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अजीब सादगी  [Wisdom Story]
हिन्दी कथा - हिन्दी कथा (Spiritual Story)

अजीब सादगी

प्रसिद्ध साहित्यकार एच0जी0वेल्सका तीन मंजिला भव्य मकान था, लेकिन वे स्वयं एक छोटे से कमरे में सादगीभरी जिन्दगी जीते थे। उन्होंने मकानका सबसे बड़ा और सुन्दर हिस्सा अपनी नौकरानीको रहनेके लिये दिया हुआ था। एक बार उनके बचपनके एक दोस्त उनसे मिलने आये। महलनुमा मकानके एक छोटे-से कमरेमें वेल्सको रहते देखकर उन्हें सन्देह हुआ कि यह मकान वाकई उन्हींका है, या किसी औरका। उन्होंने सकपकाते हुए पूछा- 'क्या यह तुम्हारा मकान है ?' वेल्स समझ गये कि उन्हें इस हालतमें देखकर दोस्तको शक हुआ है। उन्होंने कहा-'हाँ। यह मेरा ही मकान है। चलो, मैं तुम्हें पूरा मकान दिखाता हूँ।'
वेल्स अपने दोस्तको लेकर उस हिस्सेमें गये, जहाँ उनकी नौकरानी शाही ठाठ-बाटसे रह रही थी। दोस्तने पूछा - ' इसमें कौन रहता है?' वेल्सने कहा- 'नौकरानी रहती है। वह मेरी धाय-माँ है।' दोस्तकी समझमें कुछ नहीं आया। उसने कहा 'लगता है, तुम्हें नौकरानीसे बहुत प्यार है।' वेल्सने कहा- 'हाँ, बहुत प्यार है। इतना प्यार मैं किसी औरको नहीं दे सकता।' दोस्तने कहा-'तुम पहेलियाँ बुझा रहे हो। साफ-साफ बताओ यह कौन है?' वेल्सने कहा- 'मित्र एक समय था, जब हम बहुत गरीब थे। उस समय मेरी माँ घरेलू नौकरानीका काम करके किसी तरह काम चलाती थी। हमलोग एक छोटे से कमरे में रहते थे। माँने मुझे पढ़ाया लिखाया और बड़ा किया। आज मेरी माँ इस दुनियामें नहीं हैं, लेकिन मैं हर समय अपनी माँका अक्स इस नौकरानीमें देखता हूँ, इसलिये मैं अपनी सारी सुविधाएँ इसे देकर अपनी माँको याद करता हूँ। इसके पहले कि तुम यह पूछो कि मैं इतने छोटे और साधारण कमरेमें क्यों रहता हूँ, मैं बता दूँ, दोस्त, मैं इस तरह इसलिये रहता हूँ ताकि मैं अतीतको हमेशा याद रख सकूँ। यदि मैं अपने अतीतको भूल जाऊँगा तो सब कुछ गवाँ दूँगा, साहित्य भी और समाज भी।'
मनुष्यको अपनी जड़ोंको याद रखना चाहिये।



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ajeeb saadagee

ajeeb saadagee

prasiddh saahityakaar echa0jee0velsaka teen manjila bhavy makaan tha, lekin ve svayan ek chhote se kamare men saadageebharee jindagee jeete the. unhonne makaanaka sabase bada़a aur sundar hissa apanee naukaraaneeko rahaneke liye diya hua thaa. ek baar unake bachapanake ek dost unase milane aaye. mahalanuma makaanake ek chhote-se kamaremen velsako rahate dekhakar unhen sandeh hua ki yah makaan vaakaee unheenka hai, ya kisee aurakaa. unhonne sakapakaate hue poochhaa- 'kya yah tumhaara makaan hai ?' vels samajh gaye ki unhen is haalatamen dekhakar dostako shak hua hai. unhonne kahaa-'haan. yah mera hee makaan hai. chalo, main tumhen poora makaan dikhaata hoon.'
vels apane dostako lekar us hissemen gaye, jahaan unakee naukaraanee shaahee thaatha-baatase rah rahee thee. dostane poochha - ' isamen kaun rahata hai?' velsane kahaa- 'naukaraanee rahatee hai. vah meree dhaaya-maan hai.' dostakee samajhamen kuchh naheen aayaa. usane kaha 'lagata hai, tumhen naukaraaneese bahut pyaar hai.' velsane kahaa- 'haan, bahut pyaar hai. itana pyaar main kisee aurako naheen de sakataa.' dostane kahaa-'tum paheliyaan bujha rahe ho. saapha-saaph bataao yah kaun hai?' velsane kahaa- 'mitr ek samay tha, jab ham bahut gareeb the. us samay meree maan ghareloo naukaraaneeka kaam karake kisee tarah kaam chalaatee thee. hamalog ek chhote se kamare men rahate the. maanne mujhe padha़aaya likhaaya aur bada़a kiyaa. aaj meree maan is duniyaamen naheen hain, lekin main har samay apanee maanka aks is naukaraaneemen dekhata hoon, isaliye main apanee saaree suvidhaaen ise dekar apanee maanko yaad karata hoon. isake pahale ki tum yah poochho ki main itane chhote aur saadhaaran kamaremen kyon rahata hoon, main bata doon, dost, main is tarah isaliye rahata hoon taaki main ateetako hamesha yaad rakh sakoon. yadi main apane ateetako bhool jaaoonga to sab kuchh gavaan doonga, saahity bhee aur samaaj bhee.'
manushyako apanee jada़onko yaad rakhana chaahiye.

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