . yah sab tumhaare gopaalajeeke mangalavidhaanase hee hua hai. ab unheenke mangalavidhaanase tum saakshaat unake putr banane ja rahe ho . ab kunaraka pad milega aur tum divyadhaamakee jaageereeke adhikaaree banoge . yah to beta ! harshaka samay hai. tum prasannataase jaao, mangalamay prabhuse mera namaskaar kahana aur yah bhee kahana ki 'meghasinhake aapake dhaamamen tabaadilekee bhee koee vyavastha ho rahee hai kya ? hai mujhe koee jaldee naheen hai, kyonki mujhe to sada chaakareemen rahana hai, chaahe jahaan rakhen parantu itana avashy hona chaahiye ki aapakee chaakareemen hoon, mujhe isaka smaran sada bana rahe .'

'beta ! yahaanke sanyoga-viyog sab un leelaamayake leelaasanketase hote hain aur hote hain hamaare mangalake liye . is baataka jisako pata hai, vah n to duhkhake sanyogase duhkhee hota hai n sukhake viyogase . use to sabhee samay, sabhee sanyoga-viyogonmen, sabhee duhkha-sukhonmen sada akhand sukh, akhand shaanti aur akhand triptika anubhav hota hai. tum bhagavaanke mangal sanketase hee yahaan aaye aur unake mangal sanketase mangalamayakee charanadhooli pratyaksh praapt karane ja rahe ho . isamen jara bhee sandeh mat karo . sanshayavaan‌ka hee patan hota hai. vishvaasee tatha shraddhaalu to hansate-hansate prabhuke dhaamamen chala jaata hai. tum shraddhaako dridha़taake saath pakada़e rakho, vishvaasako jara bhee idhara-udhar mat hone . yahaanse jaakar tum vahaan us apariseem anant aanandako praapt karoge ki phir yahaankee sabhee sukhakee cheejen usake saamane tumhen tuchchh dikhaayee dengee. rahee kunaraaneekee baat so usakee koee chinta mat karo. vah pativrata hai . yahaan saadhubhaavase jeevan bitaakar vah bhee divyadhaamamen tumhaare saath hee shreegopaalajeekee charanasevikaaka pad praapt karegee . beta ! vishayonka chintan hee patanaka hetu hota hai, phir stree-purushake vishayee jeevanamen to pratyaksh vishaya-sevan hota hai. pratyaksh narakadvaaronmen anuraag ho jaata hai. ataev vah patanaka nishchit hetu hai. bhagavaanne daya karake un narakadvaaronkee anurakti aur sevaase kunaraaneeko mukt kar diya hai . vah param bhaagyavatee aur saadhvee hai, iseese isapar yah anugrah hua hai . vah tapomay jeevan bitaayegee aur samayapar bhagavaan‌ke divyadhaamamen tumase a milegee . tumhaaree maataako to bhagavaan‌ke mangalavidhaanapar akhand vishvaas hai hee. use to sarvatr sarvatha mangal hee deekhata hai. beta ! tum sukhase yaatra karo . svayan hansate-hansate aur sabako hansaatehansaate hue jaao. jab sabako yah vishvaas ho jaayaga ki tum vahaan jaakar yahaankee apeksha kaheen anantagunee vishesh aur adhik .


sukhakee sthitiko praapt karoge, tab tumhaare viyogamen duhkhaka anubhav honepar bhee sachche premake kaaran tumhaare sukhase ve sabhee param sukhee ho jaayange. par yah vishvaas un sabako tabhee hoga, jab tum vishvaas karake hansate-hansate jaaoge.'

thaakurakee in sachchee baatonka sajjanasinhapar bada़a prabhaav paड़a . usaka mukhamandal divy aanandakee nirmal jyotise udbhaasit ho utha . usake hothonpar madhur hansee chha gayee, usaka dhyaan bhagavaan gopaalajeeke madhur shreevigrahamen lag gaya aur usake mukhase bhagavannaamaka uchchaaran hone lagaa. phir dekhate hee dekhate brahmaand phatakar usake praan nikalakar divyadhaamamen pahunch gaye . - thaakur, thakuraain, kunaraanee – sabhee vahaanpar upasthit the. parantu sabhee aanandamagn the. maano apane kisee param priy aatmeeyako shubh aanandamay sthaanakee shubh yaatraamen saharsh sotphull hridayase vida de rahe hon.

thaakur, thakuraain aur kunaraanee— teenonne hee apane jeevanako aur bhee vairaagyase susampann kiyaa. bhagavat-rangamen vishesharoopase ranga aur antamen yathaasamay is anity martyalokase sadaake liye chhootakar bhagavaddhaamamen prayaan kiya .

bolo bhakt aur unake bhagavaan‌kee jay !



You may also like these:

1876 Views





Bhajan Lyrics View All

सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम

New Bhajan Lyrics View All

मेरे नाथ केदारा तेरे नाम का सहारा,
तेरे नाम की है झोली तेरे नाम का गुजारा,
ओ हरी तेरो अजब नीरालो काम,
अजब नीरालो काम,
मेरी मईया का दरबार बड़ा ही लगता
साँवरा सलोना तेरे हरदम पास है,
हरदम पास है, अर्जी लगाले बन्दे, श्याम
तोए काऊ दिन हाथ लगाय दूँगी,
मत फोड़े दही की मटकी...