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अपरिचितकी मदद  [प्रेरक कहानी]
Short Story - शिक्षदायक कहानी (Short Story)

अपरिचितकी मदद

विद्यासागरने एक दिन अपने एक विश्वस्त कर्मचारीसे कहा-'देखो, कलूटोलामें अमुक गलीके अमुक नम्बरके घरमें एक मद्रासी भद्रपुरुष रहते हैं। रुपयोंके अभाव में वे बहुत कष्ट भोग रहे हैं। तुम जाकर इसका सब पता लगा आओ।
वह विश्वस्त कर्मचारी पता लगाने निकल पड़ा। कलुटोला के उस ठिकानेपर सबसे पहले भेंट हुई परके मालिकसे। उनसे मद्रासी भद्रपुरुषके बारेमें उसने पूछताछ को।
मकान मालिकने कहा-'हाँ, मेरे इस घरके नौचेकी मंजिल एक कमरे में वे सपरिवार रहते हैं। उनसे मुझे छः मासका किराया तीस रुपये लेना है। भाड़ा चुकाकर घर छोड़कर चले जानेको मैंने उनसे कह दिया है, किंतु वे कुछ भी नहीं दे पा रहे हैं। क्या करूँ, पैसेके अभाव में वे आज दो-तीन दिनसे सपरिवार उपवास कर रहे हैं।
मकान मालिकसे तो कुछ बातोंका पता चल गयाहै? तो फिर अब उस मद्रासी भद्रपुरुषसे भेंटकर कुछ और बातोंका पता लगाना चाहिये। ऐसी ही कुछ बात विद्यासागरने भी उस कर्मचारीसे कही थी।
पाँच लड़कियों और दो लड़कोंको लेकर मद्रासी भद्रपुरुष उस समय एक मामूली चटाईपर बैठा हुआ है।
मद्रासी भद्रपुरुषके साथ थोड़ा आलाप परिचय किया गया। वह घुणाक्षर न्यायसे भी यह नहीं जानता था कि परिचय-आलाप करने आया यह नया व्यक्ति किसके पाससे आया है? वह यह सब नहीं जानता है, फिर जानेगा भी कैसे ?
उस मद्रासी भद्रपुरुषने कहा-सुनिये, इस कलकत्ता शहरमें कई बड़े लोगोंको मैंने अपना कष्ट बताया था, किंतु एक कानी कौड़ी देकर भी किसीने मेरी सहायता नहीं की। अन्तमें एक भद्रपुरुषने मुझे एक पोस्टकार्ड दिया। खाली पोस्टकार्ड नहीं। पोस्टकार्डपर कुछ लिखकर दिया। मुझसे कहा- 'इस शहरमें एक परमदयालु विद्यासागर रहते हैं। उनके लिये तुम्हारी दुर्दशाकी कथा लिख दी है। इस चिट्ठीको डाकमें डाल आओ।' वह डाकमें डाल दी है। अब हमारा भाग्य है!
यथासमय सारी खबर विद्यासागरको मिल गयी थी। उन्होंने उस अपरिचित-अनजाने दुःखसे पीड़ित मद्रासीके लिये आँखोंसे आँसू बहाते हुए सहानुभूतिपूर्वक रुपये भेजे, कपड़े-लत्ते भेजे। अन्तमें मद्रास लौट जानेके लिये उन्होंने खर्चा दिया। ऐसे थे विद्यासागर!
और एक घटना -



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aparichitakee madada

aparichitakee madada

vidyaasaagarane ek din apane ek vishvast karmachaareese kahaa-'dekho, kalootolaamen amuk galeeke amuk nambarake gharamen ek madraasee bhadrapurush rahate hain. rupayonke abhaav men ve bahut kasht bhog rahe hain. tum jaakar isaka sab pata laga aao.
vah vishvast karmachaaree pata lagaane nikal pada़aa. kalutola ke us thikaanepar sabase pahale bhent huee parake maalikase. unase madraasee bhadrapurushake baaremen usane poochhataachh ko.
makaan maalikane kahaa-'haan, mere is gharake nauchekee manjil ek kamare men ve saparivaar rahate hain. unase mujhe chhah maasaka kiraaya tees rupaye lena hai. bhaada़a chukaakar ghar chhoda़kar chale jaaneko mainne unase kah diya hai, kintu ve kuchh bhee naheen de pa rahe hain. kya karoon, paiseke abhaav men ve aaj do-teen dinase saparivaar upavaas kar rahe hain.
makaan maalikase to kuchh baatonka pata chal gayaahai? to phir ab us madraasee bhadrapurushase bhentakar kuchh aur baatonka pata lagaana chaahiye. aisee hee kuchh baat vidyaasaagarane bhee us karmachaareese kahee thee.
paanch lada़kiyon aur do lada़konko lekar madraasee bhadrapurush us samay ek maamoolee chataaeepar baitha hua hai.
madraasee bhadrapurushake saath thoda़a aalaap parichay kiya gayaa. vah ghunaakshar nyaayase bhee yah naheen jaanata tha ki parichaya-aalaap karane aaya yah naya vyakti kisake paasase aaya hai? vah yah sab naheen jaanata hai, phir jaanega bhee kaise ?
us madraasee bhadrapurushane kahaa-suniye, is kalakatta shaharamen kaee bada़e logonko mainne apana kasht bataaya tha, kintu ek kaanee kauड़ee dekar bhee kiseene meree sahaayata naheen kee. antamen ek bhadrapurushane mujhe ek postakaard diyaa. khaalee postakaard naheen. postakaardapar kuchh likhakar diyaa. mujhase kahaa- 'is shaharamen ek paramadayaalu vidyaasaagar rahate hain. unake liye tumhaaree durdashaakee katha likh dee hai. is chittheeko daakamen daal aao.' vah daakamen daal dee hai. ab hamaara bhaagy hai!
yathaasamay saaree khabar vidyaasaagarako mil gayee thee. unhonne us aparichita-anajaane duhkhase peeda़it madraaseeke liye aankhonse aansoo bahaate hue sahaanubhootipoorvak rupaye bheje, kapada़e-latte bheje. antamen madraas laut jaaneke liye unhonne kharcha diyaa. aise the vidyaasaagara!
aur ek ghatana -

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किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
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