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अछूत कौन  [Moral Story]
आध्यात्मिक कथा - छोटी सी कहानी (प्रेरक कहानी)

अछूत कौन ?

एक बार प्रेम-भूमि श्रीवृन्दावनमें यमुनाजीके पवित्र तटपर कुछ साधु बैठे हुए थे। उनकी धूनी जल रही थी और वे भण्डारेको चर्चामें मग्न हो रहे थे। उसी समय एक अछूत वहाँ आया और साधुओंके सामनेवाले घाटपर स्नान करने लगा। साधुओंसे यह बात सहन न हुई। एकने उठकर जलती हुई लकड़ीसे उसपर प्रहार किया और बुरा-भला कहने लगा। अछूत कुछ बोला नहीं। यद्यपि वह एक बार स्नान कर चुका था, फिर भी वह वहाँसे थोड़ी दूर हटकर दुबारा स्नान करने लगा। उसका यह काम देखकर साधुओंके मुखियाको कुछ आश्चर्य हुआ। उन्होंने जाकर पूछा तो उसने कहा-'महाराज! मैं शरीरसे तो अछूत हूँ ही, आप लोगोंके घाटपर स्नान करके मैंने अपराध भी किया, किंतु मैं अपने मनको अछूतपनसे अलग रखता हूँ। जिस साधुने मुझे मारा, वह क्रोधावेशमें था, इसलिये उसका मन अछूत हो गया था। उसके अछूत मनका असर मेरे मनपर न पड़ जाय, इसलिये मैंने दुबारा स्नान किया है; क्योंकि क्रोध भी तो एक अछूत ही है न?' साधुओंके मुखिया अवाक् रह गये, अपने अन्तर्जीवनपर वह इतनी पैनी दृष्टि रखता है, यह जानकर उनकी उसपर बड़ी श्रद्धा हुई। [स्वामी श्रीअखण्डानन्दजी सरस्वती ]



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achhoot kauna

achhoot kaun ?

ek baar prema-bhoomi shreevrindaavanamen yamunaajeeke pavitr tatapar kuchh saadhu baithe hue the. unakee dhoonee jal rahee thee aur ve bhandaareko charchaamen magn ho rahe the. usee samay ek achhoot vahaan aaya aur saadhuonke saamanevaale ghaatapar snaan karane lagaa. saadhuonse yah baat sahan n huee. ekane uthakar jalatee huee lakada़eese usapar prahaar kiya aur buraa-bhala kahane lagaa. achhoot kuchh bola naheen. yadyapi vah ek baar snaan kar chuka tha, phir bhee vah vahaanse thoda़ee door hatakar dubaara snaan karane lagaa. usaka yah kaam dekhakar saadhuonke mukhiyaako kuchh aashchary huaa. unhonne jaakar poochha to usane kahaa-'mahaaraaja! main shareerase to achhoot hoon hee, aap logonke ghaatapar snaan karake mainne aparaadh bhee kiya, kintu main apane manako achhootapanase alag rakhata hoon. jis saadhune mujhe maara, vah krodhaaveshamen tha, isaliye usaka man achhoot ho gaya thaa. usake achhoot manaka asar mere manapar n pada़ jaay, isaliye mainne dubaara snaan kiya hai; kyonki krodh bhee to ek achhoot hee hai na?' saadhuonke mukhiya avaak rah gaye, apane antarjeevanapar vah itanee painee drishti rakhata hai, yah jaanakar unakee usapar bada़ee shraddha huee. [svaamee shreeakhandaanandajee sarasvatee ]

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