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ऐसो को उदार जग माहीं  [छोटी सी कहानी]
आध्यात्मिक कथा - Spiritual Story (प्रेरक कहानी)

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरघुनाथजीको पता लगा कि उनके परम भक्त विभीषणको कहीं ब्राह्मणोंने बाँध लिया है। श्रीराघवेन्द्रने चारों ओर दूत भेजे, पता लगाया और अन्तमें स्वयं वहाँ पहुँचे, जहाँ ब्राह्मणोंने विभीषणको दृढ़ शृङ्खलाओंसे बाँधकर एक भूगर्भगृहमें बंदी बना रखा था।

मर्यादा-पुरुषोत्तमको कुछ पूछना नहीं पड़ा। ब्राह्मणोंने प्रभुका स्वागत किया, उनका आतिथ्य किया और कहा - 'महाराज ! इस वनमें हमारे आश्रमके पास एक राक्षस रथमें बैठकर आया था। हममेंसे एक अत्यन्त वृद्ध मौनव्रती वनमें कुश लेने गये थे। राक्षसने उनसे कुछ पूछा, किंतु मौनव्रती होनेसे वे उत्तर नहीं दे सके।दुष्ट राक्षसने उनके ऊपर पाद-प्रहार किया। वे वृद्ध तो थे ही, गिर पड़े और मर गये। हमलोगोंको समाचार मिला। हमने उस दुष्ट राक्षसको पकड़ लिया, किंतु हमारे द्वारा बहुत पीटे जानेपर भी वह मरता नहीं है। आप यहाँ आ गये हैं, यह सौभाग्यकी बात है। उस दुष्ट हत्यारेको आप दण्ड दीजिये।'

ब्राह्मण विभीषणको उसी दशामें ले आये। विभीषणका | मस्तक लज्जासे झुका था; किंतु श्रीराम तो और भी संकुचित हो गये। उन्होंने ब्राह्मणोंसे कहा- 'किसीका सेवक कोई अपराध करे तो वह अपराध स्वामीका ही माना जाता है। आपलोग इनको छोड़ दें। मैंने इन्हें कल्पपर्यन्त जीवित रहनेका वरदान तथा लङ्काका राज्यदिया है। ये मेरे अपने हैं, अतः इनका अपराध तो मेरा ही अपराध है। आपलोग जो दण्ड देना चाहें, मैं उसे स्वीकार करूँगा।'

विभीषणजीने जान-बूझकर ब्रह्महत्या नहीं की थी। वे वृद्ध ब्राह्मण हैं और मौनव्रती हैं, यह विभीषणको पतानहीं था । उनको मार डालनेकी तो विभीषणकी इच्छा थी ही नहीं। अतः अनजानमें हुई हत्याका प्रायश्चित्त ही ऋषियोंने बताया और वह प्रायश्चित्त विभीषणने नहीं, श्री राघवेन्द्रने स्वयं किया।

- सु0 सिं0



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aiso ko udaar jag maaheen

maryaada purushottam shreeraghunaathajeeko pata laga ki unake param bhakt vibheeshanako kaheen braahmanonne baandh liya hai. shreeraaghavendrane chaaron or doot bheje, pata lagaaya aur antamen svayan vahaan pahunche, jahaan braahmanonne vibheeshanako dridha़ shrinkhalaaonse baandhakar ek bhoogarbhagrihamen bandee bana rakha thaa.

maryaadaa-purushottamako kuchh poochhana naheen pada़aa. braahmanonne prabhuka svaagat kiya, unaka aatithy kiya aur kaha - 'mahaaraaj ! is vanamen hamaare aashramake paas ek raakshas rathamen baithakar aaya thaa. hamamense ek atyant vriddh maunavratee vanamen kush lene gaye the. raakshasane unase kuchh poochha, kintu maunavratee honese ve uttar naheen de sake.dusht raakshasane unake oopar paada-prahaar kiyaa. ve vriddh to the hee, gir pada़e aur mar gaye. hamalogonko samaachaar milaa. hamane us dusht raakshasako pakada़ liya, kintu hamaare dvaara bahut peete jaanepar bhee vah marata naheen hai. aap yahaan a gaye hain, yah saubhaagyakee baat hai. us dusht hatyaareko aap dand deejiye.'

braahman vibheeshanako usee dashaamen le aaye. vibheeshanaka | mastak lajjaase jhuka thaa; kintu shreeraam to aur bhee sankuchit ho gaye. unhonne braahmanonse kahaa- 'kiseeka sevak koee aparaadh kare to vah aparaadh svaameeka hee maana jaata hai. aapalog inako chhoda़ den. mainne inhen kalpaparyant jeevit rahaneka varadaan tatha lankaaka raajyadiya hai. ye mere apane hain, atah inaka aparaadh to mera hee aparaadh hai. aapalog jo dand dena chaahen, main use sveekaar karoongaa.'

vibheeshanajeene jaana-boojhakar brahmahatya naheen kee thee. ve vriddh braahman hain aur maunavratee hain, yah vibheeshanako pataanaheen tha . unako maar daalanekee to vibheeshanakee ichchha thee hee naheen. atah anajaanamen huee hatyaaka praayashchitt hee rishiyonne bataaya aur vah praayashchitt vibheeshanane naheen, shree raaghavendrane svayan kiyaa.

- su0 sin0

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