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उजडुपनका इनाम  [Hindi Story]
Moral Story - छोटी सी कहानी (Spiritual Story)

'अबे ए जोगड़े! खबरदार, मेरी धोतीको छुआ तो !
जरा हटकर जा, मैंने यह धोती पूजाके लिये सुखायी है!'-दस वर्षके एक बालकने यों ही कह दिया। जोगड़ा और कोई नहीं, प्रत्यक्ष शाहू महाराज थे और बालक माहुलीके एक कुलकर्णीका आवारा लड़का दोपहरके पूर्व कृष्णामें नहा रहा था। शाहू महाराजको शिकारका भारी शौक था। देर हो जानेसे जल्दी अकेले ही वे कंधेपर भाला रखकर लौट रहे थे। लंबी दाढ़ी और शरीरपर कफनी-जैसा वस्त्र - सचमुच उनका यह वेष एक साधुको ही फबनेवाला था

'नहीं बाबा, तुम्हारी धोतीको न छूऊँगा।'-कहकर हँसते हुए महाराज आगे बढ़ गये।
थोड़ी देर में दो सिपाही बालकके पास आ धमके। उन्होंने उसे बताया कि वे जोगड़ा नहीं, महाराज थे। बालक दण्डकी कल्पनासे काँप उठा।

शाहू महाराजके समक्ष लाये जानेपर उन्होंने मुसकराते हुए बालकसे पूछा- 'तुम्हारा नाम क्या है और अकेले नदीपर तुम क्यों आये ?'

'मेरा नाम विटू, माहुलीके कुलकर्णीका पुत्र माँ सुबह बहुत बिगड़ी- 'काम नहीं करता, खाने न दूँगी। निकल जा घरसे।' इसीलिये निकल पड़ा। नहा-धोकर पूजा करके मधुकरी माँगने गाँव जानेवाला था।'तो फिर काम क्यों नहीं करते ?' 'वह मेरे मनलायक काम नहीं बताती। और जो बताती है, वह मुझे पसंद नहीं। मुझे घोड़ेपर बैठकर दूर दौड़ना और शिकार करना पसंद है, पर माँ मुझे घरमें ही बंद करके रखती है।'

महाराजने सेवकोंको आदेश दिया- 'महीनेभर वाड़ेमें ही इसके भोजनकी व्यवस्था की जाय। इसे एक टट्टू ला दो और यह जहाँ जाय, जाने दो। एक महीने बाद मुझे पुनः खबर दो ।'

बालकके मनकी मुराद अनायास पूरी हो गयी। राजशाही भोजन ऊपरसे । सुबह-शाम सदैव वह अच्छे से टट्टूपर बैठकर भरपेट घूमता । घर आनेपर स्वयं टट्टूकी देख-भाल, खाना-सफाई करता। तबेलेके अन्य टट्टुओंकी भी कभी-कभी सेवा कर देता। बालक सभीको प्रिय हो गया। वह नित्य महाराजके साथ शिकारके लिये भी जाने लगा।

एक दिन महाराजके साथ नित्यकी तरह शिकारके लिये जानेपर महाराजने एक सूअरके पीछे पड़कर उसपर गोली दागी; पर निशाना चूक गया और सूअर बच निकला तथा सीधे महाराजकी ओर झपट पड़ा। संयोगकी बात यह थी कि विठू या विट्ठल सूअरके पीछे था। उसने उसे लक्ष्यकर भाला फेंका और उसेघायल करके तत्काल घोड़ेसे उतर दोनों हाथोंसे सूअरको रोक रखा।

शाहू महाराज तत्काल उसके पास आये और सूअरका काम तमामकर बालककी समयसूचकताकी प्रशंसा की। महाराजने तत्काल उसके लिये सौ घुड़सवारोंऔर बड़ी-सी जागीरकी व्यवस्था कर दी। यही विठू आगे चलकर विट्ठल शिवदेव विंचुरकर नामसे प्रसिद्ध हुआ, जिन्होंने पचास-साठ सालतक मराठा साम्राज्यकी निष्ठासे सेवा की।

-गो0 न0 बै0 (मराठ्यांच्या राज्यकथा)



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ujadupanaka inaama

'abe e jogaड़e! khabaradaar, meree dhoteeko chhua to !
jara hatakar ja, mainne yah dhotee poojaake liye sukhaayee hai!'-das varshake ek baalakane yon hee kah diyaa. jogaड़a aur koee naheen, pratyaksh shaahoo mahaaraaj the aur baalak maahuleeke ek kulakarneeka aavaara lada़ka dopaharake poorv krishnaamen naha raha thaa. shaahoo mahaaraajako shikaaraka bhaaree shauk thaa. der ho jaanese jaldee akele hee ve kandhepar bhaala rakhakar laut rahe the. lanbee daadha़ee aur shareerapar kaphanee-jaisa vastr - sachamuch unaka yah vesh ek saadhuko hee phabanevaala thaa

'naheen baaba, tumhaaree dhoteeko n chhoooongaa.'-kahakar hansate hue mahaaraaj aage badha़ gaye.
thoda़ee der men do sipaahee baalakake paas a dhamake. unhonne use bataaya ki ve jogaड़a naheen, mahaaraaj the. baalak dandakee kalpanaase kaanp uthaa.

shaahoo mahaaraajake samaksh laaye jaanepar unhonne musakaraate hue baalakase poochhaa- 'tumhaara naam kya hai aur akele nadeepar tum kyon aaye ?'

'mera naam vitoo, maahuleeke kulakarneeka putr maan subah bahut bigada़ee- 'kaam naheen karata, khaane n doongee. nikal ja gharase.' iseeliye nikal pada़aa. nahaa-dhokar pooja karake madhukaree maangane gaanv jaanevaala thaa.'to phir kaam kyon naheen karate ?' 'vah mere manalaayak kaam naheen bataatee. aur jo bataatee hai, vah mujhe pasand naheen. mujhe ghoda़epar baithakar door dauda़na aur shikaar karana pasand hai, par maan mujhe gharamen hee band karake rakhatee hai.'

mahaaraajane sevakonko aadesh diyaa- 'maheenebhar vaada़emen hee isake bhojanakee vyavastha kee jaaya. ise ek tattoo la do aur yah jahaan jaay, jaane do. ek maheene baad mujhe punah khabar do .'

baalakake manakee muraad anaayaas pooree ho gayee. raajashaahee bhojan ooparase . subaha-shaam sadaiv vah achchhe se tattoopar baithakar bharapet ghoomata . ghar aanepar svayan tattookee dekha-bhaal, khaanaa-saphaaee karataa. tabeleke any tattuonkee bhee kabhee-kabhee seva kar detaa. baalak sabheeko priy ho gayaa. vah nity mahaaraajake saath shikaarake liye bhee jaane lagaa.

ek din mahaaraajake saath nityakee tarah shikaarake liye jaanepar mahaaraajane ek sooarake peechhe pada़kar usapar golee daagee; par nishaana chook gaya aur sooar bach nikala tatha seedhe mahaaraajakee or jhapat pada़aa. sanyogakee baat yah thee ki vithoo ya vitthal sooarake peechhe thaa. usane use lakshyakar bhaala phenka aur useghaayal karake tatkaal ghoda़ese utar donon haathonse sooarako rok rakhaa.

shaahoo mahaaraaj tatkaal usake paas aaye aur sooaraka kaam tamaamakar baalakakee samayasoochakataakee prashansa kee. mahaaraajane tatkaal usake liye sau ghuda़savaaronaur bada़ee-see jaageerakee vyavastha kar dee. yahee vithoo aage chalakar vitthal shivadev vinchurakar naamase prasiddh hua, jinhonne pachaasa-saath saalatak maraatha saamraajyakee nishthaase seva kee.

-go0 na0 bai0 (maraathyaanchya raajyakathaa)

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